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मराठा आरक्षण को चुनौती : सुप्रीम कोर्ट में अब एक सितंबर को सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी है. अब एक सितंबर को इस पर सुनवाई होगी. अदालत ने कहा कि 25 अगस्त को जांच की जाएगी कि क्या इस मामले को संविधान पीठ के पास भेजने की आवश्यकता है.

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मराठा आरक्षण
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Published : Jul 27, 2020, 3:20 PM IST

Updated : Jul 27, 2020, 4:10 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी है. अब एक सितंबर को इस मामले की सुनवाई होगी.

महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को अदालत को आश्वस्त किया है कि वह 15 सितंबर तक नई नियुक्ति पर कोई फैसला नहीं लेगी. सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि 25 अगस्त को जांच की जाएगी कि क्या इस मामले को संविधान पीठ के पास भेजने की आवश्यकता है.

महाराष्ट्र में नौकरियों और शिक्षा में मराठों को आरक्षण देने के फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था. बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की गई है.

याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि 12 से 13% और आरक्षण की अनुमति देने के बाद, शिक्षा में आरक्षण 65% हो जाता है और नौकरियों में यह 62% है, जो इंदिरा साहनी के फैसले में शीर्ष अदालत द्वारा तय की गई अधिकतम 50% आरक्षण की सीमा से अधिक है.

ओबीसी आरक्षण को प्रभावित नहीं करेगा मराठा आरक्षण
हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आश्वासन दिया था कि नौकरियों और शिक्षा में मराठा आरक्षण अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को प्रभावित नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि संदेह दूर करने के लिए ओबीसी के प्रतिनिधियों और राज्य के महाधिवक्ता के बीच एक बैठक आयोजित की जाएगी.

ठाकरे ने कहा था, 'मराठा आरक्षण मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो रही है. ओबीसी को यह डर छोड़ देना चाहिए कि अगर शीर्ष अदालत बॉम्बे हाईकोर्ट के मराठा आरक्षण के फैसले को बरकरार रखती है तो उनका आरक्षण प्रभावित हो जाएगा.'

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी है. अब एक सितंबर को इस मामले की सुनवाई होगी.

महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को अदालत को आश्वस्त किया है कि वह 15 सितंबर तक नई नियुक्ति पर कोई फैसला नहीं लेगी. सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि 25 अगस्त को जांच की जाएगी कि क्या इस मामले को संविधान पीठ के पास भेजने की आवश्यकता है.

महाराष्ट्र में नौकरियों और शिक्षा में मराठों को आरक्षण देने के फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था. बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की गई है.

याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि 12 से 13% और आरक्षण की अनुमति देने के बाद, शिक्षा में आरक्षण 65% हो जाता है और नौकरियों में यह 62% है, जो इंदिरा साहनी के फैसले में शीर्ष अदालत द्वारा तय की गई अधिकतम 50% आरक्षण की सीमा से अधिक है.

ओबीसी आरक्षण को प्रभावित नहीं करेगा मराठा आरक्षण
हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आश्वासन दिया था कि नौकरियों और शिक्षा में मराठा आरक्षण अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को प्रभावित नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि संदेह दूर करने के लिए ओबीसी के प्रतिनिधियों और राज्य के महाधिवक्ता के बीच एक बैठक आयोजित की जाएगी.

ठाकरे ने कहा था, 'मराठा आरक्षण मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो रही है. ओबीसी को यह डर छोड़ देना चाहिए कि अगर शीर्ष अदालत बॉम्बे हाईकोर्ट के मराठा आरक्षण के फैसले को बरकरार रखती है तो उनका आरक्षण प्रभावित हो जाएगा.'

Last Updated : Jul 27, 2020, 4:10 PM IST
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