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कोयंबटूर बलात्कार-हत्याकांड : न्यायालय ने दोषी की पुनरीक्षण याचिका की खारिज

कोयंबटूर में 2010 में हुए बलात्कार एवं हत्याकांड मामले में मौत की सजा का सामना कर रहे दोषी द्वारा पुनरीक्षण याचिका को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया है. साथ ही मौत की सजा बरकरार रखी है.

सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया
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Published : Nov 7, 2019, 2:09 PM IST

Updated : Nov 7, 2019, 4:58 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कोयंबटूर में 2010 में हुए बलात्कार एवं हत्याकांड मामले में मौत की सजा का सामना कर रहे दोषी की वह पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी जिसमें उसने मृत्युदंड बरकरार रखने के उसके आदेश की समीक्षा किए जाने का अनुरोध किया था.

दोषी मनोहरन को 2010 में कोयंबटूर में एक नाबालिग लड़की का सामूहिक बलात्कार और बाद में उसकी तथा उसके भाई की हत्या करने के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी.

न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने एक के मुकाबले दो के बहुमत से फैसला सुनाते हुए कहा कि दोषी मनोहरन की मौत की सजा को बरकरार रखने वाले फैसले की समीक्षा करने का कोई आधार नहीं है .

पढ़ें- उत्तराखंड : POCSO कोर्ट ने सुनाई थी फांसी की सजा, हाई कोर्ट ने किया दोष मुक्त

न्यायमूर्ति नरीमन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी जबकि न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने कहा कि केवल सजा के बिंदु पर उनका विचार अलग है . पीठ ने कहा, 'बहुमत के फैसले के मद्देनजर पुनरीक्षण याचिका पूरी तरह खारिज की जाती है.'

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कोयंबटूर में 2010 में हुए बलात्कार एवं हत्याकांड मामले में मौत की सजा का सामना कर रहे दोषी की वह पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी जिसमें उसने मृत्युदंड बरकरार रखने के उसके आदेश की समीक्षा किए जाने का अनुरोध किया था.

दोषी मनोहरन को 2010 में कोयंबटूर में एक नाबालिग लड़की का सामूहिक बलात्कार और बाद में उसकी तथा उसके भाई की हत्या करने के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी.

न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने एक के मुकाबले दो के बहुमत से फैसला सुनाते हुए कहा कि दोषी मनोहरन की मौत की सजा को बरकरार रखने वाले फैसले की समीक्षा करने का कोई आधार नहीं है .

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न्यायमूर्ति नरीमन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी जबकि न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने कहा कि केवल सजा के बिंदु पर उनका विचार अलग है . पीठ ने कहा, 'बहुमत के फैसले के मद्देनजर पुनरीक्षण याचिका पूरी तरह खारिज की जाती है.'

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SC-LD DEATH ROW
Coimbatore child rape-murder case: SC dismisses review plea of death row convict
(Eds: Adding background)
         New Delhi, Nov 7 (PTI) The Supreme Court on Thursday reaffirmed the death penalty of a convict for "horribly" gangraping a 10-year-old girl and killing her along with her brother in Coimbatore in 2010.
         In a majority judgment of 2:1, a bench headed by Justice R F Nariman dismissed the plea filed by the convict Manoharan and said there are no grounds to review the verdict.
          While Justices Nariman and Suryakant dismissed the review plea, Justice Sanjiv Khanna, who was also part of the three-judge bench, said he has a different view on the point of the sentence only.
          "In view of the majority judgment, the review petition stands dismissed in its entirety," the bench said.
         The top court had last month stayed the execution of convict Manoharan and said it would hear arguments on his plea seeking review of its August 1 verdict which had confirmed his death penalty.
         The apex court had on August 1 sent Manoharan to gallows for raping the girl along with a co-accused and killing her and her seven-year-old brother by throwing them in a canal with their hands tied.
         Terming the offence as "shocking" and "cold blooded", a three-judge bench, by a majority of 2:1, had upheld the verdicts of the trial court and the Madras High Court to award death penalty to the convict, saying the offence fell under the "rarest of rare" category.
          Manoharan and co-accused Mohanakrishnan, who was later shot dead in an encounter, had picked up the minor girl and her younger brother from outside a temple on October 29, 2010 when they were going to school.
         They had tied the hands of both minor siblings and brutally gang-raped the girl before trying to kill them by poisoning.
          As they did not die of poisoning, the two men tied their hands and threw them into the Parambikulam-Axhiyar Project canal where they drowned.
          In its August 1 verdict, Justices Nariman, Khanna and Surya Kant were on the same page in upholding the conviction of Manoharan for offences of kidnapping, gang rape and murder.
          However, Justice Khanna was of the view that instead of death penalty, the jail term for the remainder of life without any benefit of remission would meet the ends of justice. PTI ABA LLP LLP
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NNNN
Last Updated : Nov 7, 2019, 4:58 PM IST
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