जयपुर: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) अपने चंद्रयान-2 मिशन को 15 जुलाई तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर लॉन्च होना था. इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन सेंटर से लॉन्च किया जाना था. लेकिन रॉकेट में खराबी के चलते मिशन को रोक दिया गया. जल्द ही नई लॉन्चिंग डेट तय की जाएगी.
बता दें, इस रॉकेट में तीन मॉड्यूल ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान होंगे. इस मिशन के तहत ISRO चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर को उतारेगा.
गौरतलब है कि भारत ने अपने पहले मिशन चंद्रयान-1 को 2008 में लांच किया था लेकिन इस बार भारत का मिशन चंद्रयान 2, चंद्रयान-1 से भी कई गुना ताकतवर है. जानिए क्या-क्या है इसमें खास...
⦁ चंद्रयान-2 का वजन पहले यान से 3 गुना ज्यादा है
⦁ चंद्रयान-1 का कुल वजन 1380 किलोग्राम था
⦁ चंद्रयान-2 का कुल वजन 3877 किलोग्राम है
⦁ चंद्रयान-2 में रोवर की रफ्तार 1 सेमी प्रति सेकंड है
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चंद्रयान-2 के 4 हिस्से हैं
⦁ पहला: जीएसएलवी मार्क-3 भारत का बाहुबली रॉकेट कहा जाता है यह पृथ्वी की कक्षा तक जाएगा.
⦁ दूसरा: ऑर्बिटर है जो चंद्रमा की कक्षा में सालभर चक्कर लगाएगा.
⦁ तीसरा: लैंडर विक्रम है जो ऑर्बिटर से अलग होकर चांद की सतह पर उतरेगा.
⦁ चौथा: रोवर प्रज्ञान है जो 6 पहियों वाला यह रोबोट लैंडर से बाहर निकलेगा और 14 दिन चांद की सतह पर चलेगा
चंद्रयान-2 का पहला मॉड्यूल ऑर्बिटर है. इसका काम चांद की सतह का निरीक्षण करना है. यह पृथ्वी और लैंडर विक्रम के बीच कम्युनिकेशन का काम भी करेगा. चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद यह एक साल तक काम करेगा. ऑर्बिटर चांद की सतह से 100 किमी ऊपर चक्कर लगाएगा जिसके साथ 8 पेलोड भेजे जा रहे हैं जो इस तरह से काम करेंगे.
⦁ चांद की सतह का नक्शा तैयार करना, इससे चांद पर पानी का अस्तित्व और उसके विकास का पता लगाने की कोशिश होगी.
⦁ मैग्नीशियम, एल्युमीनियम, सिलिकॉन, कैल्शियम, टाइटेनियम, आयरन और सोडियम की मौजूदगी का पता लगाना.
⦁ सूरज की किरणों में मौजूद सोलर रेडिएशन की तीव्रता को मापना.
⦁ चांद की सतह की हाई रेजोल्यूशन तस्वीरें खींचना.
⦁ सतह पर चट्टान या गड्ढे को पहचानना ताकि लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग हो सके.
⦁ चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी की मौजूदगी और खनिजों का पता लगाना भी प्रमुख काम होगा.
⦁ ध्रुवीय क्षेत्र के गड्ढों में बर्फ के रूप में जमा पानी का पता लगाना.
⦁ चंद्रमा के बाहरी वातावरण को स्कैन करना.
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भारत का यह मिशन इसलिए भी खास है क्योंकि ISRO का यह पहला मिशन है, जिसमें लैंडर जाएगा. लेकिन लैंडर कैसे काम करेगा इसे हम आसान भाषा में आपको बताते हैं. विक्रम लैंडर ही चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. सॉफ्ट लैंडिंग उसे कहते हैं, जिसमें बिना किसी नुकसान के लैंडर चांद की सतह पर उतरता है. लैंडर के साथ 3 पेलोड भेजे जा रहे हैं.
इनका काम चांद की सतह के पास इलेक्ट्रॉन डेंसिटी, यहां के तापमान में होने वाले उतार-चढ़ाव और सतह के नीचे होने वाली हलचल, गति और तीव्रता पर नजर रखेगा. लेकिन लैंडर के अंदर से रोवर प्रज्ञान निकलकर कैसे चांद की जमीन और चट्टानों पर दौडे़गा देखिए हमारी खास पेशकश चंद्रयान-2 के तीसरे भाग में.