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यूजीसी गाइडलाइंस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, बिना परीक्षा प्रमोट नहीं होंगे छात्र

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राज्यों को छात्रों को बढ़ावा देने के लिए परीक्षा आयोजित करनी चाहिए. इसमें कहा गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत राज्यों में महामारी को देखते हुए परीक्षाएं स्थगित की जा सकती हैं, लेकिन बिना परीक्षा के छात्र अगली कक्षा में नहीं जा पाएंगे.

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सुप्रीम कोर्ट ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के छह जुलाई के परिपत्र को बरकरार रखा
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Published : Aug 28, 2020, 11:10 AM IST

Updated : Aug 28, 2020, 12:21 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि राज्य एवं विश्वविद्यालय 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराए बिना विद्यार्थियों को प्रोन्नत नहीं कर सकते हैं.

अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने के यूजीसी के फैसले को बरकरार रखते हुए, न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर किसी राज्य को लगता है कि वह उस तारीख तक परीक्षाएं आयोजित नहीं करा सकता तो उसे परीक्षा की नई तारीखों के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का रुख करना चाहिए.

शिवसेना की युवा शाखा, युवा सेना शीर्ष अदालत में एक याचिकाकर्ता है और उसने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बीच परीक्षाएं कराने के यूजीसी के निर्देशों पर सवाल उठाया है.

यूजीसी ने पूर्व में कहा था कि छह जुलाई के दिशा-निर्देश विशेषज्ञों की अनुशंसाओं पर आधारित हैं और उन्हें उचित चर्चा के बाद तैयार किया गया है और यह दावा करना गलत होगा कि दिशा-निर्देशों के लिहाज से अंतिम परीक्षाएं कराना संभव नहीं है.

अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द करने के दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों के फैसले पर निशाना साधते हुए, यूजीसी ने कहा कि ऐसे फैसले उच्च शिक्षा के मानकों को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं और उच्च शिक्षा के मानकों को निर्धारित एवं समन्वित करने के विधायी क्षेत्र पर अतिक्रमण हैं, जोकि संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत केवल संसद का विशेषाधिकार है.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि राज्य एवं विश्वविद्यालय 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराए बिना विद्यार्थियों को प्रोन्नत नहीं कर सकते हैं.

अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने के यूजीसी के फैसले को बरकरार रखते हुए, न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर किसी राज्य को लगता है कि वह उस तारीख तक परीक्षाएं आयोजित नहीं करा सकता तो उसे परीक्षा की नई तारीखों के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का रुख करना चाहिए.

शिवसेना की युवा शाखा, युवा सेना शीर्ष अदालत में एक याचिकाकर्ता है और उसने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बीच परीक्षाएं कराने के यूजीसी के निर्देशों पर सवाल उठाया है.

यूजीसी ने पूर्व में कहा था कि छह जुलाई के दिशा-निर्देश विशेषज्ञों की अनुशंसाओं पर आधारित हैं और उन्हें उचित चर्चा के बाद तैयार किया गया है और यह दावा करना गलत होगा कि दिशा-निर्देशों के लिहाज से अंतिम परीक्षाएं कराना संभव नहीं है.

अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द करने के दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों के फैसले पर निशाना साधते हुए, यूजीसी ने कहा कि ऐसे फैसले उच्च शिक्षा के मानकों को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं और उच्च शिक्षा के मानकों को निर्धारित एवं समन्वित करने के विधायी क्षेत्र पर अतिक्रमण हैं, जोकि संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत केवल संसद का विशेषाधिकार है.

Last Updated : Aug 28, 2020, 12:21 PM IST
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