नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में मुख्य आरोपित गौतम नवलखा को राहत प्रदान करते हुए आदेश जारी किया है कि उन्हें 15 अक्टूबर तक गिरफ्तार न किया जाए. ज्ञातव्य है कि बाम्बे हाईकोर्ट ने समाजिक कार्यकर्ता गौतम की गिरफ्तारी का आदेश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को यह आदेश भी दिया है कि नवलखा के खिलाफ चल रही जांच के दौरान जो भी सबूत मिले हैं, उन्हें कोर्ट कोर्ट में लाया जाए.
ज्ञातव्य है कि 13 सितम्बर को बाम्बे उच्च न्यायालय ने नवलखा के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद करने से इनकार कर दिया था. नवलखा ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका दायर की. जिसपर सुनवाई के लिए सुुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया. न्यायमूर्ति अरुण मिश्र और दीपक गुप्त की खंडपीठ 15 अक्टूबर को इस याचिका की सुनवाई करेगी.
महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले में पहले एक कैविएट (caveat) दायर किया था, इसमें कोई आदेश पारित होने से पहले सुनवाई की मांग की गई थी.
बता दें कि नवलखा पर माओवादियों के साथ कथित संबंध होने का आरोप लगा है, हाईकोर्ट ने कहा था, 'मामला प्रथम दृष्टया सही लग रहा है. मामले की गम्भीरता को देखते हुए हमें लगता है कि पूरी तरह से जांच की आवश्यकता है.'
हालांकि, बाम्बे हाईकोर्ट ने नवलखा को गिरफ्तारी से बचने के लिए तीन सप्ताह तक की मोहलत दी थी ताकि वह आदेश के खिलाफ याचिका दायर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट जा सकें.
गौरतलब है कि 31 दिसम्बर, 2017 को एल्गर परिषद की ओर से एक सभा आहूत की गयी थी और इसके अगले ही दिन पुणे जिले के कोरेगांव में कथित रूप से हिंसा भड़क उठी थी। पुणे पुलिस ने नवलखा औरअन्य लोगों के खिलाफ जनवरी, 2018 में प्राथमिकी (एफआईआर) की थी.
पुलिस ने यह भी आरोप लगाया है कि मामले में नवलखा और अन्य आरोपितों के माओवादियों से संबंध थे और वे सरकार के खिलाफ काम कर रहे थे.
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बता दें कि नवलखा और अन्य आरोपितों पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मामले दर्ज किये गये थे. नवलखा के अलावा ंवारवरा राव, अरुण फरेरा, वर्नोन गोंसाल्वेस और सुधा भारद्वाज चार अन्य आरोपित हैं.