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लाइट हिंदुत्व से उत्तर भारत में खत्म हो जाएगी कांग्रेसः शशि थरूर

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने आरोप लगाया कि भाजपा शासन और उसके सहयोगियों द्वारा हिंदू होने का दावा करना 'ब्रिटिश फुटबॉल के बदमाश समर्थकों' की अपनी टीम के प्रति वफादारी से अलग नहीं है. कांग्रेस सांसद ने अपनी पुस्तक 'द हिंदू वे: एन इंट्रोडक्शन टू हिंदुइज्म' के लोकार्पण से पहले एक साक्षात्कार में यह बातें कहीं. पढ़ें विस्तार से...

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर (फाइल फोटो)
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Published : Sep 10, 2019, 12:16 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 2:49 AM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने जोर दिया है कि कांग्रेस पार्टी का यह कर्तव्य है कि वह धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करे. उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी पट्टी में पार्टी के संकट 'बहुसंख्यक तुष्टिकरण' या 'कोक लाइट' की तर्ज पर किसी तरह के 'लाइट हिंदुत्व' की पेशकश करने से दूर नहीं हो सकता हैं. इस रास्ते पर चल कर 'कांग्रेस जीरो' हो जाएगी.

थरूर ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा शासन और उसके सहयोगियों द्वारा हिंदू होने का दावा करना 'ब्रिटिश फुटबॉल के बदमाश समर्थकों' की अपनी टीम के प्रति वफादारी से अलग नहीं है.

कांग्रेस सांसद ने अपनी पुस्तक 'द हिंदू वे: एन इंट्रोडक्शन टू हिंदुइज्म' के लोकार्पण से पहले एक साक्षात्कार में बताया.

उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे लोग जो प्रचार कर रहे हैं वह सही मायनों में हिंदुत्व नहीं है. एक महान मत को 'विकृत' किया जा रहा है. इसे इन लोगों ने विशुद्ध राजनीतिक और चुनावी लाभ के लिए एक संकीर्ण राजनीतिक औजार में तब्दील कर दिया है.

थरूर ने कहा कि एक सतर्क आशावादी के रूप में वह कहना चाहेंगे कि युवाओं सहित पर्याप्त संख्या में ऐसे भारतीय हैं, जो हालिया 'रूढ़िवादी प्रवृत्ति' का विरोध करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. वे लगातार यह सुनिश्चित करेंगे कि 'भारत के बारे में विकृत विचार' सफल न हो.

केरल के तिरुअनंतपुरम से लोकसभा सदस्य ने कहा, 'कांग्रेस पार्टी के सदस्य के रूप में मेरा मानना है कि भारत में धर्मनिपेक्षता की रक्षा करने में पार्टी की एक मौलिक भूमिका है और इसका नेतृत्व करना उसका कर्तव्य है.'

उन्होंने कहा, 'जो लोग यह सुझाव दे रहे हैं कि हिंदी पट्टी में पार्टी के संकट का समाधान भाजपा की तरह 'बहुसंख्यक तुष्टीकरण' में है. वह बड़ी गलती कर रहे हैं, यदि मतदाता को असली चीज और उसकी नकल के बीच में से किसी एक को चुनने का विकल्प दिया जाए, तो वह हर बार असली को चुनेगा.'

थरूर ने कहा कि भाजपा की सफलता से भयभीत होने के बजाय कांग्रेस के लिए बेहतर होगा कि वह सिद्धांतों के लिए खड़ी हो. जिनपर उसने हमेशा ही विश्वास किया है और देश से अपने सिद्धांतों का अनुसरण करने के लिए अनुरोध करे.

पढ़ें- कांग्रेस नेता शशि थरूर का 'शेक्सपियर' अवतार, फोटो वायरल

थरूर (63) ने कहा, 'निष्ठावान लोग एक ऐसी पार्टी का सम्मान करेंगे जो हमारे विश्वासों के साहस को प्रदर्शित करे, न कि 'कोक लाइट' और 'पेप्सी जीरो' की तर्ज पर किसी तरह के 'लाइट हिंदुत्व' की पेशकश करे क्योंकि 'लाइट हिंदुत्व' का अंत सिर्फ 'जीरो कांग्रेस' के रूप में होगा.

उल्लेखनीय है कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में पूरी हिंदी पट्टी से कांग्रेस पार्टी का सफाया हो गया. इसके बाद पार्टी के भीतर और बाहर कुछ लोगों ने यह सुझाव दिया कि कांग्रेस को 'अल्पसंख्यक तुष्टिकरण' को लेकर भाजपा की कहानी का जवाब देने और अपनी धर्मनिरपेक्ष पहचान पर नरम रुख अपनाने की जरूरत है.

बता दें 'कोक लाइट' और 'पेप्सी जीरो' अपने मूल सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांड के चीनी रहित और कैलोरी रहित संस्करण हैं.

थरूर ने कहा, 'हिंदुत्व की खूबसूरती यह है कि हमारे यहां कानून बनाने के लिए कोई पोप नहीं है, कोई इमाम फतवा जारी कर यह नहीं बताता है कि सच्चा मत क्या है, कोई अकेला पवित्र ग्रंथ नहीं है. हिंदू मत में ऐसी कोई बात नहीं है.'

उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता एक ऐसा शब्द है जिसे अक्सर ही सही अर्थों में नहीं समझा जाता है. पश्चिमी शब्दकोशों में इसे धर्म की की गैरमौजूदगी के रूप में और धर्म से दूरी बनाने के तौर पर परिभाषित किया गया है. लेकिन हकीकत में भारतीय धर्मनिरपेक्षता(पंथनिरपेक्षता) का मतलब हमेशा ही धर्मों की प्रचुरता से रहा है और सरकार सभी (धर्मों) के साथ संबंध रखती है लेकिन किसी को विशेषाधिकार नहीं देती.

उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टियों और द्रमुक जैसे राजनीतिक दलों का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में धर्मनिरपेक्षता का मतलब अधार्मिकता से नहीं है.

थरूर ने कोलकाता के दुर्गा पूजा समारोहों का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि देवी दुर्गा के सर्वाधिक भव्य पूजा पंडाल बनाने के लिए कम्युनिस्ट पार्टियों में एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा रहती है.
उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा शासन के दौरान धर्म के आधार पर लोगों को बांटने के लिए कपटपूर्ण कोशिशें की गई हैं.

पढ़ें- शशि थरूर के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर फैसला सुरक्षित

हालांकि, उन्होंने कहा, 'कांग्रेस यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि हर धर्म को भारत में फूलने-फलने के लिए अवसर मिले. पार्टी की यह परंपरा नहीं बदलेगी, भले ही हमारे कुछ राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी ऐसे विकृत बयान को बढ़ावा देते हों.'

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा शासन और उसके सहयोगी दलों ने वेदों, उपनिषदों, पुराणों और गीता के गौरव को छीन लिया तथा उन्हें अप्रासंगिक बना दिया.

थरूर ने आरोप लगाया, 'इस संदेश को सत्ता में बैठे लोग नजरअंदाज कर रहे हैं क्योंकि उन्हें तो सिर्फ हिंदू एकीकरण से राजनीतिक फायदे की परवाह है.'

नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने जोर दिया है कि कांग्रेस पार्टी का यह कर्तव्य है कि वह धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करे. उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी पट्टी में पार्टी के संकट 'बहुसंख्यक तुष्टिकरण' या 'कोक लाइट' की तर्ज पर किसी तरह के 'लाइट हिंदुत्व' की पेशकश करने से दूर नहीं हो सकता हैं. इस रास्ते पर चल कर 'कांग्रेस जीरो' हो जाएगी.

थरूर ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा शासन और उसके सहयोगियों द्वारा हिंदू होने का दावा करना 'ब्रिटिश फुटबॉल के बदमाश समर्थकों' की अपनी टीम के प्रति वफादारी से अलग नहीं है.

कांग्रेस सांसद ने अपनी पुस्तक 'द हिंदू वे: एन इंट्रोडक्शन टू हिंदुइज्म' के लोकार्पण से पहले एक साक्षात्कार में बताया.

उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे लोग जो प्रचार कर रहे हैं वह सही मायनों में हिंदुत्व नहीं है. एक महान मत को 'विकृत' किया जा रहा है. इसे इन लोगों ने विशुद्ध राजनीतिक और चुनावी लाभ के लिए एक संकीर्ण राजनीतिक औजार में तब्दील कर दिया है.

थरूर ने कहा कि एक सतर्क आशावादी के रूप में वह कहना चाहेंगे कि युवाओं सहित पर्याप्त संख्या में ऐसे भारतीय हैं, जो हालिया 'रूढ़िवादी प्रवृत्ति' का विरोध करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. वे लगातार यह सुनिश्चित करेंगे कि 'भारत के बारे में विकृत विचार' सफल न हो.

केरल के तिरुअनंतपुरम से लोकसभा सदस्य ने कहा, 'कांग्रेस पार्टी के सदस्य के रूप में मेरा मानना है कि भारत में धर्मनिपेक्षता की रक्षा करने में पार्टी की एक मौलिक भूमिका है और इसका नेतृत्व करना उसका कर्तव्य है.'

उन्होंने कहा, 'जो लोग यह सुझाव दे रहे हैं कि हिंदी पट्टी में पार्टी के संकट का समाधान भाजपा की तरह 'बहुसंख्यक तुष्टीकरण' में है. वह बड़ी गलती कर रहे हैं, यदि मतदाता को असली चीज और उसकी नकल के बीच में से किसी एक को चुनने का विकल्प दिया जाए, तो वह हर बार असली को चुनेगा.'

थरूर ने कहा कि भाजपा की सफलता से भयभीत होने के बजाय कांग्रेस के लिए बेहतर होगा कि वह सिद्धांतों के लिए खड़ी हो. जिनपर उसने हमेशा ही विश्वास किया है और देश से अपने सिद्धांतों का अनुसरण करने के लिए अनुरोध करे.

पढ़ें- कांग्रेस नेता शशि थरूर का 'शेक्सपियर' अवतार, फोटो वायरल

थरूर (63) ने कहा, 'निष्ठावान लोग एक ऐसी पार्टी का सम्मान करेंगे जो हमारे विश्वासों के साहस को प्रदर्शित करे, न कि 'कोक लाइट' और 'पेप्सी जीरो' की तर्ज पर किसी तरह के 'लाइट हिंदुत्व' की पेशकश करे क्योंकि 'लाइट हिंदुत्व' का अंत सिर्फ 'जीरो कांग्रेस' के रूप में होगा.

उल्लेखनीय है कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में पूरी हिंदी पट्टी से कांग्रेस पार्टी का सफाया हो गया. इसके बाद पार्टी के भीतर और बाहर कुछ लोगों ने यह सुझाव दिया कि कांग्रेस को 'अल्पसंख्यक तुष्टिकरण' को लेकर भाजपा की कहानी का जवाब देने और अपनी धर्मनिरपेक्ष पहचान पर नरम रुख अपनाने की जरूरत है.

बता दें 'कोक लाइट' और 'पेप्सी जीरो' अपने मूल सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांड के चीनी रहित और कैलोरी रहित संस्करण हैं.

थरूर ने कहा, 'हिंदुत्व की खूबसूरती यह है कि हमारे यहां कानून बनाने के लिए कोई पोप नहीं है, कोई इमाम फतवा जारी कर यह नहीं बताता है कि सच्चा मत क्या है, कोई अकेला पवित्र ग्रंथ नहीं है. हिंदू मत में ऐसी कोई बात नहीं है.'

उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता एक ऐसा शब्द है जिसे अक्सर ही सही अर्थों में नहीं समझा जाता है. पश्चिमी शब्दकोशों में इसे धर्म की की गैरमौजूदगी के रूप में और धर्म से दूरी बनाने के तौर पर परिभाषित किया गया है. लेकिन हकीकत में भारतीय धर्मनिरपेक्षता(पंथनिरपेक्षता) का मतलब हमेशा ही धर्मों की प्रचुरता से रहा है और सरकार सभी (धर्मों) के साथ संबंध रखती है लेकिन किसी को विशेषाधिकार नहीं देती.

उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टियों और द्रमुक जैसे राजनीतिक दलों का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में धर्मनिरपेक्षता का मतलब अधार्मिकता से नहीं है.

थरूर ने कोलकाता के दुर्गा पूजा समारोहों का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि देवी दुर्गा के सर्वाधिक भव्य पूजा पंडाल बनाने के लिए कम्युनिस्ट पार्टियों में एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा रहती है.
उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा शासन के दौरान धर्म के आधार पर लोगों को बांटने के लिए कपटपूर्ण कोशिशें की गई हैं.

पढ़ें- शशि थरूर के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर फैसला सुरक्षित

हालांकि, उन्होंने कहा, 'कांग्रेस यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि हर धर्म को भारत में फूलने-फलने के लिए अवसर मिले. पार्टी की यह परंपरा नहीं बदलेगी, भले ही हमारे कुछ राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी ऐसे विकृत बयान को बढ़ावा देते हों.'

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा शासन और उसके सहयोगी दलों ने वेदों, उपनिषदों, पुराणों और गीता के गौरव को छीन लिया तथा उन्हें अप्रासंगिक बना दिया.

थरूर ने आरोप लगाया, 'इस संदेश को सत्ता में बैठे लोग नजरअंदाज कर रहे हैं क्योंकि उन्हें तो सिर्फ हिंदू एकीकरण से राजनीतिक फायदे की परवाह है.'

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CONG-THAROOR-LD INTERVIEW
Cong's duty to defend secular space, 'Hindutva Lite' not answer to Hindi heartland woes: Tharoor
By Asim Kamal
(Eds: PTI EXCLUSIVE)
         New Delhi, Sep 8 (PTI) Asserting that the Congress has a duty to defend secular space, senior leader Shashi Tharoor on Sunday said the answer to the party's woes in Hindi heartland does not lie in "majority appeasement" or offering some sort of a "Hindutva Lite" like a "Coke Lite" as such a pursuit will only end up in being "Congress Zero".
         He also alleged that for the BJP dispensation and its allies being a Hindu is no different from the team identity loyalty of the "British football hooligan".
         In an interview to PTI ahead of the launch of his book 'The Hindu Way: An Introduction to Hinduism', Tharoor claimed that what those in power are propagating is not Hinduism in any true sense, but a "grotesque deformation" of a glorious faith, which they have converted into a narrow-minded political tool to serve purely political and electoral gains.
         Tharoor said, as a cautious optimist he would argue that there are enough like-minded Indians, including among youth, who are committed to resisting recent "chauvinistic trends" and will continue to ensure that a "distorted idea of India" does not prevail.
         "As a member of the Congress party, I do believe that the party has a fundamental role -- and a duty to take the lead -- in defending the secular space in India," the Thiruvananthapuram MP said.
         "Those who are suggesting that the answer to the party's woes in the Hindi heartland is to become more like the BJP in 'majority- appeasement' are making a cardinal error: if the voter is presented with a choice between the original article and a pale imitation, he will choose the original every time," he said.
         Tharoor argued that rather than allowing itself to be intimidated by the BJP's success, it is far better for the Congress to stand up for what it has always believed in and urge the country to follow its principles.
         "The loyalist will respect a party that demonstrates the courage of our convictions rather than offering some sort of 'Hindutva Lite'; like 'Coke Lite' and 'Pepsi Zero', 'Hindutva Lite' will only end up with 'Congress Zero'," the 63-year-old leader said.
         Tharoor's remarks come following Congress' washout in the Hindi heartland in the Lok Sabha polls and suggestions by some from both within and outside the party that it needs to counter the BJP narrative of "minority appeasement" and go soft on its secularism refrain.
         'Coke Lite' and 'Pepsi Zero' are sugar-free and no-calorie variants of the original soft drinks.
         Asserting that 'secularism' is a word that is often misunderstood, Tharoor said western dictionaries have defined secularism essentially as the absence of religion and distancing from religion, but in reality, Indian secularism has always meant a profusion of religions and the state engaging with all of them but privileging none.
         Secularism in India did not mean irreligiousness, which even avowedly atheist parties like the Communists or the DMK found unpopular amongst their voters, he said.
         Tharoor also cited the example of Kolkata's annual Durga Puja extravaganza, during which, he said, the Communist parties compete with each other to put up the most lavish Puja pandals to the goddess Durga.
         Throughout the decades after Independence, the political culture of the country reflected these 'secular' assumptions and attitudes, but that has started to change in recent times, Tharoor argued.
         Under the present ruling dispensation, "insidious and often overt attempts" have been made to differentiate and divide on the basis of religion, the Congress leader alleged.
         He, however, asserted that the Congress party remains committed to the definition of 'secularism' that all religions are equally important, welcomed, respected and celebrated within the party.
         "The Congress remains committed to ensuring that each of these faiths and customs are given the space to grow and thrive in India that tradition of the party will not change, irrespective of the distorted versions that some of our political rivals may promote," he said.
         Tharoor also said the most remarkable aspect of Hinduism, as highlighted in his new book, is that while versions of the faith come with their own prescriptions and proscriptions, there is no one universal way or regime that Hinduism requires every believer to subscribe to.
         "The faith is not a monolith -- you are free to choose what set of beliefs you believe in, which manifestations of the divine you choose to worship and on what days, which of multiple sacred books to choose from, what convictions you would like to hold dear, and ultimately, equally free to reject any assumptions or requirements that do not sit well with your worldview," he said.
         "The beauty of Hinduism is that we have no Pope to lay down the law, no imams issuing fatwas as to what constitutes true beliefs, no single sacred text from which deviations are impermissible. There is no such thing as a Hindu heresy," Tharoor said.
         He alleged the BJP dispensation and its allies have taken the soaring majesty of the Vedas, Upanishads, Puranas and the Gita and reduced them to "irrelevance".
         Quoting Swami Vivekananda, he said true Hinduism is not just about tolerance, rather it is about acceptance, which includes acceptance of difference, both within the faith and of other faiths.
         This is a message that those in power ignore since they only care about political gains from 'Hindu consolidation', Tharoor alleged. PTI ASK
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Last Updated : Sep 30, 2019, 2:49 AM IST
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