नई दिल्ली : देश के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की खंडपीठ ने सोमवार को बेहतर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा और डेटा के आदान-प्रदान के लिए केंद्र सरकार से फाइबर ऑप्टिकल नेटवर्क तक पहुंच की मांग की है.
अर्टानी जनरल को दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट कोरोना वायरस के दौरान वर्चुअल सुनवाई के माध्यम से अदालतों के कामकाज पर एक मामले की सुनवाई कर कहा था. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने देश के अर्टानी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा कि वे सुनवाई के लिए फाइबर ऑप्टिकल पर निर्णय लेने के लिए NIC और कानून मंत्रालय की बैठक की व्यवस्था करें. उत्तर-पूर्व में फाइबर ऑप्टिक नहीं है, इसलिए सीजेआई ने इस क्षेत्र के लिए उपग्रहों का सुझाव दिया. चीफ जस्टिस ने कहा कि वे नेटवर्क के लिए किराए का भुगतान करेंगे.
रिलायंस के वकील ने पेश की दलील
सुनवाई के दौरान रिलायंस जियो के वकील हरीश साल्वे ने अदालत को बताया कि उनके पास सबसे अच्छा फाइबर ऑप्टिकल नेटवर्क रिडैपिंग है. जिसके लिए अदालत ने उन्हें ई-समिति के साथ संपर्क करने के लिए कहा. कोर्ट ने भारत की सभी अदालतों के लिए वर्चुअल सुनवाई की सुविधा के लिए विभिन्न उपायों पर चर्चा की.
चीफ जस्टिस ने अर्टानी जनरल को यह कहते हुए प्रस्तावित किया कि HC को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए अपने नियम बनाने की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि स्थिति और उपकरण हर अदालत में भिन्न होते हैं. अपनी अंतिम सुनवाई में अदालत ने आदेश दिया था कि कोर्ट परिसर में भीड़ को कम करने के लिए जो भी उपाय किए जाएंगे, वे वैध होंगे. कोर्ट दिवाली बाद केस की सुनवाई करेगा.