हरिद्वार : उत्तराखंड राज्य वन्य जीव बोर्ड ने शिवालिक हाथी रिजर्व की अधिसूचना को निरस्त करने का निर्णय लिया है, जिसका 13 साल की पर्यावरण कार्यकर्ता रिद्धिमा पांडे ने विरोध किया है. रिद्धिमा ने एक वीडियो के जरिए पीएम मोदी से अपील करते हुए कहा कि अधिसूचना को निरस्त नहीं किया जाना चाहिए. इससे पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.
आपको बता दें कि उत्तराखंड सरकार ने यह फैसला देहरादून के जॉलीग्रांट हवाई अड्डा विस्तारीकरण सहित कई विकास गतिविधियों का रास्ता साफ करने के लिए लिया है.
रिद्धिमा पांडे का कहना है कि उत्तराखंड राज्य वन्य जीव बोर्ड ने जॉलीग्रांट हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए शिवालिक हाथी रिजर्व की अधिसूचना को निरस्त करने का निर्णय लिया है. सरकार ने इस निर्णय को लेने से पहले जंगलों की वनस्पति और वन्य जीवन के बारे में सोचा तक नहीं. यह निर्णय वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम की हत्या है. कोरोना जैसी महामारी ने हमें यह सिखा दिया है कि पर्यावरण और प्रकृति से छेड़छाड़ इंसान पर ही भारी पड़ता है.
24 नवंबर को हुई थी अधिसूचना रद्द
बीते 24 नवंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में बोर्ड की 16वीं बैठक में यह निर्णय लिया गया था. शिवालिक हाथी रिजर्व के संबंध में 2002 में जारी अधिसूचना को रद्द किए जाने से 5,405 वर्ग किलोमीटर में फैले क्षेत्र में स्थित देहरादून के जॉलीग्रांट हवाई अड्डे का विस्तारीकरण सहित कई विकास गतिविधियों का रास्ता साफ हो जाएगा. इसके निरस्त होने से प्रदेशभर में करीब एक दर्जन वन प्रभागों में विकास कार्यों के लिए भूमि अधिग्रहण किया जा सकेगा.
रिद्धिमा का कहना है कि उत्तराखंड सरकार पर्यावरण को काबू करने की कोशिश कर रही है, इसलिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रार्थना कर रही हैं कि पर्यावरण और मानवता की 'हत्या' होने से रोकें. साथ ही देश और उत्तराखंड के लोगों को निवेदन कर रही हैं कि वह शिवालिक हाथी रिजर्व को बचाने में उनकी सहायता करें, ताकि पर्यावरण को और बेहतर बनाया जा सके.
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शिवालिक हाथी रिजर्व
- शिवालिक हाथी रिजर्व उत्तराखंड में विशाल हाथियों का इकलौता अभ्यारण्य (sanctuary) है.
- ये रिजर्व क्षेत्र 5405 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जहां एशियाई हाथी रहते हैं.
- शिवालिक हाथी आरक्षित क्षेत्र उत्तरी भारत के दो हाथी आरक्षित क्षेत्रों में सबसे बड़ा है.
- यहां से 50 लाख वर्ष पूर्व के हाथी के जीवाश्म भी पाए गए हैं.
- कंसोरा-बरकोट हाथी गलियारा भी शिवालिक हाथी आरक्षित क्षेत्र के अंतर्गत ही आता है.
- 28 अक्टूबर 2002 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने नोटिफिकेशन यानी अधिसूचना जारी करके इसे एलिफेंट रिजर्व घोषित किया था.
- इसमें देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, नैनीताल और अल्मोड़ा जिले के वन प्रभाग शामिल हैं. इन वन प्रभागों में कॉर्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व के कुछ हिस्सों को भी शामिल किया गया है.
- देश में एशियाई हथियों की सर्वाधिक घनत्व वाली आबादी इसी हाथी आरक्षित क्षेत्र में पायी जाती है.
- अफ्रीकन हाथियों के बाद एशियाई हाथी धरती के दूसरे सबसे विशालकाय हाथी होते हैं.
उत्तराखंड सरकार की वेबसाइट forest.uk.gov.in पर Report on Elephant Census नाम से एक डॉक्टूमेंट अपलोड किया गया है. इसमें ये भी बताया गया है कि हाथियों की मौजूदगी के हिसाब से उत्तराखंड देश में 8वें नंबर पर है.
इसका मतलब साफ है कि उत्तराखंड प्रदेश हाथियों के निवास के लिए एक सही जगह है, लेकिन 24 नवंबर 2020 को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की अध्यक्षता में राज्य वन्य जीव बोर्ड (स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड) की एक बैठक में जो फैसला लिया गया, उसके बाद सवाल उठ रहा है कि इस क्षेत्र में रहने वाले हाथियों का क्या होगा?
दरअसल, साल 2002 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा प्रदेश के 17 फॉरेस्ट डिवीजन में से 14 को एलिफेंट रिजर्व के नाम से नोटिफाई किया था. इसका मतलब ये कि इतनी जगह हाथियों को दी गई थी.
'विकास' के रास्ते में आ रहे जंगल
देहरादून के जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के रास्ते में भी एलिफेंट रिजर्व आ रहा है. पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के वन संरक्षण विभाग के अनुसार, उत्तराखंड सरकार के एयरपोर्ट विस्तार की परियोजना में शिवालिक हाथी आरक्षित क्षेत्र की 87 हेक्टेयर जमीन भी शामिल हो रही है.
इस विस्तार परियोजना का पूरा क्षेत्र शिवालिक हाथी आरक्षित क्षेत्र और हाथी गलियारे के एक किमी के दायरे में आता है. इसके अलावा अधिसूचित कंसोरा-बरकोट हाथी गलियारा भी प्रस्तावित विस्तार परियोजना के 5 किमी के दायरे में आता है. ये मुश्किल आने पर राज्य वन्य जीव बोर्ड ने हाथी रिजर्व खत्म करने का प्रस्ताव पास कर दिया, मतलब रिजर्व को डिनोटिफाई कर दिया. डिनोटिफाई करके सरकार ने इस जमीन को विकास कार्यों से लिए मुक्त कर दिया है. कोई भी सरकार से जमीन खरीदकर जरूरी एनओसी लेकर अपना काम कर सकता है.
उत्तराखंड में हाथियों की संख्या
उत्तराखंड में इस समय कुल 2026 हाथियों की मौजूदगी दर्ज की गई है. वयस्क नर और मादा हाथी का लैंगिक अनुपात 1:2.50 पाया गया है, जो कि एशियन हाथियों की आबादी में बेहतर माना जाता है. वर्ष 2012 में 1,559, वर्ष 2015 में 1797 और वर्ष 2017 में 1,839 हाथी थे. वर्ष 2017 से हाथियों की संख्या में 10.17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.