नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने भीमा कोरेगांव मामले पर दायर याचिका पर सुनवाई की. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा दायर याचिका में भीमा कोरेगांव के आरोपी गौतम नवलखा को दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ के जवाब में नोटिस जारी किया.
इस मामले पर 15 जून को फिर से सुनवाई होगी. दरअसल 28 मई को दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनआईए से गौतम नवलखा को दिल्ली से मुंबई स्थानांतरित होने पर एनआईए से जवाब मांगा था, जबकी जमानत याचिका पहले से ही अदालत में लंबित है.
अदालत ने कहा कि नवलखा को जल्दबाजी में ले जाया गया और एनआईए ने न्यायिक रिमांड बढ़ाने की अर्जी देने के लिए कहा.
मुंबई के स्थानांतरण के लिए तिहाड़ के जेल अधीक्षक द्वारा आवेदन दायर किया गया. वहीं पिछले मेडिकल रिकॉर्ड पर तुषार मेहता ने आज शीर्ष अदालत को बताया कि वे दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ है क्योंकि यह अधिकार क्षेत्र के बाहर है.
पीठ ने न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने दो सप्ताह के बाद वापसी योग्य होने के लिए नोटिस जारी किया है.
एनआईए की दलील थी कि नवलखा ने संयोग से 14 अप्रैल 2020 को दिल्ली में आत्मसमर्पण किया था, और लॉकडाउन के कारण उन्हें मुंबई नहीं ले जाया जा सका था. दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अनूप जयराम भंभानी की सिंगल बेंच ने नवलखा के न्यायिक रिमांड की अवधि बढ़ाने के लिए एनआईए कोर्ट की दिल्ली पीठ के समक्ष स्थानांतरित किए गए आवेदन का पूरा रिकॉर्ड मांगा था.
इसके अलावा तिहाड़ जेल के संबंधित जेल अधीक्षक की ओर से नवलखा को मुंबई स्थानांतरित करने की अनुमति के लिए दायर अर्जी की सुनवाई के लिए अदालत ने 3 जून, 2020 की तारीख तय की है. इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 16 मार्च को गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम के तहत दर्ज मामले में गौतम नवलखा और आनंद तेलतुम्बडे को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया था.
उन पर भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में माओवादियों से संबंध होने का आरोप लगाया गया था. जिसके बाद, नवलखा ने 14 अप्रैल को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था.
यह मामला एक जनवरी, 2018 को पुणे के पास भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा की घटनाओं से जुड़ा हुआ है. घटना के दिन कोरेगांव की लड़ाई की विजय की 200वीं वर्षगांठ की स्मृति में दलित संगठनों ने कार्यक्रम आयोजित किया था. पुणे पुलिस ने आरोप लगाया कि कार्यक्रम के हुई एल्गार परिषद की बैठक में हिंसा भड़काई गई थी.
आरोप लगाया गया कि बैठक का आयोजन प्रतिबंधित माओवादी संगठनों से जुड़े लोगों ने किया था. पुलिस ने जून 2018 में जाति विरोधी कार्यकर्ता सुधीर धवले, मानवाधिकार वकील सुरेंद्र गडलिंग, वन अधिकार अधिनियम कार्यकर्ता महेश राउत, सेवानिवृत्त अंग्रेजी प्रोफेसर शोमा सेन और मानवाधिकार कार्यकर्ता रोना विल्सन को गिरफ्तार किया था.
बाद में, एक्टिविस्ट-वकील सुधा भारद्वाज, तेलुगु कवि वरवर राव, एक्टिविस्ट अरुण फरेरा और वर्नोन गोंसाल्विस को गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने जून 2018 में गिरफ्तार छह लोगों के खिलाफ पहली चार्जशीट नवंबर 2018 में, दाखिल की थी. फरवरी 2019 में सुधा भारद्वाज, वरवरा राव, अरुण फरेरा और गोंसाल्विस के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दायर किया गए थे. गौतम नवलखा और आनंद तेलतुम्बडे का नाम आरोप पत्र में शामिल नहीं है.