नई दिल्ली : भारत-चीन सेना के बीच कमांडर स्तर की पांचवें दौर की बातचीत से संकट के बादल हट गए हैं. दरअसल पीएलए ने शनिवार देर शाम अचानक पूर्वी लद्दाख में पांचवें कमांडर स्तर की बैठक के बारे में पुष्टि करने के लिए भारतीय सेना के समकक्षों को फोन किया.
इससे पहले गुरुवार को 'डिसइंगेजमेंट और डि-एस्केलेशन प्रक्रिया' को लेकर होने वाली कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता स्थगित हो गई थी. कोर कमांडर स्तरीय बैठक का कार्यक्रम बनाने के बावजूद चीनी सेना के साथ सहमति नहीं बन पाई थी.
बातचीत के लिए चीन की अचानक सहमति के दो कारण हो सकते हैं. पहला यह कि पीएलए शुक्रवार को अपने स्थापना दिवस को चिह्नित करने के लिए आयोजित देशव्यापी कार्यक्रमों में व्यस्त थी और दूसरा यह है कि चीनी सैन्य दार्शनिक सूर्य त्जु के कथन का पालन कतर रही थी, जिसमें उसमें ने कहा था, 'जब विरोधी कुछ करने की उम्मीद न करे, उस समय कुछ करने के लिए तैयार रहो.' खैर, शनिवार देर रात पीएलए ने बातचीत की पुष्टि कर दी.
6 जून, 22 जून, 30 जून और 14 जुलाई को चुशुल-मोल्डो में हुई बातचीत के बाद, पीएलए के दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरेंद्र सिंह और लेफ्टिनेंट जनरल लिन लियू के बीच यह पांचवीं वाहिनी कमांडर-स्तरीय बैठक होगी.
दोनों देशों के बीच चल रही सैन्य स्तर की बातचीत संभावित दिनों के बाद- चुशुल-मोल्दो सीमा है, जो पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय क्षेत्र में है.
इससे पहले दोनों सेनाओं के बीच चल रही बातचीत के लिए भारतीय एजेंडा में शामिल हाल ही में पोंगोंग त्सो गतिरोध को हल करने के एजेंडे पर पीएलए ने असहमति जताई थी. इस कारण पांचवें दौर की बातचीत पर दोनों सेनाओं के बीच सहमति नहीं बन सकी थी. हालांकि भारतीय सेना अपने एजेंडे के सभी बिंदुओं को शामिल करने की इच्छुक थी.
एक सैन्य सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर ईटीवी भारत को बताया कि आज (रविवार की) बैठक में केवल पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर ही नहीं, बल्कि गतिरोध के सभी बिंदुओं को हल करने पर चर्चा होगी. इसके अलावा विघटन और डी-एस्केलेशन भी वार्ता के एजेंडे में शामिल हैं.
सभी भारत-चीन सीमा बैठकों की तरह रविवार की बैठक भी लंबी होने की संभावना है. इस स्तरपर हुई पिछली चार बैठकें काफी देर तक चलीं और देर रात संपन्न हुईं, जिसमें एक बैठक 11 घंटे से अधिक समय तक चली थी.
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वर्तमान में पूर्वी लद्दाख में चार प्रमुख फ्लैशप्वाइंट हैं- गैलवान घाटी (पीपी 14), पैंगोंग झील (फिंगर 4), हॉट स्प्रिंग्स (पीपी 15) और गोगरा (पीपी 17). पैंगॉन्ग त्सो के अलावा अन्य तीन साइटों में लगभग पूर्ण विघटन हो चुका है.
उल्लेखनीय है कि पंगोंग त्सो गतिरोध सबसे महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वर्तमान में फिंगर चार पर पीएलए की स्थिति काफी मजबूत है. हालांकि पीएल फिंगर-4 से हटकर फिंगर 5 पर चला गया है, लेकिन पीएलए ने अब भी फिंगर-4 राइगलाइन पर एक मजबूत पोस्ट बनाई हुई, जहां से वह भारतीय पोस्ट सहित आसपास के इलाकों पर अपना दबदबा कायम किए हुए है. भारत फिंगर-8 के पास LAC पर दावा करता है, चीन फिंगर 3 तक क्षेत्र पर दावा करता है. हालांकि अतीत में PLA फिंगर 8 से 4 तक गश्त करता था, भारतीय सेना फिंगर 4 से 8 तक गश्त करती थी.