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यूनिफॉर्म एजुकेशन पॉलिसी पर सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल, अदालत का सुनवाई से इनकार

उच्चतम न्यायालय ने देश में 6 से 14 साल की आयु के सभी बच्चों के लिये समान पाठ्यक्रम वाली एक समान शिक्षा प्रणाली लागू करने के लिये दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने से इनकार कर दिया है. पीठ ने टिप्पणी की, 'आप न्यायालय से कैसे अनुरोध कर सकते हैं कि वह एक बोर्ड का दूसरे में विलय कर दे. ये न्यायालय के काम नहीं हैं.'

supreme court on uniform education policy
यूनिफॉर्म एजुकेशन पॉलिसी पर सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jul 17, 2020, 3:13 PM IST

नई दिल्ली : भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. अश्विनी कुमार ने भारत में यूनिफॉर्म एजुकेशन पॉलिसी की मांग करते हुए याचिका दायर की थी. पीठ ने इस याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता इसके लिये सरकार को प्रतिवेदन दे सकता है.

शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिए सुनवाई की. पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि ये नीतिगत मामले हैं और न्यायालय द्वारा इनका निर्णय नहीं किया जा सकता है.

उपाध्याय ने इस याचिका में विभिन्न शिक्षा बोर्ड का विलय करके देश में 'एक राष्ट्र एक शिक्षा बोर्ड' स्थापित करने की संभावना तलाश करने का केन्द्र को निर्देश देने का अनुरोध किया था.

याचिका में कहा गया था कि केन्द्र और राज्यों ने संविधान के अनुच्छेद 21ए (नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा) की भावना के अनरूप देश में एक समान पाठ्यक्रम वाली शिक्षा प्रणाली स्थापित करने की दिशा में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है.

याचिका में तर्क दिया गया था कि केन्द्र और राज्यों द्वारा मूल्यों पर आधारित समान शिक्षा उपलब्ध कराये बगैर बच्चे संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत अपने मौलिक अधिकारों का इस्तेमाल नहीं कर पायेंगे.

याचिका में कहा गया है कि शिक्षा का माध्यम भले ही संबंधित राज्य की शासकीय भाषा के अनुरूप भिन्न हो सकता है लेकिन 6 से 14 साल की आयुवर्ग के बच्चों के लिये शिक्षा का पाठ्यक्रम एक समान होना चाहिए.

नई दिल्ली : भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. अश्विनी कुमार ने भारत में यूनिफॉर्म एजुकेशन पॉलिसी की मांग करते हुए याचिका दायर की थी. पीठ ने इस याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता इसके लिये सरकार को प्रतिवेदन दे सकता है.

शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिए सुनवाई की. पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि ये नीतिगत मामले हैं और न्यायालय द्वारा इनका निर्णय नहीं किया जा सकता है.

उपाध्याय ने इस याचिका में विभिन्न शिक्षा बोर्ड का विलय करके देश में 'एक राष्ट्र एक शिक्षा बोर्ड' स्थापित करने की संभावना तलाश करने का केन्द्र को निर्देश देने का अनुरोध किया था.

याचिका में कहा गया था कि केन्द्र और राज्यों ने संविधान के अनुच्छेद 21ए (नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा) की भावना के अनरूप देश में एक समान पाठ्यक्रम वाली शिक्षा प्रणाली स्थापित करने की दिशा में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है.

याचिका में तर्क दिया गया था कि केन्द्र और राज्यों द्वारा मूल्यों पर आधारित समान शिक्षा उपलब्ध कराये बगैर बच्चे संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत अपने मौलिक अधिकारों का इस्तेमाल नहीं कर पायेंगे.

याचिका में कहा गया है कि शिक्षा का माध्यम भले ही संबंधित राज्य की शासकीय भाषा के अनुरूप भिन्न हो सकता है लेकिन 6 से 14 साल की आयुवर्ग के बच्चों के लिये शिक्षा का पाठ्यक्रम एक समान होना चाहिए.

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