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सटीक दवा और वैक्सीन विकास के लिए मानव प्रतिरक्षा का ऑनलाइन एटलस आया - इम्यून सेल डेटाबेस

ऐसे समय में जब दुनिया कोरोना वायरस के संकट से जूझ रही है, सिंगहेल्थ ड्यूक-एनयूएस एकेडमिक मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिकों ने मानव इम्युनोम या जीन और प्रोटीन का एक इंटरैक्टिव वेब-आधारित एटलस विकसित किया है. एटलस को (एक्सटेंडेड पॉलीडिमैनेटिक इम्यूनोम कैरेक्टराइजेशन) के रूप में जाना जाता है.

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Published : Jun 12, 2020, 12:25 AM IST

सिंगापुर : जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग छिड़ी हुई है. ऐसे में ड्यूक-एनयूएस एकेडमिक मेडिकल सेंटर (एएमसी) के वैज्ञानिकों ने मानव प्रतिरक्षा या रोग प्रतिरोधक तंत्र बनाने वाले जीन और प्रोटीन का एक इंटरैक्टिव वेब-आधारित एटलस का विकास किया है .

एटलस, जिसे ईपीआईसी (एक्सटेंडेड पॉलीडिमैनेटिक इम्यून कैरेक्टराइजेशन) के रूप में जाना जाता है, यह कॉर्ड ब्लड से लेकर एडल्ट स्टेज तक एक विस्तृत, इम्यून सेल डेटाबेस का विस्तार करता है, इसे दुनियाभर के वैज्ञानिक समुदाय द्वारा प्रतिरक्षा तंत्र का अध्ययन करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

ईपीआईसी डेटा मानचित्रों को स्तरीकृत और विश्लेषण करने के लिए प्रतिरक्षा मानचित्र का निर्माण करेगा औऱ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करके इन अध्ययनों को बढ़ाने या गहरा करने में भूमिका निभाएगा, जिस तक वैज्ञानिक स्वतंत्र रूप से पंहुच सकेंगे.

सिंगहेल्थ ड्यूक-एनयूएस ट्रांसलेशनल इम्यूनोलॉजी इंस्टीट्यूट के निदेशक और अध्ययन के प्रमुख अन्वेषक प्रोफेसर सल्वाटोर अल्बानी ने कहा कि मानव इम्युनोम का अध्ययन सेलुलर स्तर पर मानव शरीर का एमआरआई लेने के समान है, जो हमें सही और गलत इंगित करने के लिए सक्षम करता है और हम बीमारी से निबटने के लिए क्या कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि मानव प्रतिरक्षा के एक व्यापक डेटासेट और विश्लेषणात्मक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला ईपीआईसी, क्लीनिकों और वैज्ञानिकों को प्रतिरक्षा के तंत्र को समझने, सटीक दवा के लिए नैदानिक ​​प्रतिक्रियाओं की भविष्यवाणी करने और यहां तक ​​कि नए टीकों और उपचारों की पहचान करने में एक अहम भूमिका निभाएगा का.

पढ़ें-मंत्रालयों तक पहुंचा कोरोना वायरस, चपेट में आए कई वरिष्ठ अधिकारी

टीकों का विकास करते समय, वैज्ञानिक प्रतिरक्षात्मक संकेतों को देखते हैं जो संभावित टीकों के लिए शरीर की जवाबदेही का अनुमान लगा सकते हैं. ईपीआईसी इन संकेतों को बहुत तेजी से पहचानने में मदद कर सकता है और टीका विकसित करने वालों की प्रक्रिया में तेजी ला सकता है.

ईईपीआईसी वर्तमान में चिकित्सक-वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं द्वारा गठिया, लीवर कैंसर और प्रतिरक्षा संबंधी कमियों जैसे रोगों को समझने के लिए उपयोग किया जाता है.

डॉ.यीओ ने कहा कि ईपीआईसी क्लिनिक-वैज्ञानिकों के लिए बहुत उपयोगी है जो अपने शोध के लिए प्रतिरक्षात्मक डेटा का उपयोग करते हैं क्योंकि यह एक बड़ा स्वस्थ साइटोमेट्री डेटासेट और उन्हें विश्लेषण करने के लिए सही उपकरण प्रदान करता है.

उन्होंने कहा कि ईपीआईसी क्लिनिक-वैज्ञानिकों के लिए बहुत उपयोगी है जो अपने शोध के लिए प्रतिरक्षात्मक डेटा का उपयोग करते हैं क्योंकि यह एक बड़ा स्वस्थ साइटोमेट्री डेटासेट और उन्हें विश्लेषण करने के लिए सही उपकरण प्रदान करता है.

उन्होंने कहा कि इसके बिल्ट-इन-इंफोर्मेटिक्स मैकेनिज्म में डेटा के लिए आसानी से पूछताछ की जा सकती है, इससे थोड़ी कम्प्यूटेशनल पृष्ठभूमि वाले शोधकर्ताओं भी आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं.

पढ़ें-कैश ट्रांसफर करने की योजना पर बोले इमरान- भारत की मदद को तैयार

डॉ.यीओ ने कहा कि ईपीआईसी की एक और विशिष्टता इसकी डेटा प्रस्तुति का गतिशील और इंटरैक्टिव प्रारूप है जो शोधकर्ताओं को जब भी नए विचार उत्पन्न होते हैं, विभिन्न दृष्टिकोणों के डेटा को देखने में सक्षम बनाता है.

यह ध्यान दिया जाना है कि ईपीआईसी ने शुरुआत में केवल एशियाई फेनोटाइप्स के साथ शुरुआत की थी, लेकिन यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्रोतों से प्रतिरक्षा सेल डेटासेट को शामिल करने के लिए समय के साथ विस्तार किया है.

यह एक ओपन-सोर्स टूल के रूप में डिजाइन किया गया है जो सभी शोधकर्ताओं के लिए सुलभ है, जो बदले में, किसी को भी नमूने, डेटा और नए विश्लेषण टूल का योगदान करने की अनुमति देता है.

सिंगापुर : जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग छिड़ी हुई है. ऐसे में ड्यूक-एनयूएस एकेडमिक मेडिकल सेंटर (एएमसी) के वैज्ञानिकों ने मानव प्रतिरक्षा या रोग प्रतिरोधक तंत्र बनाने वाले जीन और प्रोटीन का एक इंटरैक्टिव वेब-आधारित एटलस का विकास किया है .

एटलस, जिसे ईपीआईसी (एक्सटेंडेड पॉलीडिमैनेटिक इम्यून कैरेक्टराइजेशन) के रूप में जाना जाता है, यह कॉर्ड ब्लड से लेकर एडल्ट स्टेज तक एक विस्तृत, इम्यून सेल डेटाबेस का विस्तार करता है, इसे दुनियाभर के वैज्ञानिक समुदाय द्वारा प्रतिरक्षा तंत्र का अध्ययन करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

ईपीआईसी डेटा मानचित्रों को स्तरीकृत और विश्लेषण करने के लिए प्रतिरक्षा मानचित्र का निर्माण करेगा औऱ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करके इन अध्ययनों को बढ़ाने या गहरा करने में भूमिका निभाएगा, जिस तक वैज्ञानिक स्वतंत्र रूप से पंहुच सकेंगे.

सिंगहेल्थ ड्यूक-एनयूएस ट्रांसलेशनल इम्यूनोलॉजी इंस्टीट्यूट के निदेशक और अध्ययन के प्रमुख अन्वेषक प्रोफेसर सल्वाटोर अल्बानी ने कहा कि मानव इम्युनोम का अध्ययन सेलुलर स्तर पर मानव शरीर का एमआरआई लेने के समान है, जो हमें सही और गलत इंगित करने के लिए सक्षम करता है और हम बीमारी से निबटने के लिए क्या कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि मानव प्रतिरक्षा के एक व्यापक डेटासेट और विश्लेषणात्मक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला ईपीआईसी, क्लीनिकों और वैज्ञानिकों को प्रतिरक्षा के तंत्र को समझने, सटीक दवा के लिए नैदानिक ​​प्रतिक्रियाओं की भविष्यवाणी करने और यहां तक ​​कि नए टीकों और उपचारों की पहचान करने में एक अहम भूमिका निभाएगा का.

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टीकों का विकास करते समय, वैज्ञानिक प्रतिरक्षात्मक संकेतों को देखते हैं जो संभावित टीकों के लिए शरीर की जवाबदेही का अनुमान लगा सकते हैं. ईपीआईसी इन संकेतों को बहुत तेजी से पहचानने में मदद कर सकता है और टीका विकसित करने वालों की प्रक्रिया में तेजी ला सकता है.

ईईपीआईसी वर्तमान में चिकित्सक-वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं द्वारा गठिया, लीवर कैंसर और प्रतिरक्षा संबंधी कमियों जैसे रोगों को समझने के लिए उपयोग किया जाता है.

डॉ.यीओ ने कहा कि ईपीआईसी क्लिनिक-वैज्ञानिकों के लिए बहुत उपयोगी है जो अपने शोध के लिए प्रतिरक्षात्मक डेटा का उपयोग करते हैं क्योंकि यह एक बड़ा स्वस्थ साइटोमेट्री डेटासेट और उन्हें विश्लेषण करने के लिए सही उपकरण प्रदान करता है.

उन्होंने कहा कि ईपीआईसी क्लिनिक-वैज्ञानिकों के लिए बहुत उपयोगी है जो अपने शोध के लिए प्रतिरक्षात्मक डेटा का उपयोग करते हैं क्योंकि यह एक बड़ा स्वस्थ साइटोमेट्री डेटासेट और उन्हें विश्लेषण करने के लिए सही उपकरण प्रदान करता है.

उन्होंने कहा कि इसके बिल्ट-इन-इंफोर्मेटिक्स मैकेनिज्म में डेटा के लिए आसानी से पूछताछ की जा सकती है, इससे थोड़ी कम्प्यूटेशनल पृष्ठभूमि वाले शोधकर्ताओं भी आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं.

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डॉ.यीओ ने कहा कि ईपीआईसी की एक और विशिष्टता इसकी डेटा प्रस्तुति का गतिशील और इंटरैक्टिव प्रारूप है जो शोधकर्ताओं को जब भी नए विचार उत्पन्न होते हैं, विभिन्न दृष्टिकोणों के डेटा को देखने में सक्षम बनाता है.

यह ध्यान दिया जाना है कि ईपीआईसी ने शुरुआत में केवल एशियाई फेनोटाइप्स के साथ शुरुआत की थी, लेकिन यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्रोतों से प्रतिरक्षा सेल डेटासेट को शामिल करने के लिए समय के साथ विस्तार किया है.

यह एक ओपन-सोर्स टूल के रूप में डिजाइन किया गया है जो सभी शोधकर्ताओं के लिए सुलभ है, जो बदले में, किसी को भी नमूने, डेटा और नए विश्लेषण टूल का योगदान करने की अनुमति देता है.

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