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POCSO के लंबित मामले : SC ने 10 दिन में देशभर के सभी हाईकोर्ट का आंकड़ा मांगा - CJI RANJAN GOGOI

सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी रजिस्ट्री को पॉक्सो (POCSO) अधिनियम के संबध में आदेश दिए हैं. CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह आदेश दिए हैं. बता दें कि, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी कई राज्यों में पॉक्सो (POCSO) अधिनियम लागू नहीं हो पाया है.

सर्वोच्च न्यायालय
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Published : Jul 16, 2019, 7:41 PM IST

नई दिल्लीः सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी रजिस्ट्री से अपराधों का जिलेवार डाटा मांगा है. अदालत ने आदेश दिए हैं कि वह उच्च न्यायालय में पॉक्सो (POCSO) अधिनियम के तहत दर्ज अपराधों का जिलेवार डाटा एकत्रित किए जाएं. मामले की सुनवाई 25 जुलाई को होगी.

CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने अगले 10 दिनों में सभी दर्ज मुकदमों का डेटा और वह कितने समय से अपूर्ण हैं इसका डेटा कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश दिेए हैं.

एमिकस क्यूरिआ वी गिरी ने बताया कि, 'सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी पॉक्सो (POCSO) अधिनियम को लागू करने के लिए जरुरी कदम नहीं उठाए गए हैं. यही नहीं, कई राज्यों में अभी तक विशेष न्यायालयों की स्थापना नही की गई हैं.'

उन्होंने यह भी बताया कि विशेष न्यायालयों की स्थापना सिर्फ बाल यौन शोषण के मामलों से निपटने के लिए की जानी चाहिए वहीं न्यायाधीशों को संवेदनशील बनने की जरुरत के साथ सरकारी वकीलों की नियुक्ति की भी जरुरत है.

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उन्होंने अपनी बात में आगे कहा कि कुछ राज्यों में मुकदमों को छह माह के भीतर निपटानें का प्रावधन अभी तक नही लागू किया गया है.

बेंच ने गिरी से मामले पर सुझाव मांगे हैं. बीते हफ्ते गिरी ने बताया कि इस साल के जून माह तक 24,000 बाल यौन शोषण के मामले दर्ज किए गए हैं.

नई दिल्लीः सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी रजिस्ट्री से अपराधों का जिलेवार डाटा मांगा है. अदालत ने आदेश दिए हैं कि वह उच्च न्यायालय में पॉक्सो (POCSO) अधिनियम के तहत दर्ज अपराधों का जिलेवार डाटा एकत्रित किए जाएं. मामले की सुनवाई 25 जुलाई को होगी.

CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने अगले 10 दिनों में सभी दर्ज मुकदमों का डेटा और वह कितने समय से अपूर्ण हैं इसका डेटा कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश दिेए हैं.

एमिकस क्यूरिआ वी गिरी ने बताया कि, 'सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी पॉक्सो (POCSO) अधिनियम को लागू करने के लिए जरुरी कदम नहीं उठाए गए हैं. यही नहीं, कई राज्यों में अभी तक विशेष न्यायालयों की स्थापना नही की गई हैं.'

उन्होंने यह भी बताया कि विशेष न्यायालयों की स्थापना सिर्फ बाल यौन शोषण के मामलों से निपटने के लिए की जानी चाहिए वहीं न्यायाधीशों को संवेदनशील बनने की जरुरत के साथ सरकारी वकीलों की नियुक्ति की भी जरुरत है.

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उन्होंने अपनी बात में आगे कहा कि कुछ राज्यों में मुकदमों को छह माह के भीतर निपटानें का प्रावधन अभी तक नही लागू किया गया है.

बेंच ने गिरी से मामले पर सुझाव मांगे हैं. बीते हफ्ते गिरी ने बताया कि इस साल के जून माह तक 24,000 बाल यौन शोषण के मामले दर्ज किए गए हैं.

Intro:The Supreme Court today directed its registry to collect data district wise from all the high courts of offences under POCSO Act. The bench led by CJI Ranjan Gogoi has asked to file the data within 10 days on the total number of cased and also the time since they have been pending. The hearing is posted for the matter on 25th July.


Body:Amicus curiae, V Giri, said,"Despite the apex court's order it seems steps to implement mandatory peobisions of the Protection of Children from Sexual Offences(POCSO) Act have not been taken. Designated special courts have not been set up in several states."

He also added that the special courts need to be set up just to deal with the cases of child sex abuse and judges need to sensitised and public prosecutors need to be appointed. He also said that provisions of trials to be completed within 6 months in some states is yet not impemented.

The bench also asked for suggestions from Giri.Last week Giri had said that more than 24,000 FIRs regarding child rape cases were registered till june in this year.


Conclusion:
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