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ऑटिस्टिक बच्चे की जान बचाने के लिए IPS ने ऊंटनी का दूध राजस्थान से ओडिशा पहुंचाने में की मदद

पूरे देश में लॉकडाउन के कारण कई लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच एक साढ़े तीन साल के ऑटिस्टिक बच्चे की जान बचाने के लिए ओडिशा के आईपीएस अधिकारी अरुण बोथरा ने ऊंटनी का दूध राजस्थान से ओडिशा के गंजम जिले तक लाने में मदद की है. पढ़ें पूरी खबर...

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बच्चे की जान बचाने के लिए IPS ने राजस्थान से ऊंट का दूध ओडिशा लाने में की मदद
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Published : Apr 26, 2020, 8:05 PM IST

Updated : Apr 26, 2020, 8:32 PM IST

बरहामपुर (ओडिशा) : पूरे देश में लॉकडाउन के कारण कई लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच एक साढ़े तीन साल के ऑटिस्टिक बच्चे की जान बचाने के लिए ओडिशा के आईपीएस अधिकारी अरुण बोथरा ने ऊंटनी का दूध राजस्थान से ओडिशा के गंजम जिले तक लाने में मदद की है.

जानकारी के मुताबिक दो दिनों के भीतर दुध दिल्ली से हॉवड़ा पहुंचा, जिसके बाद उसे बच्चे के परिवार तक पहुंचाया गया. राजस्थान से दुध मंगवाने में आईपीएस अधिकारी अरुण बोथरा ने काफी मदद की.

ऑटिज्म बीमारी से शिकार बच्चे के लिए 10 लीटर दुध के साथ दो मिल्क पाउडर के पैकेट भी भेजे गए हैं. बच्चे के माता-पिता ने मदद के लिए आईपीएस अधिकारी को धन्यवाद दिया. इस काम के लिए अरुण बोथरा की काफी सराहना की जा रही है.

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ऊंट का दूध

क्या है ऑटिज्म

ऑटिज्म एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है, जो बातचीत और दूसरे लोगों से व्यवहार करने की क्षमता को सीमित कर देता है. इसे ऑटिस्टिक स्पैक्ट्रम डिसॉर्डर भी कहा जाता है.

ऑटिज्म के शिकार बच्चों में से कुछ बच्चों का आईक्यू सामान्य बच्चों की तरह होता है, पर उन्हें बोलने और सामाजिक व्यवहार में परेशानी होती है. वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं, जिन्हें सीखने-समझने में परेशानी होती है और वह बार-बार एक ही तरह का व्यवहार करते हैं.

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ऑटिस्टिक बीमारी से पीड़ित बच्चा

ऑटिस्टिक बच्चों में सहानुभूति का अभाव होता है, इसलिए वह दूसरों तक अपनी भावनाएं नहीं पहुंचा पाते या उनके हाव-भाव व संकेतों को नहीं समझ पाते.

ऑटिज्म के कारण

वैज्ञानिकों को ऑटिज्म के वास्तविक कारणों के बारे में फिलहाल जानकारी नहीं मिल सकी है. लेकिन इस पर किए गए शोधों की बात करें तो कहा जाता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान मां में थाइरॉइड की कमी इस बीमारी का कारण हो सकती है.

बरहामपुर (ओडिशा) : पूरे देश में लॉकडाउन के कारण कई लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच एक साढ़े तीन साल के ऑटिस्टिक बच्चे की जान बचाने के लिए ओडिशा के आईपीएस अधिकारी अरुण बोथरा ने ऊंटनी का दूध राजस्थान से ओडिशा के गंजम जिले तक लाने में मदद की है.

जानकारी के मुताबिक दो दिनों के भीतर दुध दिल्ली से हॉवड़ा पहुंचा, जिसके बाद उसे बच्चे के परिवार तक पहुंचाया गया. राजस्थान से दुध मंगवाने में आईपीएस अधिकारी अरुण बोथरा ने काफी मदद की.

ऑटिज्म बीमारी से शिकार बच्चे के लिए 10 लीटर दुध के साथ दो मिल्क पाउडर के पैकेट भी भेजे गए हैं. बच्चे के माता-पिता ने मदद के लिए आईपीएस अधिकारी को धन्यवाद दिया. इस काम के लिए अरुण बोथरा की काफी सराहना की जा रही है.

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ऊंट का दूध

क्या है ऑटिज्म

ऑटिज्म एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है, जो बातचीत और दूसरे लोगों से व्यवहार करने की क्षमता को सीमित कर देता है. इसे ऑटिस्टिक स्पैक्ट्रम डिसॉर्डर भी कहा जाता है.

ऑटिज्म के शिकार बच्चों में से कुछ बच्चों का आईक्यू सामान्य बच्चों की तरह होता है, पर उन्हें बोलने और सामाजिक व्यवहार में परेशानी होती है. वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं, जिन्हें सीखने-समझने में परेशानी होती है और वह बार-बार एक ही तरह का व्यवहार करते हैं.

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ऑटिस्टिक बीमारी से पीड़ित बच्चा

ऑटिस्टिक बच्चों में सहानुभूति का अभाव होता है, इसलिए वह दूसरों तक अपनी भावनाएं नहीं पहुंचा पाते या उनके हाव-भाव व संकेतों को नहीं समझ पाते.

ऑटिज्म के कारण

वैज्ञानिकों को ऑटिज्म के वास्तविक कारणों के बारे में फिलहाल जानकारी नहीं मिल सकी है. लेकिन इस पर किए गए शोधों की बात करें तो कहा जाता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान मां में थाइरॉइड की कमी इस बीमारी का कारण हो सकती है.

Last Updated : Apr 26, 2020, 8:32 PM IST
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