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सीएए से जुड़ीं याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

उच्चतम न्यायालय की पीठ ने नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (सीएए) को चुनौती देने वालीं याचिकाओं पर नोटिस जारी कर उन्हें एक साथ जोड़ने के लिए कहा है. जानें विस्तार से...

supreme court
supreme court notice on issue of caa
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Published : May 20, 2020, 8:37 PM IST

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अगुआई वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने आज नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (सीएए) को चुनौती देने वालीं याचिकाओं के एक समूह को नोटिस जारी किया है. उन्होंने सीएए मुद्दे से जुड़ीं 150 से अधिक याचिकाओं को एक साथ जोड़ने के लिए कहा है.

असम के एक याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका पर अंतरिम आदेश मांगा और अन्य याचिकाओं से अलग असम समझौते पर विचार करने के लिए आग्रह किया. लेकिन अदालत ने इससे इनकार कर दिया. मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने कहा कि असम समझौते के संबंध में कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जा सकता है.

बता दें कि लॉकडाउन शुरू होने के बाद आज सीएए मामलों को पहली बार सूचीबद्ध किया गया और इसमें शामिल पक्षों ने तर्क प्रस्तुत किया. इसके बाद यह नोटिस जारी करने और इसी तरह की अन्य याचिकाओं को जोड़ने के आदेश के साथ संपन्न हुआ.

गौरतलब है कि पिछले साल 11 दिसंबर, 2019 को संसद ने सीएए पारित किया था, जो गैर मुस्लिमों को 12 साल की पूर्व पात्रता के बदले भारत में छह साल के निवास में नागरिकता प्राप्त करने की अनुमति देता है.

सरकार के अनुसार यह अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों यानी, हिन्द, जैन, सिख, ईसाई, पारसी व बौद्धों को आश्रय देने का इरादा रखता है. अधिनियम के जवाब में, राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था और शीर्ष अदालत में 150 से अधिक याचिकाएं दायर की गईं, जो अब भी लंबित हैं.

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अगुआई वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने आज नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (सीएए) को चुनौती देने वालीं याचिकाओं के एक समूह को नोटिस जारी किया है. उन्होंने सीएए मुद्दे से जुड़ीं 150 से अधिक याचिकाओं को एक साथ जोड़ने के लिए कहा है.

असम के एक याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका पर अंतरिम आदेश मांगा और अन्य याचिकाओं से अलग असम समझौते पर विचार करने के लिए आग्रह किया. लेकिन अदालत ने इससे इनकार कर दिया. मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने कहा कि असम समझौते के संबंध में कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जा सकता है.

बता दें कि लॉकडाउन शुरू होने के बाद आज सीएए मामलों को पहली बार सूचीबद्ध किया गया और इसमें शामिल पक्षों ने तर्क प्रस्तुत किया. इसके बाद यह नोटिस जारी करने और इसी तरह की अन्य याचिकाओं को जोड़ने के आदेश के साथ संपन्न हुआ.

गौरतलब है कि पिछले साल 11 दिसंबर, 2019 को संसद ने सीएए पारित किया था, जो गैर मुस्लिमों को 12 साल की पूर्व पात्रता के बदले भारत में छह साल के निवास में नागरिकता प्राप्त करने की अनुमति देता है.

सरकार के अनुसार यह अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों यानी, हिन्द, जैन, सिख, ईसाई, पारसी व बौद्धों को आश्रय देने का इरादा रखता है. अधिनियम के जवाब में, राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था और शीर्ष अदालत में 150 से अधिक याचिकाएं दायर की गईं, जो अब भी लंबित हैं.

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