ETV Bharat / bharat

शाहीन बाग पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- चार माह का बच्चा प्रदर्शन में जा सकता है क्या - supreme court on caa protests

उच्चतम न्यायालय ने नागरिकता संशोधन कानून, 2019 (सीएए) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन से जुड़े मामले में स्वत: संज्ञान लिया है. शीर्ष अदालत की यह पहल 12 वर्षीय छात्रा के पत्र लिखने के बाद सामने आई है. जानें पूरा मामला

sc took suo moto cognizance
जेन गुणरत्न सदावर्ती
author img

By

Published : Feb 10, 2020, 3:26 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 9:10 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने नागरिकता संशोधन कानून, 2019 (सीएए) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन से जुड़े मामले में स्वत: संज्ञान लिया है.

अदालत ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले एक दंपत्ति के नवजात बच्चे की घर में मौत हो जाने के मामले में 12 वर्षीय छात्रा जेन गुणरत्न सदावर्ती के पत्र पर संज्ञान लिया है. जेन गुणरत्न सदावर्ती ने प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे को एक पत्र लिखा था, जिस पर शीर्ष अदालत ने आज स्वत: संज्ञान लिया.

उच्चतम न्यायालय ने नवजात बच्चे की मौत पर कहा: क्या चार महीने का बच्चा इस तरह के विरोध प्रदर्शनों में भाग ले सकता है?भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने प्रदर्शनकारियों की ओर से पेश अधिवक्ताओं से पूछा- हम आपसे पूछ रहे हैं कि एक चार महीने का बच्चा विरोध करने के लिए वहां जा रहा है?

अधिवक्ताओं ने अदालत में दलील दी कि संविधान सभी को अधिकार देता है चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो. उन्होंने तर्क दिया कि शिशु शाहीन बाग में विरोध के कारण नहीं मरा, बल्कि ठंड के कारण उसकी मृत्यु हुई और उसे कोई चिकित्सकीय सहायता नहीं दी गई. मां एक झुग्गी में रहने वाले इलाके से प्रदर्शन में आई थी, उसका घर एक प्लास्टिक की चादर थी और वहां रहने की स्थिति अनुकूल नहीं थी.

ये भी पढ़ें : शाहीन बाग प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट, 'हमेशा सड़क जाम नहीं कर सकते'

प्रदर्शन करने वाली माताओं ने अदालत को यह भी बताया कि स्कूलों में बच्चों को पाकिस्तानी कहा जा रहा है, जिस पर सीजेआई ने गुस्से में जवाब दिया कि यह कार्यवाही के लिए अदालत में लाया जाना विषय नहीं है. साथ ही CJI ने कहा कि कोई भी अप्रासंगिक दलील न देने की चेतावनी दी.

जेन गुनरातन सदावर्ते

ईटीवी भारत से बात करते हुए जेना ने कहा कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि सरकार को इस तरह के प्रदर्शन पर संज्ञान लेने की लिए कहा है ताकि बच्चों को कोई परेशानी न हो. उन्होंने कहा कि मुझे चिंता इस बात की है कि बच्चों की मां प्रदर्शन को लिए अपने बच्चों की कुर्बानी देने के लिए तैयार है. उनको यह अधिकार किसने दिया है.

वही उन्होंने इस मामले में सीएम केजरीवाल और गृह मंत्री अमित शाह को इस मामले पर राजनीति न करने की नसीहत दी है.

बता दें कि बहादुरी पुरस्कार विजेता में से एक 12 वर्षीय जेन गुनरातन सदावर्ते ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर विरोध प्रदर्शनों में बच्चों और शिशुओं की भागीदारी पर चिंता व्यक्त की थी. उसने 4 महीने के शिशु की मौत के मद्देनजर यह पत्र लिखा था.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने नागरिकता संशोधन कानून, 2019 (सीएए) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन से जुड़े मामले में स्वत: संज्ञान लिया है.

अदालत ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले एक दंपत्ति के नवजात बच्चे की घर में मौत हो जाने के मामले में 12 वर्षीय छात्रा जेन गुणरत्न सदावर्ती के पत्र पर संज्ञान लिया है. जेन गुणरत्न सदावर्ती ने प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे को एक पत्र लिखा था, जिस पर शीर्ष अदालत ने आज स्वत: संज्ञान लिया.

उच्चतम न्यायालय ने नवजात बच्चे की मौत पर कहा: क्या चार महीने का बच्चा इस तरह के विरोध प्रदर्शनों में भाग ले सकता है?भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने प्रदर्शनकारियों की ओर से पेश अधिवक्ताओं से पूछा- हम आपसे पूछ रहे हैं कि एक चार महीने का बच्चा विरोध करने के लिए वहां जा रहा है?

अधिवक्ताओं ने अदालत में दलील दी कि संविधान सभी को अधिकार देता है चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो. उन्होंने तर्क दिया कि शिशु शाहीन बाग में विरोध के कारण नहीं मरा, बल्कि ठंड के कारण उसकी मृत्यु हुई और उसे कोई चिकित्सकीय सहायता नहीं दी गई. मां एक झुग्गी में रहने वाले इलाके से प्रदर्शन में आई थी, उसका घर एक प्लास्टिक की चादर थी और वहां रहने की स्थिति अनुकूल नहीं थी.

ये भी पढ़ें : शाहीन बाग प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट, 'हमेशा सड़क जाम नहीं कर सकते'

प्रदर्शन करने वाली माताओं ने अदालत को यह भी बताया कि स्कूलों में बच्चों को पाकिस्तानी कहा जा रहा है, जिस पर सीजेआई ने गुस्से में जवाब दिया कि यह कार्यवाही के लिए अदालत में लाया जाना विषय नहीं है. साथ ही CJI ने कहा कि कोई भी अप्रासंगिक दलील न देने की चेतावनी दी.

जेन गुनरातन सदावर्ते

ईटीवी भारत से बात करते हुए जेना ने कहा कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि सरकार को इस तरह के प्रदर्शन पर संज्ञान लेने की लिए कहा है ताकि बच्चों को कोई परेशानी न हो. उन्होंने कहा कि मुझे चिंता इस बात की है कि बच्चों की मां प्रदर्शन को लिए अपने बच्चों की कुर्बानी देने के लिए तैयार है. उनको यह अधिकार किसने दिया है.

वही उन्होंने इस मामले में सीएम केजरीवाल और गृह मंत्री अमित शाह को इस मामले पर राजनीति न करने की नसीहत दी है.

बता दें कि बहादुरी पुरस्कार विजेता में से एक 12 वर्षीय जेन गुनरातन सदावर्ते ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर विरोध प्रदर्शनों में बच्चों और शिशुओं की भागीदारी पर चिंता व्यक्त की थी. उसने 4 महीने के शिशु की मौत के मद्देनजर यह पत्र लिखा था.

Zen Gunratan Sadavarte's byte. She is the 12 year old girl who wrote to CJI in the wake of 4 month infant death in Shaheen Bagh after which the SC took suo moto cognizance.
Last Updated : Feb 29, 2020, 9:10 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.