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आंध्र प्रदेश : सरकार व राज्य चुनाव आयोग के बीच तकरार बढ़ी, पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी - यह पंचायत कब शुरू हुई

आंध्र प्रदेश में राज्य सरकार व राज्य चुनाव आयोग के बीच लड़ाई एक स्तर पर पहुंच गई है. राज्य सरकार, जो चुनावों के संचालन का पुरजोर विरोध कर रही है, ने राज्य चुनाव आयोग की मदद करने से इनकार कर दिया है. राज्य निर्वाचन आयुक्त रमेश कुमार किसी भी परिस्थिति में चुनाव कराने के लिए दृढ़ हैं.

ramesh kumar
ramesh kumar
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Published : Jan 23, 2021, 7:45 PM IST

अमरावती : राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) ने आंध्र प्रदेश ग्राम पंचायत चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी है. पांच फरवरी को प्रथम चरण के चुनाव के लिए मतदान होना है. राज्य निर्वाचन आयुक्त निम्मगड्डा रमेश कुमार की ओर से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार प्रथम चरण में 11 जिलों में 146 राजस्व मंडल के लिए मतदान होगा.

एसईसी ने जिन परिस्थितियों में चुनाव हो रहे हैं, उस लिहाज से इन्हें ऐतिहासिक बताया. रमेश कुमार ने कहा कि लोग चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेने को उत्साहित हैं. इन प्रतिकूल परिस्थितियों में चुनाव कराना आयोग के लिए यकीनन चुनौतीपूर्ण था. प्रथम चरण में विजयनगरम और प्रकाशम जिले में पंचायत चुनाव नहीं कराए जाएंगे. चुनाव अराजनैतिक आधार पर आयोजित किए जाएंगे. एसईसी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि चुनाव सुचारू रूप से सम्पन्न हों. उन्होंने कहा कि अगर कुछ भी गलत होता है, तो अंतत: उसके परिणाम भी सरकार को ही झेलने पड़ेंगे. कुमार ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल को भी मौजूदा स्थिति से अवगत कराया दिया है.

राज्य सरकार व आयोग में मतभेद

यह स्थानीय चुनावों के संचालन के बारे में आंध्र प्रदेश की स्थिति का प्रतिबिंब है. आंध्र प्रदेश में राज्य सरकार व राज्य चुनाव आयोग के बीच लड़ाई एक स्तर पर पहुंच गई है. राज्य सरकार, जो चुनावों के संचालन का पुरजोर विरोध कर रही है, ने राज्य चुनाव आयोग की मदद करने से इनकार कर दिया है. राज्य निर्वाचन आयुक्त रमेश कुमार किसी भी परिस्थिति में चुनाव कराने के लिए दृढ़ हैं. सरकार ने वैसे भी चुनाव स्थगित करने की प्रवृत्ति दिखाई है. एसआईएल रमेश कुमार ने शनिवार को अधिसूचना जारी की. अदालत के आदेशों की अधिसूचना जारी होने के बावजूद सरकार चुनाव प्रक्रिया को रोकने की कोशिश कर रही है.

जगन सरकार ने अध्यदेश किया भंग

राज्य चुनाव आयोग ने मार्च 2020 में ही पंचायतों, मंडल जिला परिषदों (जिला पंचायतों) का चुनाव कराने का फैसला किया. मंडल और जिला पंचायतों के लिए अधिसूचना जारी की गई. ग्राम पंचायतों के लिए अधिसूचना जारी की जानी है. इस बिंदु पर SEC रमेश कुमार ने घोषणा की कि अधिसूचना रद्द की गई थी, क्योंकि कोरोना के मामले बढ़ रहे थे, इससे सरकार नाराज हो गई. मुख्यमंत्री जगन सहित सभी सरकारी अधिकारी इस बात से नाराज थे कि रमेश कुमार ने उनसे सलाह लिए बिना एकतरफा फैसला ले लिया. इसके बाद सरकार ने एक अध्यादेश को भंग कर दिया और SEC के कार्यकाल को पांच साल से घटाकर तीन साल कर दिया. इसके प्रभाव से उन्हें पद से हटा दिया गया. सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति कानराज को इस पद पर नियुक्त किया गया था. उसके बाद उच्च न्यायालय ने अध्यादेश को रद्द कर दिया और एसईसी के रूप में निम्मगड्डा वापस आ गए. हालांकि, सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी, लेकिन परिणाम निम्मगड्डा रमेश कुमार के पक्ष में आया. तब से सरकार, चुनाव आयोग द्वारा की गई हर कार्रवाई में बाधा डाल रही है.

चुनाव अधिसूचना जारी की गई

एसईसी ने सरकार के विवाद को खारिज कर दिया और 8 जनवरी 2021 को एक पंचायत अधिसूचना जारी की. जिसमें 5 फरवरी, 9,13, 17 को चुनावों के लिए अधिसूचना दी गई थी. आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ ने सरकार द्वारा इसे खारिज करने के बाद अधिसूचना को रद्द कर दिया. इस पर चुनाव आयोग डिवीजन बेंच के पास गया. मुख्य न्यायाधीश एके गोस्वामी और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेशों को 21 जनवरी को रद्द कर दिया. वर्तमान में वैक्सीन केवल चिकित्सा कर्मचारियों को दी जा रही और आने वाले दिनों में लोगों को टीकाकरण की आवश्यकता है. चुनाव प्रक्रिया तब तक पूरी होनी चाहिए. एसईसी निम्मगड्डा रमेश ने शनिवार को अधिसूचना जारी की. यह स्पष्ट किया गया था कि चुनाव पहले घोषित कार्यक्रम के अनुसार होंगे. कहा कि समय पर चुनाव कराना आयोग का कर्तव्य था. उन्होंने आगे घोषणा की कि चुनाव चार चरणों में होंगे यानी 5, 9, 13 और 17 फरवरी को आयोजित किया जाएगा.

यह भी पढ़ें-नेताजी का जीवन और उनके फैसले हम सभी के लिए प्रेरणा : पीएम

राज्य सरकार का विरोध गैरजरूरी

एसईसी निम्मगड्डा रमेश कुमार ने आपत्ति जताई कि राज्य सरकार पंचायत चुनाव के संचालन के लिए उचित सहायता नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि सरकार की सुस्त चाल के कारण 2019 की मतदाता सूची के साथ चुनाव हो रहे हैं. नतीजतन 3.6 लाख नए मतदाताओं ने अपने मतदान के अधिकार का प्रयोग करने का अवसर खो दिया है. स्थानीय निकाय लोगों को शक्ति देने के लिए स्थापित किए गए हैं. सभी को संविधान की भावना के अनुसार कार्य करना चाहिए. पंचायत चुनाव का संचालन मेरा व्यक्तिगत मामला नहीं है. चुनाव स्थगित करने के तर्क तर्कसंगत प्रतीत नहीं होते हैं. उम्मीद है कि राज्यपाल चुनाव के संचालन में अपना पूरा सहयोग देंगे. वहीं राज्य सरकार से भी चुनाव के संचालन में सहायता की उम्मीद है. चुनाव आयोग के पास धन और कर्मचारियों की कमी जैसी समस्याएं हैं. अदालत के आदेश के बावजूद सरकार अभी भी अनिच्छुक है. सरकार को चुनाव के उचित संचालन के लिए सहयोग करना चाहिए.

अब आगे क्या ?

राज्य के ताजा घटनाक्रम के साथ आगे क्या होगा, इसको लेकर सस्पेंस बना हुआ है. उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने पहले ही अपने फैसले में कहा है कि यदि चुनाव के संचालन में कोई बाधाएं हैं, तो इसे उनके ध्यान में लाया जाना चाहिए और वे हस्तक्षेप करेंगे. इसलिए निम्मगड्डा रमेश कुमार को स्थिति की उच्च न्यायालय को रिपोर्ट करने की संभावना है. सरकार द्वारा दायर विशेष अवकाश याचिका सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए आएगी. इस विषय पर उस अवसर पर भी चर्चा की जाएगी. कुल मिलाकर एसईसी व राज्य सरकार के बीच यह लड़ाई तीव्र सस्पेंस पैदा कर रही है.

अमरावती : राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) ने आंध्र प्रदेश ग्राम पंचायत चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी है. पांच फरवरी को प्रथम चरण के चुनाव के लिए मतदान होना है. राज्य निर्वाचन आयुक्त निम्मगड्डा रमेश कुमार की ओर से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार प्रथम चरण में 11 जिलों में 146 राजस्व मंडल के लिए मतदान होगा.

एसईसी ने जिन परिस्थितियों में चुनाव हो रहे हैं, उस लिहाज से इन्हें ऐतिहासिक बताया. रमेश कुमार ने कहा कि लोग चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेने को उत्साहित हैं. इन प्रतिकूल परिस्थितियों में चुनाव कराना आयोग के लिए यकीनन चुनौतीपूर्ण था. प्रथम चरण में विजयनगरम और प्रकाशम जिले में पंचायत चुनाव नहीं कराए जाएंगे. चुनाव अराजनैतिक आधार पर आयोजित किए जाएंगे. एसईसी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि चुनाव सुचारू रूप से सम्पन्न हों. उन्होंने कहा कि अगर कुछ भी गलत होता है, तो अंतत: उसके परिणाम भी सरकार को ही झेलने पड़ेंगे. कुमार ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल को भी मौजूदा स्थिति से अवगत कराया दिया है.

राज्य सरकार व आयोग में मतभेद

यह स्थानीय चुनावों के संचालन के बारे में आंध्र प्रदेश की स्थिति का प्रतिबिंब है. आंध्र प्रदेश में राज्य सरकार व राज्य चुनाव आयोग के बीच लड़ाई एक स्तर पर पहुंच गई है. राज्य सरकार, जो चुनावों के संचालन का पुरजोर विरोध कर रही है, ने राज्य चुनाव आयोग की मदद करने से इनकार कर दिया है. राज्य निर्वाचन आयुक्त रमेश कुमार किसी भी परिस्थिति में चुनाव कराने के लिए दृढ़ हैं. सरकार ने वैसे भी चुनाव स्थगित करने की प्रवृत्ति दिखाई है. एसआईएल रमेश कुमार ने शनिवार को अधिसूचना जारी की. अदालत के आदेशों की अधिसूचना जारी होने के बावजूद सरकार चुनाव प्रक्रिया को रोकने की कोशिश कर रही है.

जगन सरकार ने अध्यदेश किया भंग

राज्य चुनाव आयोग ने मार्च 2020 में ही पंचायतों, मंडल जिला परिषदों (जिला पंचायतों) का चुनाव कराने का फैसला किया. मंडल और जिला पंचायतों के लिए अधिसूचना जारी की गई. ग्राम पंचायतों के लिए अधिसूचना जारी की जानी है. इस बिंदु पर SEC रमेश कुमार ने घोषणा की कि अधिसूचना रद्द की गई थी, क्योंकि कोरोना के मामले बढ़ रहे थे, इससे सरकार नाराज हो गई. मुख्यमंत्री जगन सहित सभी सरकारी अधिकारी इस बात से नाराज थे कि रमेश कुमार ने उनसे सलाह लिए बिना एकतरफा फैसला ले लिया. इसके बाद सरकार ने एक अध्यादेश को भंग कर दिया और SEC के कार्यकाल को पांच साल से घटाकर तीन साल कर दिया. इसके प्रभाव से उन्हें पद से हटा दिया गया. सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति कानराज को इस पद पर नियुक्त किया गया था. उसके बाद उच्च न्यायालय ने अध्यादेश को रद्द कर दिया और एसईसी के रूप में निम्मगड्डा वापस आ गए. हालांकि, सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी, लेकिन परिणाम निम्मगड्डा रमेश कुमार के पक्ष में आया. तब से सरकार, चुनाव आयोग द्वारा की गई हर कार्रवाई में बाधा डाल रही है.

चुनाव अधिसूचना जारी की गई

एसईसी ने सरकार के विवाद को खारिज कर दिया और 8 जनवरी 2021 को एक पंचायत अधिसूचना जारी की. जिसमें 5 फरवरी, 9,13, 17 को चुनावों के लिए अधिसूचना दी गई थी. आंध्रप्रदेश उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ ने सरकार द्वारा इसे खारिज करने के बाद अधिसूचना को रद्द कर दिया. इस पर चुनाव आयोग डिवीजन बेंच के पास गया. मुख्य न्यायाधीश एके गोस्वामी और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेशों को 21 जनवरी को रद्द कर दिया. वर्तमान में वैक्सीन केवल चिकित्सा कर्मचारियों को दी जा रही और आने वाले दिनों में लोगों को टीकाकरण की आवश्यकता है. चुनाव प्रक्रिया तब तक पूरी होनी चाहिए. एसईसी निम्मगड्डा रमेश ने शनिवार को अधिसूचना जारी की. यह स्पष्ट किया गया था कि चुनाव पहले घोषित कार्यक्रम के अनुसार होंगे. कहा कि समय पर चुनाव कराना आयोग का कर्तव्य था. उन्होंने आगे घोषणा की कि चुनाव चार चरणों में होंगे यानी 5, 9, 13 और 17 फरवरी को आयोजित किया जाएगा.

यह भी पढ़ें-नेताजी का जीवन और उनके फैसले हम सभी के लिए प्रेरणा : पीएम

राज्य सरकार का विरोध गैरजरूरी

एसईसी निम्मगड्डा रमेश कुमार ने आपत्ति जताई कि राज्य सरकार पंचायत चुनाव के संचालन के लिए उचित सहायता नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि सरकार की सुस्त चाल के कारण 2019 की मतदाता सूची के साथ चुनाव हो रहे हैं. नतीजतन 3.6 लाख नए मतदाताओं ने अपने मतदान के अधिकार का प्रयोग करने का अवसर खो दिया है. स्थानीय निकाय लोगों को शक्ति देने के लिए स्थापित किए गए हैं. सभी को संविधान की भावना के अनुसार कार्य करना चाहिए. पंचायत चुनाव का संचालन मेरा व्यक्तिगत मामला नहीं है. चुनाव स्थगित करने के तर्क तर्कसंगत प्रतीत नहीं होते हैं. उम्मीद है कि राज्यपाल चुनाव के संचालन में अपना पूरा सहयोग देंगे. वहीं राज्य सरकार से भी चुनाव के संचालन में सहायता की उम्मीद है. चुनाव आयोग के पास धन और कर्मचारियों की कमी जैसी समस्याएं हैं. अदालत के आदेश के बावजूद सरकार अभी भी अनिच्छुक है. सरकार को चुनाव के उचित संचालन के लिए सहयोग करना चाहिए.

अब आगे क्या ?

राज्य के ताजा घटनाक्रम के साथ आगे क्या होगा, इसको लेकर सस्पेंस बना हुआ है. उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने पहले ही अपने फैसले में कहा है कि यदि चुनाव के संचालन में कोई बाधाएं हैं, तो इसे उनके ध्यान में लाया जाना चाहिए और वे हस्तक्षेप करेंगे. इसलिए निम्मगड्डा रमेश कुमार को स्थिति की उच्च न्यायालय को रिपोर्ट करने की संभावना है. सरकार द्वारा दायर विशेष अवकाश याचिका सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए आएगी. इस विषय पर उस अवसर पर भी चर्चा की जाएगी. कुल मिलाकर एसईसी व राज्य सरकार के बीच यह लड़ाई तीव्र सस्पेंस पैदा कर रही है.

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