शिमला : दुनियाभर में कोरोना वायरस को लेकर खौफ है. वहीं इससे बचाव के लिए सेनिटाइजेशन एक महत्वपूर्ण हथियार है. इंसान को सेनिटाइज करने का एक उपकरण है सेनिटाइजर टनल. इस टनल की चर्चा इन दिनों कई देशों में हो रही है. कई जगह इसका इस्तेमाल भी किया जा रहा है.
वहीं, उत्तर प्रदेश के हमीरपुर के लगवान गांव के चार प्रगतिशील युवाओं ने कबाड़ से यह सेनिटाइजर सुरंग तैयार कर दी है. राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला टिक्कर खतरियां में फिजिक्स लेक्चरर अजय शर्मा की देखरेख में सिर्फ तीन दिन में बनी इस सुरंग में पंचायती राज विभाग के कनिष्ठ अभियंता पंकज कानूनगो, कनिष्ठ अभियंता सुनील और मिस्त्री शेर सिंह का भी योगदान रहा.
ईटीवी भारत संवाददाता गांव लगवान पहुंचे और कबाड़ से तैयार की गई इस सेनिटाइजर टनल के निर्माताओं से बात की. अजय शर्मा ने बताया कि टीम ने इसका ट्रायल कर लिया है. अब वह इसे विशेषज्ञों की देखरेख में गांव के चौराहे पर लगाना चाहते हैं, ताकि कर्फ्यू ढील के समय वहां आने वाले लोगों को इसका लाभ मिले. इनका मानना है कि प्रशासन चाहे तो इसे अपने अधीन लेकर जिला अस्पताल या कहीं भी प्रयोग कर सकता है और वह ऐसी और सुरंगें भी बना सकते हैं.
सुरंग बनाने लिए युवाओं ने यहां पॉलीहाउस में बेकार पड़ी पाइप, टेंट हाउस के बेकार सामान से ढांचा और बेकार विज्ञापन बोर्डों से इसे कवर किया. टुल्लू पंप घर का प्रयोग किया. करीब सात फीट लंबी, तीन फीट चौड़ी और नौ फीट ऊंची सुरंग में सेनिटाइजर स्प्रे के लिए 24 प्वॉइंट हैं. इससे एक व्यक्ति सिर से पांव तक आधे से एक मिनट में बिना भीगे सेनिटाइज हो सकता है.
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अजय शर्मा ने बताया कि इसका आइडिया उन्हें छोटे सेनिटाइजर के स्प्रे से मिला. टनल को घर पर ही बनाया गया. कर्फ्यू ढील के समय कबाड़ जुटा कर इसे बनाया गया. शारीरिक दूरी का पूरा ख्याल रखा गया. जब एक व्यक्ति काम कर रहा होता था तो अन्य दूर खड़े हो जाते. उसके बाद दूसरा सेनिटाइजर लगाकर काम करता. उनका कहना है कि सरकार टनल को जिला अस्तपाल में लगाना चाहे तो हमें खुशी होगी. फिलहाल इसे गांव के चौराहे पर लगाने की योजना है.