ETV Bharat / bharat

2017 से हिरासत में है लकवाग्रस्त शख्स, SC ने केन्द्र और असम सरकार से मांगा जवाब

कोर्ट ने विदेशी घोषित लकवाग्रस्त एक व्यक्ति की याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. पढ़ें पूरी खबर....

न्यायालय ने विदेशी घोषित लकवाग्रस्त व्यक्ति की याचिका पर केन्द्र और असम सरकार से मांगा जवाब
author img

By

Published : Jul 4, 2019, 12:05 AM IST

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित किये गये लकवा से ग्रस्त एक व्यक्ति की याचिका पर केन्द्र और असम सरकार से जवाब मांगा है. हिरासत शिविर में 24 मार्च, 2017 से बंद अजीजुल हक को असम में न्यायाधिकरण ने एकतरफा कार्यवाही में विदेशी घोषित कर दिया. अब उसके सिर पर बांग्लादेश भेजे जाने का खतरा मंडरा रहा है.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने अजीजुल हक की याचिका पर केन्द्र और असम सरकार को नोटिस जारी करने का आदेश दिया.

बता दें, इन्हें दो सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देना है.

न्यायाधिकरण और गौहाटी उच्च न्यायालय ने अजीजुल हक को इस आधार पर विदेशी घोषित कर दिया कि वह या उसका कोई प्रतिनिधि उनके समक्ष पेश नहीं हुआ. अजीजुल हक का नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजी के मसौदे में शामिल था.

हक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े और अधिवक्ता अनस तनवीर ने कहा कि विदेशी नागरिकों की पहचान करने वाले न्यायाधिकरण और उच्च न्यायालय ने उसे अवैध विदेशी बताकर वापस भेजने की आवश्यकता के निष्कर्ष पर पहुंच कर गलती की है.

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता का मेडिकल प्रमाण पत्र स्वीकार करने के बावजूद उसकी याचिका खारिज कर दी. इस प्रमाण पत्र में प्रमाणित किया गया है कि उसके शरीर का निचली हिस्सा लकवा ग्रस्त है.

उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता का नाम उसके परिवार के सदस्यों के साथ नागरिक पंजी के मसौदे में शामिल था.

हेगड़े ने कहा कि सिर्फ इस आधार पर उसकी नागरिकता छीन ली गयी कि वह न्यायाधिकरण के समक्ष पेश होने के लिये किसी को नियुक्त नहीं कर सका था.

याचिका में कहा गया है कि न्यायाधिकरण और उच्च न्यायालय ने इस तथ्य पर गौर नहीं किया कि याचिकाकर्ता ने 1965 की मतदाता सूची में दर्शाये गये अपने दादा, दादी, पिता और मां के नामों के साथ ही नागांव के उपायुक्त द्वारा 1941-42 में उसके दादा के नाम जारी ‘जामबंदी’ दस्तावेज पेश किये थे.

शीर्ष अदालत असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया की निगरानी कर रहा है और वह पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि अंतिम पंजी के प्रकाशन की तारीख 31 जुलाई से आगे नहीं बढ़ाई जायेगी.

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित किये गये लकवा से ग्रस्त एक व्यक्ति की याचिका पर केन्द्र और असम सरकार से जवाब मांगा है. हिरासत शिविर में 24 मार्च, 2017 से बंद अजीजुल हक को असम में न्यायाधिकरण ने एकतरफा कार्यवाही में विदेशी घोषित कर दिया. अब उसके सिर पर बांग्लादेश भेजे जाने का खतरा मंडरा रहा है.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने अजीजुल हक की याचिका पर केन्द्र और असम सरकार को नोटिस जारी करने का आदेश दिया.

बता दें, इन्हें दो सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देना है.

न्यायाधिकरण और गौहाटी उच्च न्यायालय ने अजीजुल हक को इस आधार पर विदेशी घोषित कर दिया कि वह या उसका कोई प्रतिनिधि उनके समक्ष पेश नहीं हुआ. अजीजुल हक का नाम राष्ट्रीय नागरिक पंजी के मसौदे में शामिल था.

हक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े और अधिवक्ता अनस तनवीर ने कहा कि विदेशी नागरिकों की पहचान करने वाले न्यायाधिकरण और उच्च न्यायालय ने उसे अवैध विदेशी बताकर वापस भेजने की आवश्यकता के निष्कर्ष पर पहुंच कर गलती की है.

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता का मेडिकल प्रमाण पत्र स्वीकार करने के बावजूद उसकी याचिका खारिज कर दी. इस प्रमाण पत्र में प्रमाणित किया गया है कि उसके शरीर का निचली हिस्सा लकवा ग्रस्त है.

उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता का नाम उसके परिवार के सदस्यों के साथ नागरिक पंजी के मसौदे में शामिल था.

हेगड़े ने कहा कि सिर्फ इस आधार पर उसकी नागरिकता छीन ली गयी कि वह न्यायाधिकरण के समक्ष पेश होने के लिये किसी को नियुक्त नहीं कर सका था.

याचिका में कहा गया है कि न्यायाधिकरण और उच्च न्यायालय ने इस तथ्य पर गौर नहीं किया कि याचिकाकर्ता ने 1965 की मतदाता सूची में दर्शाये गये अपने दादा, दादी, पिता और मां के नामों के साथ ही नागांव के उपायुक्त द्वारा 1941-42 में उसके दादा के नाम जारी ‘जामबंदी’ दस्तावेज पेश किये थे.

शीर्ष अदालत असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया की निगरानी कर रहा है और वह पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि अंतिम पंजी के प्रकाशन की तारीख 31 जुलाई से आगे नहीं बढ़ाई जायेगी.

Intro:The Supreme Court today issued a notice to the Centre and the Assam government on a plea regarding imprisoned paralyzed man ,Azizul Hoque, who has been declared a foreigner by Tribunal and facing eminent deportation to Bangladesh. The bench comprising CJI Ranjan Gogoi, Justices Deepak Gupta and Aniruddha Bose sought a response within 3 weeks from the government.


Body:Azizul Hoque, who is lost in a detention Centre since March 24th 2017 , was declared a foreigner by Tribunal in Assam in an ex-parte proceedings as he failed to appear due to lower-limb paralysis.

The petition said that the Tribunal and Gauhati High Court declared Hoque, whose name figured in the draught of National Register of Citizens (NRC) of Assam as a citizen as foreigner on the ground that neither he nor his representative appeared before the Tribunal.


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.