नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने रोहित वेमुला और पायल तड़वी दोनों की मां की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करने पर आज सहमति जताई. दोनों ने ही कथित तौर पर जाति आधारित भेदभाव के बाद आत्महत्या कर ली थी.
इस याचिका में विश्वविद्यालयों और देश भर के अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में इस तरह के भेदभाव खत्म किए जाने का अनुरोध किया गया है.
हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में पीएचडी के छात्र वेमुला ने कथित जातिगत भेदभाव के बाद 17 जनवरी, 2016 को आत्महत्या कर ली थी जबकि टीएन टोपीवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज की एक आदिवासी छात्रा ने कॉलेज की ही तीन डॉक्टरों द्वारा कथित जातिगत भेदभाव के बाद इस साल 22 मई को आत्महत्या कर ली थी.
न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने याचिका पर केंद्र को नोटिस भेज कर चार हफ्तों के भीतर जवाब मांगा है.
वेमुला और तड़वी की मांओं की ओर से पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि इस संबंध में यूजीसी के नियम हैं लेकिन उन्हें लागू नहीं किया गया है.
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उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय परिसरों में आत्महत्या की घटनाओं के लिखित प्रमाण मिलते हैं.
याचिकाकर्ताओं ने समता का अधिकार, जातिगत भेदभाव पर रोक का अधिकार और जीवन का अधिकार जैसे मौलिक अधिकारों को अमल में लाने का भी अनुरोध किया है.