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छह सालों में पाक और अफगानिस्तान के करीब चार हजार लोगों को दी गई भारतीय नागरिकता

पूरे देश में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है. इस दौरान गृहमंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि पिछले छह वर्ष में पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए सैकड़ों मुस्लिमों समेत चार हजार लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई है. पढ़ें पूरी खबर...

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अमित शाह ( फाइल फोटो)
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Published : Dec 19, 2019, 12:07 AM IST

नई दिल्ली : पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के करीब चार हजार लोगों को बीते छह साल में भारत की नागरिकता दी गई है, इसमें सैंकड़ों मुस्लिम भी शामिल हैं. यह जानकारी बुधवार को गृह मंत्रालय के अधिकारी ने दी.

यह जानकारी ऐसे में समय में सामने आई है, जब देश के अलग अलग हिस्सों में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं. इस कानून में इन तीन देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है.

अधिकारी ने बताया कि पिछले छह साल में, 2,830 पाकिस्तानियों, 912 अफगानिस्तानियों और 172 बांग्लादेशियों को भारत की नागरिकता दी गई है. इन में सैंकड़ों मुस्लिम लोग शामिल हैं.

उन्होंने बताया कि ऐसे प्रवासियों को पात्रता की शर्तों को पूरा करने पर आगे भी भारतीय नागरिकता दी जाएगी.

अधिकारी ने कहा कि सीएए दूसरे देशों से ताल्लुक रखने वाले किसी भी धार्मिक समुदाय को निशाना नहीं बनाता है.

कानून का विरोध करने वालों का कहना है कि यह अधिनियम नागरिकता देने में मजहब को आधार बनाता है.

अधिकारी ने कहा कि इन पड़ोसी देशों में मुस्लिम समुदाय बहुसंख्यक है और अगर वे कानून में दी गई पात्रता को पूरा करते हैं तो उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी.

पढ़ें : CAA विवाद : विरोध के जवाब में अब इसके समर्थन में होंगे कई प्रदर्शन

उन्होंने बताया कि चार हजार लोगों के अलावा, 50 से ज्यादा बांग्लादेशी क्षेत्रों को भारत में मिलाने के बाद 14,864 बांग्लादेशियों को भारत की नागरिकता दी गई है. इन क्षेत्रों को 2014 में दोनों देशों के बीच हुए सीमा समझौते के बाद भारत में शामिल किया गया था.

सीएए के मुताबिक, 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के सदस्य भारत आ गए हैं और उनके साथ

धर्म की वजह से वहां पर अत्याचार हुआ है, उन्हें अवैध प्रवासी नहीं समझा जाएगा और भारत की नागरिकता दी जाएगी.

गौरतलब है कि इस महीने के शुरू में अधिनियम को संसद की मंजूरी मिल गई थी.

भारत सरकार 2015-2016 में नियमों में बदलाव करके दिसंबर 2014 तक इन तीन पड़ोसी देशों के छह अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के भारत में प्रवेश करने और यहां रहने को पहले ही वैध कर चुकी है.

भारत सरकार ने ऐसे प्रवासियों को भारत में लंबे वक्त तक निवास करने के लिए लंबी अवधि का वीजा (एलटीवी) देने का पात्र बना दिया है.

अगर वे शर्तों को पूरा करते हैं तो अब सीएए उनको भारत की नागरिकता लेने में सक्षम बनाता है. यानी अगर वे 31 दिसंबर 2014 से पहले इन तीन देशों से भारत में आ गए हों.

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि अलग अलग मौकों पर भारत सरकार ने भागकर भारत आए भारतीय मूल के विदेशियों के निवास एवं नागरिकता संबंधी चिंताओं का ध्यान रखने के लिए पहले भी विशेष प्रावधान किए हैं.

पढ़ें : जब प्रदर्शनकारियों से पूछा क्या है CAA, तो यह था उनका जवाब...

उदाहरण के तौर पर, भारत के संविधान का अनुच्छेद छह कहता है कि जो शख्स 19 जुलाई 1948 से पहले पाकिस्तान से भारत आ गया है, उसे भारतीय नागरिक माना जाएगा.
दूसरे, अगर वह 19 जुलाई 1948 के बाद भारत आता है तो उसे भारत में छह महीने रहने के बाद भारतीय नागरिक के तौर पर दर्ज किया जाएगा.

इसी तरह से 1964 और 1974 में भारत और श्रीलंका की सरकारों के बीच हुए अंतरराष्ट्रीय समझौतों के बाद 1964 से 2008 के दौरान 4.61 लाख भारतीय मूल के तमिलों को भारत की नागरिकता दी गई है.

फिलहाल, 95,000 श्रीलंकाई शरणार्थी तमिलनाडु में रह रहे हैं.

साल1962-78 के बीच बर्मा में रहने वाले भारतीय मूल के दो लाख से ज्यादा लोग भागकर यहां आ गए क्योंकि वहां पर कई कारोबार का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था.
वे भारत के अलग अलग हिस्सों में बसे हुए हैं.

पढ़ें : नागरिकता कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की स्टे की मांग, केंद्र को भेजा नोटिस

साल 2004 में, केंद्र सरकार ने गुजरात और राजस्थान के छह कलेक्टरों को नागरिकता देने संबंधी अधिकार सौंप दिए थे.

नई दिल्ली : पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के करीब चार हजार लोगों को बीते छह साल में भारत की नागरिकता दी गई है, इसमें सैंकड़ों मुस्लिम भी शामिल हैं. यह जानकारी बुधवार को गृह मंत्रालय के अधिकारी ने दी.

यह जानकारी ऐसे में समय में सामने आई है, जब देश के अलग अलग हिस्सों में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं. इस कानून में इन तीन देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है.

अधिकारी ने बताया कि पिछले छह साल में, 2,830 पाकिस्तानियों, 912 अफगानिस्तानियों और 172 बांग्लादेशियों को भारत की नागरिकता दी गई है. इन में सैंकड़ों मुस्लिम लोग शामिल हैं.

उन्होंने बताया कि ऐसे प्रवासियों को पात्रता की शर्तों को पूरा करने पर आगे भी भारतीय नागरिकता दी जाएगी.

अधिकारी ने कहा कि सीएए दूसरे देशों से ताल्लुक रखने वाले किसी भी धार्मिक समुदाय को निशाना नहीं बनाता है.

कानून का विरोध करने वालों का कहना है कि यह अधिनियम नागरिकता देने में मजहब को आधार बनाता है.

अधिकारी ने कहा कि इन पड़ोसी देशों में मुस्लिम समुदाय बहुसंख्यक है और अगर वे कानून में दी गई पात्रता को पूरा करते हैं तो उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी.

पढ़ें : CAA विवाद : विरोध के जवाब में अब इसके समर्थन में होंगे कई प्रदर्शन

उन्होंने बताया कि चार हजार लोगों के अलावा, 50 से ज्यादा बांग्लादेशी क्षेत्रों को भारत में मिलाने के बाद 14,864 बांग्लादेशियों को भारत की नागरिकता दी गई है. इन क्षेत्रों को 2014 में दोनों देशों के बीच हुए सीमा समझौते के बाद भारत में शामिल किया गया था.

सीएए के मुताबिक, 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के सदस्य भारत आ गए हैं और उनके साथ

धर्म की वजह से वहां पर अत्याचार हुआ है, उन्हें अवैध प्रवासी नहीं समझा जाएगा और भारत की नागरिकता दी जाएगी.

गौरतलब है कि इस महीने के शुरू में अधिनियम को संसद की मंजूरी मिल गई थी.

भारत सरकार 2015-2016 में नियमों में बदलाव करके दिसंबर 2014 तक इन तीन पड़ोसी देशों के छह अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के भारत में प्रवेश करने और यहां रहने को पहले ही वैध कर चुकी है.

भारत सरकार ने ऐसे प्रवासियों को भारत में लंबे वक्त तक निवास करने के लिए लंबी अवधि का वीजा (एलटीवी) देने का पात्र बना दिया है.

अगर वे शर्तों को पूरा करते हैं तो अब सीएए उनको भारत की नागरिकता लेने में सक्षम बनाता है. यानी अगर वे 31 दिसंबर 2014 से पहले इन तीन देशों से भारत में आ गए हों.

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि अलग अलग मौकों पर भारत सरकार ने भागकर भारत आए भारतीय मूल के विदेशियों के निवास एवं नागरिकता संबंधी चिंताओं का ध्यान रखने के लिए पहले भी विशेष प्रावधान किए हैं.

पढ़ें : जब प्रदर्शनकारियों से पूछा क्या है CAA, तो यह था उनका जवाब...

उदाहरण के तौर पर, भारत के संविधान का अनुच्छेद छह कहता है कि जो शख्स 19 जुलाई 1948 से पहले पाकिस्तान से भारत आ गया है, उसे भारतीय नागरिक माना जाएगा.
दूसरे, अगर वह 19 जुलाई 1948 के बाद भारत आता है तो उसे भारत में छह महीने रहने के बाद भारतीय नागरिक के तौर पर दर्ज किया जाएगा.

इसी तरह से 1964 और 1974 में भारत और श्रीलंका की सरकारों के बीच हुए अंतरराष्ट्रीय समझौतों के बाद 1964 से 2008 के दौरान 4.61 लाख भारतीय मूल के तमिलों को भारत की नागरिकता दी गई है.

फिलहाल, 95,000 श्रीलंकाई शरणार्थी तमिलनाडु में रह रहे हैं.

साल1962-78 के बीच बर्मा में रहने वाले भारतीय मूल के दो लाख से ज्यादा लोग भागकर यहां आ गए क्योंकि वहां पर कई कारोबार का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था.
वे भारत के अलग अलग हिस्सों में बसे हुए हैं.

पढ़ें : नागरिकता कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की स्टे की मांग, केंद्र को भेजा नोटिस

साल 2004 में, केंद्र सरकार ने गुजरात और राजस्थान के छह कलेक्टरों को नागरिकता देने संबंधी अधिकार सौंप दिए थे.

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2,830 people from Pak, 912 from Afghanistan given citizenship in last 6 yrs; many Muslims: Officials
          New Delhi, Dec 18 (PTI) Nearly 4,000 people from Pakistan, Afghanistan and Bangladesh, hundreds of them Muslims, have been given Indian citizenship in the past six years, a senior Home Ministry official said on Wednesday.
          The disclosure came amidst protests, some of them violent, in different parts of the country against the Citizenship (Amendment) Act, which seeks to grant Indian citizenship to non-Muslim migrants from these three neighbouring countries.
          As many as 2,830 people from Pakistan, 912 from Afghanistan and 172 from Bangladesh have been given Indian citizenship in the past six years and hundreds of them were Muslims, the official said, adding that such migrants will continue to get Indian citizenship if they fulfil eligibility conditions.
          The Citizenship (Amendment) Act does not target any religious community from abroad, he asserted.
          Those opposed to the law have objected to making religion as the basis of granting citizenship.
          The official said Muslims are the majority community in these neighbouring countries and they will continue to get Indian citizenship if they fulfil eligibility conditions already provided in the law for registration or naturalisation.
          Besides the 4,000-odd people, about 14,864 Bangladeshi nationals were also granted Indian citizenship after incorporating more than 50 enclaves of Bangladesh into Indian territory post the boundary agreement between the two countries in 2014, the official said.
          According to the CAA, members of Hindu, Sikh, Buddhist, Jain, Parsi and Christian communities who have come from Pakistan, Bangladesh and Afghanistan till December 31, 2014 and facing religious persecution there will not be treated as illegal immigrants but given Indian citizenship.
          The Act got the approval of the Parliament and assented by the President earlier this month.
          The Citizenship (Amendment) Bill has been in public domain since 2016. It was cleared by a 30-member parliamentary committee consisting of Lok Sabha and Rajya Sabha members.
          The present Act is broadly based on the same Bill.
          By amending the appropriate rules during 2015-16, the government of India had already legalised entry as well as stay of such foreign migrants belonging to six minority communities from these three countries who had come into India up to December, 2014 because of persecution on grounds of religion.
          The government of India had made such migrants also eligible for grant of Long Term Visa (LTV) to stay in India for a long time.
          The CAA now enables them to take Indian citizenship if they fulfil conditions/qualifications for such citizenship provided they migrated from these three countries before December 31, 2014.
          Another official said on different occasions special provisions have been made by the government of India in the past to accommodate the concerns of stay and citizenship of foreigners of Indian origin who had to flee to India.
          For example, Article 6 of the Constitution of India provides that a person who has migrated to India from Pakistan before July 19, 1948 shall be deemed to be Indian citizen.
          Secondly, even if he has migrated on or after this date he was registered as Indian citizen after staying for only six months in India.
          Similarly, 4.61 lakh Tamils of Indian origin were given Indian citizenship during the years 1964-2008 after signing of international agreements in 1964 and 1974 between the two countries.
          Presently, about 95,000 Sri Lankan refugees are living in Tamil Nadu. They are being given rations, doles and other facilities by the central and state governments.
          They can apply for Indian citizenship as and when they become eligible to do so.
          During 1962-78, more than two lakh Burmese of Indian origin fled from Burma after many trades and businesses were nationalised there and properties of such Indians were forcibly taken by the State.
          They were settled in various parts of India.
          In 2004, the central government delegated the power to grant citizenship by registration to six collectors of Gujarat and Rajasthan states and the government of Gujarat in respect of Hindu migrants displaced due to 1965 and 1971 wars or those Hindu migrants who had migrated from Pakistan five years before.
          This delegation of power was initially for one year but the same was extended for another year in 2005 and then again in 2006.
          The CAA does not target any religious community from abroad. It only provides a mechanism for some migrants who may otherwise have been called "illegal" depriving them of opportunity to apply for Indian citizenship provided they meet certain conditions, the official said.
          The central government will frame rules to operationalise the provisions of the CAA.
          No migrant from these communities will become Indian citizen automatically. He will have to apply online and the competent authority would see whether he fulfils all the qualifications for registration or naturalization as Indian citizen, the official said. PTI ACB
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