चिक्कामगलुरु (कर्नाटक) : ऐसे कई सिद्धांत हैं जो ये साबित करते हैं कि भारत का सबसे बड़ा महाकाव्य-रामायण एक मिथक (कल्पित कथा) नहीं है. वहीं लोगों का यह विश्वास है कि चिकमगलूर में एक स्थान ऐसा है, जहां सीता ने उस समय स्नान किया था. यह देखने बहुत ही सुंदर और छोटा-सा झरना है, जिसमें पूरे साल पानी बहता है.
सीता वाना, कोप्पा से जयपुर के मुख्य मार्ग पर स्थित है. यह अलगेश्वर एस्टेट के पास है. यहां बना झरना पूरी तरह से शैवाल से भरा हुआ है और पानी के बहाव वाले क्षेत्र के आस-पास चूना पत्थर की मात्रा बढ़ गई है. यहां भारी नमी के बावजूद भी चट्टानें अपनी जगह खड़ी हैं.
लोगों का मानना है कि जब राम और सीता वनवास पर निकले थे उस समय राम ने सीता के स्नान के लिए इस झरने को बनाया था. झरने से, जिसे खुद राम ने बनाया था, आज भी पानी लगातार बह रहा है. यह किसी चमतकार से कम नहीं है, क्योंकि कोई नहीं जानता की इस पानी का स्रोत क्या है. झरने से बहने वाला पानी कहां से आता है इसकी कोई जानकारी नहीं है. एक और आश्चर्य की बात यह है कि यहां बरसात के मौसम में पानी बहुत कम होता है और गर्मी के मौसम में पानी का प्रवाह अधिक होता है.
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स्थानीय लोगों और पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम ने अपने धनुष-बाण से जमीन पर निशाना साधा था, क्योंकि उनकी पत्नी सीता को स्नान करना था जब तीर जमीन से टकराया, तो उस जगह से पानी निकलने लगा जिसके बाद सीता ने इस जल में स्नान किया.
लोगों का यह भी मानना है कि यदि यहां किसी भी प्रकार का पत्थर, सिक्का या लकड़ी और अन्य सामान फेंकने के एक सप्ताह के बाद वह चूना पत्थर (लाइमस्टोन) बन जाता है. कहा जाता है कि सीता ने यहां चूना पत्थर की थोड़ी मात्रा भी डाली थी, तब से इस भाग में चूना पत्थर का तत्व बढ़ गया है.