वाशिंगटन: अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा है कि नई दिल्ली की उनकी आगामी यात्रा के दौरान भारत के साथ अमेरिका के बेहद महत्वपूर्ण संबंधों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 'मुक्त और खुले' हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साझा लक्ष्य को लेकर रणनीति में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है. इस क्षेत्र में चीन अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहता है.
विदेश विभाग की प्रवक्ता मोर्गन ओर्टागस ने कहा कि पोम्पिओ 24 जून को नयी दिल्ली रवाना होंगे. उनकी यात्रा 28-29 जून को जापान के ओसाका में समूह 20 की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाकात के पहले होगी.
पोम्पिओ 24 जून से हिंद-प्रशांत क्षेत्र की करीब सप्ताह भर लंबी यात्रा के दौरान सबसे पहले नयी दिल्ली और सबसे आखिर में दक्षिण कोरिया जाएंगे. इस दौरान वह श्रीलंका और जापान की भी यात्रा करेंगे.
पोम्पिओ अपनी यात्रा आरंभ करने से पहले 12 जून को 'इंडिया आइडियाज समिट ऑफ अमेरिका-इंडिया बिजनेस काउंसिल' को भी संबोधित करेंगे.
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पोम्पिओ ने भारत और अमेरिका के संबंधों को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए सोमवार को अमेरिकी विदेश मंत्रालय के फॉगी बॉटम मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, 'यात्रा की तैयारी करने के लिए मैं प्रमुख भारतीय कारोबारियों के समूह से बातचीत करूंगा. मेरी यात्रा दो सप्ताह में शुरू होगी और इस दौरान मैं भारत जाऊंगा. यह (अमेरिका के) राष्ट्रपति (डोनाल्ड) ट्रम्प की हिंद प्रशांत में रणनीति का अहम हिस्सा है.'
ओर्टागस ने संवाददाताओं को बताया कि पोम्पिओ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में 24 जून से 30 जून तक यात्रा करेंगे. इस यात्रा का मकसद मुक्त हिंद प्रशांत के साझा लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए प्रमुख देशों के साथ अमेरिका के संबंध गहरे करना है.
उन्होंने कहा, 'मंत्री का पहला पड़ाव भारत की राजधानी नयी दिल्ली होगा. प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी को चुनाव में हाल में मिली जीत उन्हें एक अच्छा मौका मुहैया कराती है कि वह भारत संबंधी अपनी मजबूत एवं समृद्ध योजना को लागू कर सकें. भारत वैश्विक मंच पर अहम भूमिका निभाता है.'
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन द्वारा सैन्य ताकत बढ़ाने के बीच भारत, अमेरिका और दुनिया की अन्य ताकतें मुक्त और खुले भारत-प्रशांत क्षेत्र की बात करते हैं . चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी का विस्तार करने की कोशिश कर रहा है .
चीन तकरीबन समूचे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है. वियतनाम, फिलीपीन, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी अपना दावा जताते रहे हैं.