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एअर इंडिया प्रकरण : पूर्व आदेश में संशोधन से सुप्रीम कोर्ट का इनकार - पूर्व आदेश में संशोधन

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एअर इंडिया को दस दिनों के लिए परिचालन करने, बीच की सीटों के साथ उड़ान भरने और विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने वाले आदेश को संशोधित करने से इनकार कर दिया है.

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Published : May 27, 2020, 7:39 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और एअर इंडिया को अगले दस दिनों के लिए अपनी निर्धारित उड़ानों में विमान की बीच वाली सीट पर भी यात्रियों को बैठाने की सोमवार को अनुमति प्रदान की थी. बुधवार को मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुआई वाली खंडपीठ ने 25 मई के अपने पहले आदेश को संशोधित करने से इनकार कर दिया है.

शीर्ष अदालत ने कहा कि छह जून के बाद एअर इंडिया बॉम्बे उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के अनुरूप ही अपनी गैर नियमित उड़ानों का परिचालन करेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंतरिम आदेशों को बदले बिना बॉम्बे हाईकोर्ट को मामले के बारे में फैसला करने दें.

केंद्र ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि एक समिति है, जो इस मामले की जांच कर रही है. नागरिकों का स्वास्थ्य सर्वोपरि है.

सीजेआई ने कहा कि अदालत ने उन्हें विदेश से फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए कहा था और उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी जानी चाहिए.

सीजेआई ने आगे कहा कि उन्होंने जो कुछ भी किया है, वह कितना भी बुरा क्यों न हो. अंतरिम व्यवस्था 10 दिनों तक जारी रहेगी.

उच्च न्यायालय ने 22 मई को एअर इंडिया के एक पायलट देवेन कनानी की याचिका पर एअर इंडिया और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय से जवाब मांगा था. इस याचिका में दावा किया गया है कि विमानन कंपनी विदेश में फंसे भारतीय नागरिकों को भारत लाते समय कोविड-19 से संबंधित उपायों का पालन नहीं कर रही है.

पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट का एयर इंडिया को आदेश, 10 दिन बाद न हो मिडिल सीट की बुकिंग

उच्च न्यायालय ने एअर इंडिया और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश देते हुए इस मामले को दो जून के लिए सूचीबद्ध कर दिया था.

पायलट देवेन योगेश कनानी ने अपनी याचिका में दावा किया था कि कोरोना महामारी की वजह से विदेश में फंसे भारतीयों को लाने के संबंध में भारत सरकार के 23 मार्च के सर्कुलर में कोविड-19 संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए कुछ शर्ते निर्धारित की गई थीं.

हालांकि, विमान में दो यात्रियों के बीच की सीट खाली रखने वाली शर्त का एअर इंडिया पालन नहीं कर रहा है.

कनानी ने अपने दावे के समर्थन में सैन फ्रांसिस्को और मुंबई के बीच एयर इंडिया की उड़ान की तस्वीर भी पेश की, जिसमे सारी सीटें भरी हुई थीं.

एअर इंडिया ने पायलट की याचिका का विरोध किया था और उच्च न्यायालय को बताया था कि 23 मार्च के सर्कुलर के बाद सरकार ने 22 मई को एक नया सर्कुलर जारी किया है, जिसमें 25 मई से घरेलू उड़ानों की अनुमति दी गई है. एअर इंडिया ने कहा कि नए सर्कुलर में यह नहीं कहा गया है कि बीच की सीट खाली रखनी होगी.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और एअर इंडिया को अगले दस दिनों के लिए अपनी निर्धारित उड़ानों में विमान की बीच वाली सीट पर भी यात्रियों को बैठाने की सोमवार को अनुमति प्रदान की थी. बुधवार को मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुआई वाली खंडपीठ ने 25 मई के अपने पहले आदेश को संशोधित करने से इनकार कर दिया है.

शीर्ष अदालत ने कहा कि छह जून के बाद एअर इंडिया बॉम्बे उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के अनुरूप ही अपनी गैर नियमित उड़ानों का परिचालन करेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंतरिम आदेशों को बदले बिना बॉम्बे हाईकोर्ट को मामले के बारे में फैसला करने दें.

केंद्र ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि एक समिति है, जो इस मामले की जांच कर रही है. नागरिकों का स्वास्थ्य सर्वोपरि है.

सीजेआई ने कहा कि अदालत ने उन्हें विदेश से फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए कहा था और उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी जानी चाहिए.

सीजेआई ने आगे कहा कि उन्होंने जो कुछ भी किया है, वह कितना भी बुरा क्यों न हो. अंतरिम व्यवस्था 10 दिनों तक जारी रहेगी.

उच्च न्यायालय ने 22 मई को एअर इंडिया के एक पायलट देवेन कनानी की याचिका पर एअर इंडिया और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय से जवाब मांगा था. इस याचिका में दावा किया गया है कि विमानन कंपनी विदेश में फंसे भारतीय नागरिकों को भारत लाते समय कोविड-19 से संबंधित उपायों का पालन नहीं कर रही है.

पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट का एयर इंडिया को आदेश, 10 दिन बाद न हो मिडिल सीट की बुकिंग

उच्च न्यायालय ने एअर इंडिया और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश देते हुए इस मामले को दो जून के लिए सूचीबद्ध कर दिया था.

पायलट देवेन योगेश कनानी ने अपनी याचिका में दावा किया था कि कोरोना महामारी की वजह से विदेश में फंसे भारतीयों को लाने के संबंध में भारत सरकार के 23 मार्च के सर्कुलर में कोविड-19 संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए कुछ शर्ते निर्धारित की गई थीं.

हालांकि, विमान में दो यात्रियों के बीच की सीट खाली रखने वाली शर्त का एअर इंडिया पालन नहीं कर रहा है.

कनानी ने अपने दावे के समर्थन में सैन फ्रांसिस्को और मुंबई के बीच एयर इंडिया की उड़ान की तस्वीर भी पेश की, जिसमे सारी सीटें भरी हुई थीं.

एअर इंडिया ने पायलट की याचिका का विरोध किया था और उच्च न्यायालय को बताया था कि 23 मार्च के सर्कुलर के बाद सरकार ने 22 मई को एक नया सर्कुलर जारी किया है, जिसमें 25 मई से घरेलू उड़ानों की अनुमति दी गई है. एअर इंडिया ने कहा कि नए सर्कुलर में यह नहीं कहा गया है कि बीच की सीट खाली रखनी होगी.

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