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फारुक अब्दुल्ला की हिरासत को चुनौती देने के लिए नई याचिका दाखिल करें वाइको : SC

एमडीएमके के महासचिव वाइको द्वारा जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की रिहाई के लिए दायर की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

फारूक अब्दुल्ला ( फाइल फोटो)
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Published : Sep 30, 2019, 10:32 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 4:13 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एमडीएमके के महासचिव वाइको की बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका खारिज कर दी. याचिका में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला की रिहाई की मांग की गई थी.

सोमवार को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के प्रावधानों के तहत उनकी गिरफ्तारी पर गौर करने के बाद याचिका में कोई दम नजर नहीं आया.

हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को उचित प्राधिकरण के समक्ष गिरफ्तारी को चुनौती देने की स्वतंत्रता है. शीर्ष न्यायालय ने वाइको को निर्देश दिए हैं कि वह जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की हिरासत के खिलाफ एक नई याचिका दायर करें.

बता दें कि मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के अंतर्गत हिरासत में रखा गया है. अब्दुल्ला सहित जम्मू-कश्मीर के ज्यादातर राजनेता पांच अगस्त से नजरबंदी में हैं. केंद्र सरकार ने पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 को रद्द करने की घोषणा की.

राज्यसभा सांसद और मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके) के महासचिव वाइको ने अब्दुल्ला को चेन्नई में एक सम्मेलन में भाग लेने की अनुमति देने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी.

पढ़ें- कश्मीर पर UN जाना नेहरू की गलती, कांग्रेस इतिहास नहीं मिटा सकती : बीजेपी

यह सम्मेलन 15 सितंबर को वाइको द्वारा आयोजित किया गया था. अब यह समारोह खत्म हो चुका है. वाइको ने अदालत से कहा कि कई सालों से वह तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री थिरु सी.एन.अन्नादुरई की जयंती के मौके पर एक सम्मेलन आयोजित करते आ रहे हैं.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एमडीएमके के महासचिव वाइको की बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका खारिज कर दी. याचिका में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला की रिहाई की मांग की गई थी.

सोमवार को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के प्रावधानों के तहत उनकी गिरफ्तारी पर गौर करने के बाद याचिका में कोई दम नजर नहीं आया.

हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को उचित प्राधिकरण के समक्ष गिरफ्तारी को चुनौती देने की स्वतंत्रता है. शीर्ष न्यायालय ने वाइको को निर्देश दिए हैं कि वह जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की हिरासत के खिलाफ एक नई याचिका दायर करें.

बता दें कि मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के अंतर्गत हिरासत में रखा गया है. अब्दुल्ला सहित जम्मू-कश्मीर के ज्यादातर राजनेता पांच अगस्त से नजरबंदी में हैं. केंद्र सरकार ने पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 को रद्द करने की घोषणा की.

राज्यसभा सांसद और मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके) के महासचिव वाइको ने अब्दुल्ला को चेन्नई में एक सम्मेलन में भाग लेने की अनुमति देने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी.

पढ़ें- कश्मीर पर UN जाना नेहरू की गलती, कांग्रेस इतिहास नहीं मिटा सकती : बीजेपी

यह सम्मेलन 15 सितंबर को वाइको द्वारा आयोजित किया गया था. अब यह समारोह खत्म हो चुका है. वाइको ने अदालत से कहा कि कई सालों से वह तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री थिरु सी.एन.अन्नादुरई की जयंती के मौके पर एक सम्मेलन आयोजित करते आ रहे हैं.

Intro:The Supreme Court today declined to pass any order on MDMK's chief Vaiko's petition challenging the detention of Farooq Abdullah. The cheif Justice of India Ranjan Gogoi said that he is in detention under the Public Safety Act and that has to be challenged before an appropriate authority.


Body:The order for detention was issued against Abduallah on 16th September. The SC had previously issued a notice to the centre in this petition.



Conclusion:
Last Updated : Oct 2, 2019, 4:13 PM IST
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