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कोरोना संकट के बीच ईरान में फंसे हैं 850 जायरीन, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

दुनिया भर में कोरोना वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है. इस वायरस से भारत और ईरान समेत 199 देश प्रभावित हैं. संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के आने पर रोक लगा रखी है. इस कारण ईरान में 850 भारतीय जायरीन फंसे हुए हैं. इन लोगों को स्वदेश लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. इस याचिका पर कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है. पढ़ें पूरी खबर...

evacuation from iran
ईरान में फंसे भारतीयों पर सुप्रीम कोर्ट
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Published : Mar 27, 2020, 8:09 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस महामारी की वजह से ईरान के कोम शहर में फंसे करीब 850 जायरीनों को स्वदेश लाने के लिए दायर याचिका पर शुक्रवार को केन्द्र से जवाब मांगा. न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिग के माध्यम से इस मामले की सुनवाई की और केन्द्र को नोटिस जारी किया. इस मामले में न्यायालय अब 30 मार्च को आगे सुनवाई करेगा.

केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख के रहने वाले मुस्तफा एमएच की याचिका पर न्यायालय ने यह नोटिस जारी किया. मुस्तफा ने इस याचिका में ईरान में फंसे इन भारतीय जायरीनों को सुरक्षित बाहर निकाले जाने तक समुचित चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.

ईरान उन देशों में हैं जो कोविड-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित है और जहां अभी तक 2000 से ज्यादा व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है.

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने इस मामले में बहस की. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के कुछ रिश्तेदार पिछले साल दिसंबर में करीब 1000 जायरीनों के साथ ईरान गए थे.

याचिकाकर्ता के इन रिश्तेदारों को मार्च के पहले सप्ताह में भारत लौना था, लेकिन कोरोना वायरस फैलने की वजह से वे वहीं पर फंस गए हैं.

याचिका के अनुसार लद्दाख के अनेक नागरिकों ने इस मामले को विदेश मंत्रालय के समक्ष रखा था. इसके बाद सरकार ने कदम उठाए थे, लेकिन वहां फंसे इन जायरीनों को ठहरने या चिकित्सा संबंधी ठीक सुविधायें नहीं मिल रहीं हैं.

पढ़ें : ईरान से 277 भारतीय जोधपुर लाए गए, हुई प्रारंभिक जांच

विदेश मंत्री के बयान का जिक्र करते हुए याचिका में कहा गया है कि अनेक कदम उठाए ये और करीब 389 व्यक्तियों को ईरान से निकाला गया, जिसमें अनेक छात्र भी शामिल थे.

याचिका के अनुसार चिकित्सकों को एक दल ईरान भेजा गया था, जिसने 850 व्यक्तियों की जांच की थी, लेकिन यह प्रक्रिया सिर्फ एक बार ही की गई.

याचिका में कहा गया है कि ईरान की सरकार ने वहां फंसे यात्रियों को अलग अलग होटलों में ठहराया है, लेकिन पर्याप्त धन के अभाव में अधिकांश जायरीन इनका किराया देने की स्थिति में नहीं हैं.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस महामारी की वजह से ईरान के कोम शहर में फंसे करीब 850 जायरीनों को स्वदेश लाने के लिए दायर याचिका पर शुक्रवार को केन्द्र से जवाब मांगा. न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिग के माध्यम से इस मामले की सुनवाई की और केन्द्र को नोटिस जारी किया. इस मामले में न्यायालय अब 30 मार्च को आगे सुनवाई करेगा.

केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख के रहने वाले मुस्तफा एमएच की याचिका पर न्यायालय ने यह नोटिस जारी किया. मुस्तफा ने इस याचिका में ईरान में फंसे इन भारतीय जायरीनों को सुरक्षित बाहर निकाले जाने तक समुचित चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.

ईरान उन देशों में हैं जो कोविड-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित है और जहां अभी तक 2000 से ज्यादा व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है.

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने इस मामले में बहस की. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के कुछ रिश्तेदार पिछले साल दिसंबर में करीब 1000 जायरीनों के साथ ईरान गए थे.

याचिकाकर्ता के इन रिश्तेदारों को मार्च के पहले सप्ताह में भारत लौना था, लेकिन कोरोना वायरस फैलने की वजह से वे वहीं पर फंस गए हैं.

याचिका के अनुसार लद्दाख के अनेक नागरिकों ने इस मामले को विदेश मंत्रालय के समक्ष रखा था. इसके बाद सरकार ने कदम उठाए थे, लेकिन वहां फंसे इन जायरीनों को ठहरने या चिकित्सा संबंधी ठीक सुविधायें नहीं मिल रहीं हैं.

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विदेश मंत्री के बयान का जिक्र करते हुए याचिका में कहा गया है कि अनेक कदम उठाए ये और करीब 389 व्यक्तियों को ईरान से निकाला गया, जिसमें अनेक छात्र भी शामिल थे.

याचिका के अनुसार चिकित्सकों को एक दल ईरान भेजा गया था, जिसने 850 व्यक्तियों की जांच की थी, लेकिन यह प्रक्रिया सिर्फ एक बार ही की गई.

याचिका में कहा गया है कि ईरान की सरकार ने वहां फंसे यात्रियों को अलग अलग होटलों में ठहराया है, लेकिन पर्याप्त धन के अभाव में अधिकांश जायरीन इनका किराया देने की स्थिति में नहीं हैं.

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