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भारत के सभी जिलों में मानवाधिकार कोर्ट की मांग, SC ने केंद्र और राज्यों को भेजा नोटिस

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Published : Jul 8, 2019, 4:14 PM IST

Updated : Jul 8, 2019, 4:28 PM IST

मानव अधिकार अधिनियम 1993 की धारा 30 और 31 के तहत प्रत्येक जिले में मानवाधिकार न्यायालयों की स्थापना जरूरी है. इसके लिए आज सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को एक नोटिस जारी किया है. पढ़ें पूरी खबर.

कॉन्सेप्ट इमेज.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें प्रत्येक जिले के लिए मानवाधिकार न्यायालयों की स्थापना की मांग की गई थी. इस याचिका के तहत अदालत ने केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया है.

गौरतलब है कि मानव अधिकार अधिनियम 1993 की धारा 30 और 31 के तहत सभी जिलों में मानवाधिकार न्यायालयों की स्थापना करना आवश्यक है.

बता दें, याचिकाकर्ता व कानून की छात्रा भाविका फोरे द्वारा दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई में की गई.

पढ़ें: मस्जिद में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति के लिए SC पहुंची हिंदू महासभा, याचिका खारिज

इस याचिका में भाविका फोरे ने मानवाधिकारों के उल्लंघन से उत्पन्न होने वाले अपराधों के लिए तीन महीनों के भीतर स्पीडी ट्रायल अनिवार्य करने की मांग की है.

इसके साथ ही भाविका ने इसके लिए विशेष सरकारी अभियोजकों की नियुक्ति की भी मांग की है.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें प्रत्येक जिले के लिए मानवाधिकार न्यायालयों की स्थापना की मांग की गई थी. इस याचिका के तहत अदालत ने केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया है.

गौरतलब है कि मानव अधिकार अधिनियम 1993 की धारा 30 और 31 के तहत सभी जिलों में मानवाधिकार न्यायालयों की स्थापना करना आवश्यक है.

बता दें, याचिकाकर्ता व कानून की छात्रा भाविका फोरे द्वारा दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई में की गई.

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इस याचिका में भाविका फोरे ने मानवाधिकारों के उल्लंघन से उत्पन्न होने वाले अपराधों के लिए तीन महीनों के भीतर स्पीडी ट्रायल अनिवार्य करने की मांग की है.

इसके साथ ही भाविका ने इसके लिए विशेष सरकारी अभियोजकों की नियुक्ति की भी मांग की है.

Intro:The Supreme Court today issued a notice to the centre and the states on plea to set up Human Rights Courts for each district in the country, as required under Section 30 and 31 of the Protection of Human Rights Act,1993.


Body:The bench headed the Cheif Justice of India, Ranjan Gogoi, was litsening to plea filed by a law student, Bhavika Phore, who seeked the appointment of special public prosecutors to conduct speedy trial compulsoraly within 3 months of offences arising out of human rights violation.


Conclusion:
Last Updated : Jul 8, 2019, 4:28 PM IST
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