शिरडी :महाराष्ट्र में साईंबाबा के जन्मस्थान को लेकर चल रहा विवाद अब सुलझ गया है. सरकार पाथरी को साईं जन्मस्थल का दर्जा नहीं देगी, लेकिन पाथरी को तीर्थस्थल के रूप में विकसित करने के लिए 100 करोड़ रूपए दिए जाएंगे.
मुख्यमंत्री को इस मामले पर बढ़ते विवाद को देखते हुए बैकफुट पर जाना पड़ा. उद्धव ठाकरे ने शिरडी के लोगों से आंदोलन समाप्त करने की अपील की थी और इस मामले पर सोमवार को बैठक भी बुलाई थी.
वहीं सोमवार को हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे उपमुख्यमंत्री अजित पवार भाजपा विधायक राधाकृष्ण विखे पाटिल, सदाशिव लोखंडे और शिरडी मंदिर न्यास के न्यास के सीइओ समेत अन्य मौजूद रहे.
शिरडी के साईंबाबा के जन्मस्थान को लेकर शुरू हुआ विवाद सुलझ गया है. महाराष्ट्र सरकार पाथरी को साईं जन्मस्थान का दर्जा नहीं देगी. लेकिन, पाथरी को तीर्थस्थल के रूप में विकसित करने के लिए 100 करोड़ रूपए दिए जाएंगे. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया. इस आश्वासन के बाद बुलाया गया बंद वापस ले लिया गया.
बैठक के दौरान उद्धव ने बताया कि औरंगाबाद में हुई बैठक के दौरान उन्हे पाथरी के बारे में जो जानकारी मिली थी उसके आधार पर उन्होंने बयान दिया था. उनका मकसद किसी की धार्मिक आस्था को आहत करना नहीं था.
उद्धव ने कहा कि अगर शिरडी के लोग पहसे इस मामले पर चर्चा कर लेते तो बंद बुलाने की जरूरत ही नहीं पड़ती.
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बता दें कि यह बंद ठाकरे के उस बयान के बाद किया गया था जिसमें उन्होंने अहमदनगर जिले के शिरडी से करीब 273 किलोमीटर दूर परभणि जिले के पाथरी में “साई जन्मस्थान” पर सुविधाओं के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये का अनुदान देने की बात कही थी.