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एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन ने की मांग- जुलाई से शुरू हो अदालत

उच्च न्यायालय के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन के अध्यक्ष शिवाजी एम माधव ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर अदालत शुरू करने की मांग की है. उन्होंने पत्र में अधिक्ताओं द्वारा ऑनलाइन सुनवाई के दौरान होने वाली दिक्कतों का उल्लेख किया है.

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Published : Jun 2, 2020, 8:44 PM IST

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सांकेतिक चित्र

नई दिल्ली: उच्च न्यायालय के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) के अध्यक्ष शिवाजी एम माधव ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े को एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने जुलाई में सुनवाई के लिए अदालतों को खोलने का अनुरोध किया.

संगठन की ओर से लिखा गया पत्र उन कठिनाइयों की ओर इशारा करता है जो वकीलों को वर्चुअल अदालत प्रणाली के कारण झेलनी पड़ती हैं. उन्होंने सीजेआई से कहा कि आदलतों को फिर से खोलने में पूरी सावधानी बरती जाए ताकि कोरोना के प्रसार को रोका जा सके.

उन्होंने पत्र में लिखा है कि करीब 95 प्रतिशत वकील अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की जाने वाली सुनवाई में असहज महसूस करते हैं. आम राय यह लगती है कि वकील अपने मामलों को आभासी माध्यम में प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने में असमर्थ हैं.

वकील मामलों को ऑनलाइन पेश करने में समस्याओं का सामना कर रहे हैं, क्योंकि वह तकनीकी रूप से दक्ष नहीं हैं. सुनवाई के दौरान तकनीकी समस्या आती है.

उन्होंने पत्र में लिखा है कि पिछले तीन महीनों से अदालतों का कामकाज ठप होने के कारण अधिकांश वकीलों को इस महामारी के दौरान गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है. जब तक अदालतों के सामान्य कामकाज को फिर से शुरू नहीं किया जाता है, उक्त चिंता समाप्त नहीं होगी.

पढ़ें-सीआईआई की सालाना बैठक में बोले पीएम- देश को आत्मनिर्भर बनाने का लें संकल्प

संगठन ने इस संबंध में कई सुझाव भी दिए हैं. जैसे कि भौतिक अदालतों को फिर से खोलने पर लोंगों की संख्या को विनियमित किया जा सकता है, मास्क को अनिवार्य बनाया जा सकता है, प्रवेश पर स्वच्छता, प्रवेश और निकास के लिए अलग द्वार, केवल मामले से संबंधित वकीलों का प्रवेश और कानून की पढ़ाई करने वाले छात्रों को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

नई दिल्ली: उच्च न्यायालय के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरए) के अध्यक्ष शिवाजी एम माधव ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े को एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने जुलाई में सुनवाई के लिए अदालतों को खोलने का अनुरोध किया.

संगठन की ओर से लिखा गया पत्र उन कठिनाइयों की ओर इशारा करता है जो वकीलों को वर्चुअल अदालत प्रणाली के कारण झेलनी पड़ती हैं. उन्होंने सीजेआई से कहा कि आदलतों को फिर से खोलने में पूरी सावधानी बरती जाए ताकि कोरोना के प्रसार को रोका जा सके.

उन्होंने पत्र में लिखा है कि करीब 95 प्रतिशत वकील अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की जाने वाली सुनवाई में असहज महसूस करते हैं. आम राय यह लगती है कि वकील अपने मामलों को आभासी माध्यम में प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने में असमर्थ हैं.

वकील मामलों को ऑनलाइन पेश करने में समस्याओं का सामना कर रहे हैं, क्योंकि वह तकनीकी रूप से दक्ष नहीं हैं. सुनवाई के दौरान तकनीकी समस्या आती है.

उन्होंने पत्र में लिखा है कि पिछले तीन महीनों से अदालतों का कामकाज ठप होने के कारण अधिकांश वकीलों को इस महामारी के दौरान गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है. जब तक अदालतों के सामान्य कामकाज को फिर से शुरू नहीं किया जाता है, उक्त चिंता समाप्त नहीं होगी.

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संगठन ने इस संबंध में कई सुझाव भी दिए हैं. जैसे कि भौतिक अदालतों को फिर से खोलने पर लोंगों की संख्या को विनियमित किया जा सकता है, मास्क को अनिवार्य बनाया जा सकता है, प्रवेश पर स्वच्छता, प्रवेश और निकास के लिए अलग द्वार, केवल मामले से संबंधित वकीलों का प्रवेश और कानून की पढ़ाई करने वाले छात्रों को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

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