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नहीं करें जेएनपीटी का निजीकरण - शिवसेना

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Published : Sep 17, 2020, 12:36 PM IST

शिवसेना के संजय राउत ने सरकार से अपील की कि जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट का निजीकरण नहीं किया जाए क्योंकि जेएनपीटी एक लाभकारी उपक्रम है .

शिवसेना के संजय राउत
शिवसेना के संजय राउत

नयी दिल्लीः शिवसेना ने सरकार से मांग की कि वह लाभकारी एवं राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट का निजीकरण नहीं करे.

शिवसेना के संजय राउत ने शून्यकाल में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) के निजीकरण का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि नोटबंदी व कोविड—19 महामारी के कारण देश की आर्थिक व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है. हमारी जीडीपी और हमारा रिजर्व बैंक भी खस्ताहाल हो गया है.

उन्होंने कहा कि यही वजह है कि आज रेलवे, एलआईसी, एयर इंडिया का निजीकरण किया जा रहा है. जेएनपीटी एक लाभकारी उपक्रम है और सरकार को 30 फीसदी से अधिक मुनाफा देता है. सरकार इसके निजीकरण पर विचार कर रही है. इसके निजीकरण का मतलब राष्ट्रीय संपत्ति को गहरा नुकसान होना है. युद्ध के दौरान नौसेना के बाद इस बंदरगाह ने साजोसामान की ढुलाई में भी अहम भूमिका निभाई है.

यह भी पढ़ें - शिवसेना सांसद संजय राउत का तंज, क्या भाभीजी पापड़ से ठीक हो रहा कोरोना ?

उन्होंने कहा कि इस पोर्ट ट्रस्ट के निजीकरण का मतलब है 7000 एकड जमीन को निजी हाथों में दे देना. इससे बेरोजगारी भी बढेगी क्योंकि निजीकरण होने पर सबसे पहले कामगारों की छंटनी होगी. यह एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी यह खास है.

नयी दिल्लीः शिवसेना ने सरकार से मांग की कि वह लाभकारी एवं राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट का निजीकरण नहीं करे.

शिवसेना के संजय राउत ने शून्यकाल में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) के निजीकरण का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि नोटबंदी व कोविड—19 महामारी के कारण देश की आर्थिक व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है. हमारी जीडीपी और हमारा रिजर्व बैंक भी खस्ताहाल हो गया है.

उन्होंने कहा कि यही वजह है कि आज रेलवे, एलआईसी, एयर इंडिया का निजीकरण किया जा रहा है. जेएनपीटी एक लाभकारी उपक्रम है और सरकार को 30 फीसदी से अधिक मुनाफा देता है. सरकार इसके निजीकरण पर विचार कर रही है. इसके निजीकरण का मतलब राष्ट्रीय संपत्ति को गहरा नुकसान होना है. युद्ध के दौरान नौसेना के बाद इस बंदरगाह ने साजोसामान की ढुलाई में भी अहम भूमिका निभाई है.

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उन्होंने कहा कि इस पोर्ट ट्रस्ट के निजीकरण का मतलब है 7000 एकड जमीन को निजी हाथों में दे देना. इससे बेरोजगारी भी बढेगी क्योंकि निजीकरण होने पर सबसे पहले कामगारों की छंटनी होगी. यह एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी यह खास है.

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