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तमिलनाडु सरकार ही खोजे प्रदेश में शराब ब्रिकी का तरीका : सु्प्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को शराब बेचने के तरीकों को लेकर अनुमति दे दी और कहा कि वह खुद तय कर सकती है कि शराब ऑनलाइन बेचनी है या फिर दुकानों पर. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह अदालत का काम नहीं है कि वह बताए कि शराब को कैसे बेचा जा सकता है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Jun 12, 2020, 7:06 PM IST

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को राज्य में ऑनलाइन अथवा सीधे शराब की बिक्री करने का तरीका अपनाने की अनुमति प्रदान की. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि शराब की बिक्री के तरीके निर्धारित करना अदालत का काम नहीं है.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ राज्य सरकार की फर्म तमिलनाडु राज्य विपणन निगम की दलील से सहमत थी. दलील में कहा गया है कि उसे शराब की बिक्री सिर्फ ऑनलाइन करने और घर पहुंचाने के बारे में कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता. राज्य में यह निगम ही शराब की बिक्री करता है.

पीठ ने इस मामले की वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान तमिलनाडु राज्य विपणन निगम को निर्देश दिया कि वह दुकानों में शराब की बिक्री के बारे में तीन सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करे.

शीर्ष अदालत ने 15 मई को तमिलनाडु में राज्य के स्वामित्व वाली शराब की दुकानों को खोलने का मार्ग प्रशस्त करते हुए मद्रास उच्च न्यायलाय के आठ मई के आदेश पर रोक लगा दी थी.

उच्च न्यायालय ने इन दुकानों को बंद करने का आदेश देते हुए कहा था कि कोरोना के दौरान सामाजिक दूरी बनाए रखने संबंधी दिशा निर्देशों का उल्लंघन हो रहा है.

पढ़ें : लॉकडाउन में पूरा वेतन देने के मामले में निजी कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि शराब की दुकानों पर जबर्दस्त भीड़ हो रही है. सामाजिक दूरी के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है, हालांकि अदालत ने ऑन लाइन बिक्री के माध्यम से घरों में शराब पहुंचाने की अनुमति प्रदान की थी.

तमिलनाडु सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर की थी. इस अपील में दलील दी गई थी कि शराब की दुकानों को बंद करने से राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान होगा और इससे व्यावसायिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हो जाएंगी.

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को राज्य में ऑनलाइन अथवा सीधे शराब की बिक्री करने का तरीका अपनाने की अनुमति प्रदान की. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि शराब की बिक्री के तरीके निर्धारित करना अदालत का काम नहीं है.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ राज्य सरकार की फर्म तमिलनाडु राज्य विपणन निगम की दलील से सहमत थी. दलील में कहा गया है कि उसे शराब की बिक्री सिर्फ ऑनलाइन करने और घर पहुंचाने के बारे में कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता. राज्य में यह निगम ही शराब की बिक्री करता है.

पीठ ने इस मामले की वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान तमिलनाडु राज्य विपणन निगम को निर्देश दिया कि वह दुकानों में शराब की बिक्री के बारे में तीन सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करे.

शीर्ष अदालत ने 15 मई को तमिलनाडु में राज्य के स्वामित्व वाली शराब की दुकानों को खोलने का मार्ग प्रशस्त करते हुए मद्रास उच्च न्यायलाय के आठ मई के आदेश पर रोक लगा दी थी.

उच्च न्यायालय ने इन दुकानों को बंद करने का आदेश देते हुए कहा था कि कोरोना के दौरान सामाजिक दूरी बनाए रखने संबंधी दिशा निर्देशों का उल्लंघन हो रहा है.

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उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि शराब की दुकानों पर जबर्दस्त भीड़ हो रही है. सामाजिक दूरी के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है, हालांकि अदालत ने ऑन लाइन बिक्री के माध्यम से घरों में शराब पहुंचाने की अनुमति प्रदान की थी.

तमिलनाडु सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर की थी. इस अपील में दलील दी गई थी कि शराब की दुकानों को बंद करने से राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान होगा और इससे व्यावसायिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हो जाएंगी.

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