ETV Bharat / bharat

दिल्ली हिंसा पर केंद्र की भूमिका कटघरे में : सलमान खुर्शीद

कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा है दिल्ली हिंसा पर केंद्र सरकार की भूमिका कटघरे में है और उसने गैर जिम्मेदाराना तरीके से कार्रवाई की है. उन्होंने कहा कि सीएए पर विरोध करना जनता का अधिकार है, लेकिन हिंसा नहीं होनी चाहिए. पेश है उनसे की गई बातचीत का ब्योरा.

author img

By

Published : Feb 27, 2020, 10:09 AM IST

Updated : Mar 2, 2020, 5:35 PM IST

salman-khursheed-on-delhi-violence
सलमान खुर्शीद

नागरिकता संशोधन अधिनियम और प्रस्तावित एनआरसी का विरोध करने वालों और कानून का समर्थन करने वालों के बीच झड़पों को लेकर दिल्ली की सड़कों पर हिंसा हो रही है. इसका आप किस तरह से आकलन करना चाहेंगे?

मुझे लगता है कि यह बहुत दुख की बात है. सरकार ने एक निर्णय लिया है, जिसे हम वकील मान रहे हैं, यह पूरी तरह से अपरिहार्य है. इसका कोई वैध उद्देश्य नहीं है. लेकिन अदालतों को उस मुद्दे पर फैसला करना है और मामला अदालत के समक्ष लंबित है. अगर अदालत ने इसे तत्काल लिया होता, तो शायद ऐसी स्थिति नहीं होती. सरकार पूरी तरह गैरजिम्मेदाराना तरीके से काम कर रही है. लोगों में काफी असहमति है. एक जिम्मेदार सरकार को बातचीत के लिए आगे आना चाहिए. लोगों की चिंताओं को समायोजित करने का प्रयास होना चाहिए. उन्हें देखना चाहिए कि क्या ये वैध हैं या नहीं. परन्तु यह सरकार सिर्फ सबकुछ बुलडोज़र कर रही है. उन्होंने संसद में किया, जहां उनके पास बहुमत है. वास्तव में इसकी वैधता के बारे में संदेह का बड़ा सबूत है. यह दुख की बात है कि सरकार आंख बंद कर बैठी हुई है.

नागरिकों के एक वर्ग की शिकायतें थीं कि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक सड़क को अवरुद्ध कर दिया और आम जनता को असुविधा हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले में हस्तक्षेप किया है. आपके विचार?

ये बात सही है कि सड़कों पर विरोध करने से लोगों को दिक्कतें होती हैं. लेकिन आप इसे भी तो सही नहीं कह सकते हैं कि विरोध करने वाले गलत हैं. उन्हें दबाया जाए. उन पर हिंसा की जाए. हथियार खींचकर, तबाही मचाकर और आग लगाकर व्यापक विनाश कर रहे हैं. संपत्तियों का नुकसान हो रहा है. ये सब पूरी तरह से अस्वीकार्य है.

सड़क जंक्शनों पर महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बैठने के लिए कुछ लोगों को असुविधा का मुद्दा था. लेकिन हमने पिछले कुछ दिनों में जो कुछ देखा है, वह उन लोगों की वजह से पूरा हो सकता है जो सरकार बनाने के लिए समर्थन करने की कोशिश कर रहे हैं. आप सरकार का समर्थन कर सकते हैं, लेकिन हथियारों को खींचकर और तबाही मचाकर और आग के माध्यम से व्यापक विनाश का कारण बन सकते हैं और संपत्ति के विनाश के अन्य साधन पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं.

क्या आपको लगता है कि ये सब प्रायोजित है?

हो सकता है. सीएए के खिलाफ विरोध स्वतः स्फूर्त रहा है. इसका कोई नेता नहीं है. कोई राजनीतिक पार्टी वहां पर मौजूद नहीं है. मैंने तो इस स्तर का जमीनी विरोध नहीं देखा है. मैं इसे परिवार का विरोध मानता हूं. छात्र आते हैं और क्लास शुरू हो जाता हैं. मैंने दिल्ली के बाहर कई लोगों से बात की है. दिल्ली में जो भी कुछ हो रहा है, वे सब भी उनसे सहमत दिखे.

कांग्रेस ने सीएए का कड़ा विरोध किया है और कई विपक्षी सरकारों ने इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित किए हैं. सही कानूनी स्थिति क्या है?

इसके दो आयाम हैं. एक कानूनी पहलू है और मैं चाहूंगा कि अदालतें इसे तय करें. दूसरी तरफ, किसी चीज़ की आवाज़ से आंदोलन को चोट पहुंच सकती है. सार्वजनिक रूप से इस पर चर्चा नहीं करना सबसे अच्छा है. लेकिन इस आंदोलन में एक तत्व है जो सविनय अवज्ञा का गांधीजी के सत्याग्रह और मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला और खान अब्दुल गफ्फार खान की कार्यप्रणाली के साथ है. सविनय अवज्ञा पर बहुत साहित्य है, लेकिन यह मुख्य रूप से राज्य तंत्र के खिलाफ एक व्यक्ति से संबंधित है. लेकिन मैं साहित्य में नहीं आया हूं जो कि गठित सरकारों या चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा नागरिक अवज्ञा पर बहुत स्पष्ट है. हमारे संघीय ढांचे की वजह से, मुझे लगता है कि यहां सविनय अवज्ञा का एक तत्व है, जो अच्छी तरह से वैध हो सकता है और निश्चित रूप से फैसलों पर एक महत्वपूर्ण नैतिक असर पड़ता है और उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इन फैसलों को देखेगा.

सीएए के खिलाफ कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर कैसे लड़ेगी?

कांग्रेस पार्टी ने सीएए के खिलाफ संवेदनशील रवैया अपनाया है. नागरिकता कानून का विरोध करने वालों के खिलाफ पुलिस की बर्बरता के खिलाफ आवाज उठाई है. हमारे नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने पुलिस की क्रूरता के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया. हम लोगों का समर्थन करेंगे, जो भी हम कर सकते हैं. हमने अपनी राज्य इकाइयों से कानून का विरोध करने के लिए कहा है.

क्या आपको लगता है कि सीएए और प्रस्तावित एनआरसी अल्पसंख्यकों को लक्षित करने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा के एक छिपे हुए एजेंडे का हिस्सा हैं?

देखिए, सीएए पर अब हर समुदाय के लोग प्रतिक्रिया दे रहे हैं. दलित आंदोलन के लोग आ रहे हैं, सिख आगे आ रहे हैं और हिंदू मध्यम वर्ग के प्रबुद्ध वर्ग इसके खिलाफ आ रहे हैं. उन्होंने सीएए के विरोध को एक तरह की समावेशी आवाज दी है और हमें इसे उसी तरह रखना चाहिए. सरकार यह कहते हुए बहुत खुश होगी कि यह केवल कुछ मुस्लिमों का विरोध है क्योंकि वे चिंतित हैं. मुझे लगता है कि यह संवैधानिक शासन का मूल आधार है जिसका लोग विरोध कर रहे हैं. विरोध करने वाले अपने लिए कुछ नहीं कर रहे हैं, बल्कि देश के लिए कर रहे हैं.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में स्थानीय विधानसभा चुनावों में दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए विरोध को बढ़ाने की कोशिश की. लेकिन वह काम नहीं आया. आपकी टिप्पणी.

हमें मोदी या अमित शाह के जाल में नहीं पड़ना चाहिए और इस तरह की टिप्पणियों को नजरअंदाज करना चाहिए. यह संविधान के लिए एक उल्लेखनीय अभियान है.

कांग्रेस नेतृत्व के मुद्दे पर घिरती नजर आ रही है. क्या पार्टी इस अवसर पर उठेगी?

हां, यह तथ्य कि हम लगातार दो कार्यकाल देने के बाद सत्ता से बाहर हैं, चिंता का कारण है. लेकिन हम पलटवार करेंगे. मुझे उस पर भरोसा है. आप देखेंगे कि जल्द ही ऐसा होता है. देश की स्थिति ऐसी है कि कांग्रेस कहीं से भी प्रभावित नहीं हो सकती है. हम सभी जल्द ही इससे बाहर निकलेंगे. नेतृत्व के मुद्दे के रूप में, सोनिया गांधी हमारी पार्टी अध्यक्ष हैं. फिर हमारे पास राहुल गांधी और प्रियंका गांधी और अन्य नेताओं के एक मेजबान हैं. यह एक आंतरिक मामला है और इसे तय करने के लिए हमें छोड़ दिया जाना चाहिए.

(अमित अग्निहोत्री के साथ सलमान खुर्शीद की बातचीत)

नागरिकता संशोधन अधिनियम और प्रस्तावित एनआरसी का विरोध करने वालों और कानून का समर्थन करने वालों के बीच झड़पों को लेकर दिल्ली की सड़कों पर हिंसा हो रही है. इसका आप किस तरह से आकलन करना चाहेंगे?

मुझे लगता है कि यह बहुत दुख की बात है. सरकार ने एक निर्णय लिया है, जिसे हम वकील मान रहे हैं, यह पूरी तरह से अपरिहार्य है. इसका कोई वैध उद्देश्य नहीं है. लेकिन अदालतों को उस मुद्दे पर फैसला करना है और मामला अदालत के समक्ष लंबित है. अगर अदालत ने इसे तत्काल लिया होता, तो शायद ऐसी स्थिति नहीं होती. सरकार पूरी तरह गैरजिम्मेदाराना तरीके से काम कर रही है. लोगों में काफी असहमति है. एक जिम्मेदार सरकार को बातचीत के लिए आगे आना चाहिए. लोगों की चिंताओं को समायोजित करने का प्रयास होना चाहिए. उन्हें देखना चाहिए कि क्या ये वैध हैं या नहीं. परन्तु यह सरकार सिर्फ सबकुछ बुलडोज़र कर रही है. उन्होंने संसद में किया, जहां उनके पास बहुमत है. वास्तव में इसकी वैधता के बारे में संदेह का बड़ा सबूत है. यह दुख की बात है कि सरकार आंख बंद कर बैठी हुई है.

नागरिकों के एक वर्ग की शिकायतें थीं कि सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक सड़क को अवरुद्ध कर दिया और आम जनता को असुविधा हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले में हस्तक्षेप किया है. आपके विचार?

ये बात सही है कि सड़कों पर विरोध करने से लोगों को दिक्कतें होती हैं. लेकिन आप इसे भी तो सही नहीं कह सकते हैं कि विरोध करने वाले गलत हैं. उन्हें दबाया जाए. उन पर हिंसा की जाए. हथियार खींचकर, तबाही मचाकर और आग लगाकर व्यापक विनाश कर रहे हैं. संपत्तियों का नुकसान हो रहा है. ये सब पूरी तरह से अस्वीकार्य है.

सड़क जंक्शनों पर महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बैठने के लिए कुछ लोगों को असुविधा का मुद्दा था. लेकिन हमने पिछले कुछ दिनों में जो कुछ देखा है, वह उन लोगों की वजह से पूरा हो सकता है जो सरकार बनाने के लिए समर्थन करने की कोशिश कर रहे हैं. आप सरकार का समर्थन कर सकते हैं, लेकिन हथियारों को खींचकर और तबाही मचाकर और आग के माध्यम से व्यापक विनाश का कारण बन सकते हैं और संपत्ति के विनाश के अन्य साधन पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं.

क्या आपको लगता है कि ये सब प्रायोजित है?

हो सकता है. सीएए के खिलाफ विरोध स्वतः स्फूर्त रहा है. इसका कोई नेता नहीं है. कोई राजनीतिक पार्टी वहां पर मौजूद नहीं है. मैंने तो इस स्तर का जमीनी विरोध नहीं देखा है. मैं इसे परिवार का विरोध मानता हूं. छात्र आते हैं और क्लास शुरू हो जाता हैं. मैंने दिल्ली के बाहर कई लोगों से बात की है. दिल्ली में जो भी कुछ हो रहा है, वे सब भी उनसे सहमत दिखे.

कांग्रेस ने सीएए का कड़ा विरोध किया है और कई विपक्षी सरकारों ने इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित किए हैं. सही कानूनी स्थिति क्या है?

इसके दो आयाम हैं. एक कानूनी पहलू है और मैं चाहूंगा कि अदालतें इसे तय करें. दूसरी तरफ, किसी चीज़ की आवाज़ से आंदोलन को चोट पहुंच सकती है. सार्वजनिक रूप से इस पर चर्चा नहीं करना सबसे अच्छा है. लेकिन इस आंदोलन में एक तत्व है जो सविनय अवज्ञा का गांधीजी के सत्याग्रह और मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला और खान अब्दुल गफ्फार खान की कार्यप्रणाली के साथ है. सविनय अवज्ञा पर बहुत साहित्य है, लेकिन यह मुख्य रूप से राज्य तंत्र के खिलाफ एक व्यक्ति से संबंधित है. लेकिन मैं साहित्य में नहीं आया हूं जो कि गठित सरकारों या चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा नागरिक अवज्ञा पर बहुत स्पष्ट है. हमारे संघीय ढांचे की वजह से, मुझे लगता है कि यहां सविनय अवज्ञा का एक तत्व है, जो अच्छी तरह से वैध हो सकता है और निश्चित रूप से फैसलों पर एक महत्वपूर्ण नैतिक असर पड़ता है और उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इन फैसलों को देखेगा.

सीएए के खिलाफ कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर कैसे लड़ेगी?

कांग्रेस पार्टी ने सीएए के खिलाफ संवेदनशील रवैया अपनाया है. नागरिकता कानून का विरोध करने वालों के खिलाफ पुलिस की बर्बरता के खिलाफ आवाज उठाई है. हमारे नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने पुलिस की क्रूरता के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया. हम लोगों का समर्थन करेंगे, जो भी हम कर सकते हैं. हमने अपनी राज्य इकाइयों से कानून का विरोध करने के लिए कहा है.

क्या आपको लगता है कि सीएए और प्रस्तावित एनआरसी अल्पसंख्यकों को लक्षित करने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा के एक छिपे हुए एजेंडे का हिस्सा हैं?

देखिए, सीएए पर अब हर समुदाय के लोग प्रतिक्रिया दे रहे हैं. दलित आंदोलन के लोग आ रहे हैं, सिख आगे आ रहे हैं और हिंदू मध्यम वर्ग के प्रबुद्ध वर्ग इसके खिलाफ आ रहे हैं. उन्होंने सीएए के विरोध को एक तरह की समावेशी आवाज दी है और हमें इसे उसी तरह रखना चाहिए. सरकार यह कहते हुए बहुत खुश होगी कि यह केवल कुछ मुस्लिमों का विरोध है क्योंकि वे चिंतित हैं. मुझे लगता है कि यह संवैधानिक शासन का मूल आधार है जिसका लोग विरोध कर रहे हैं. विरोध करने वाले अपने लिए कुछ नहीं कर रहे हैं, बल्कि देश के लिए कर रहे हैं.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में स्थानीय विधानसभा चुनावों में दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए विरोध को बढ़ाने की कोशिश की. लेकिन वह काम नहीं आया. आपकी टिप्पणी.

हमें मोदी या अमित शाह के जाल में नहीं पड़ना चाहिए और इस तरह की टिप्पणियों को नजरअंदाज करना चाहिए. यह संविधान के लिए एक उल्लेखनीय अभियान है.

कांग्रेस नेतृत्व के मुद्दे पर घिरती नजर आ रही है. क्या पार्टी इस अवसर पर उठेगी?

हां, यह तथ्य कि हम लगातार दो कार्यकाल देने के बाद सत्ता से बाहर हैं, चिंता का कारण है. लेकिन हम पलटवार करेंगे. मुझे उस पर भरोसा है. आप देखेंगे कि जल्द ही ऐसा होता है. देश की स्थिति ऐसी है कि कांग्रेस कहीं से भी प्रभावित नहीं हो सकती है. हम सभी जल्द ही इससे बाहर निकलेंगे. नेतृत्व के मुद्दे के रूप में, सोनिया गांधी हमारी पार्टी अध्यक्ष हैं. फिर हमारे पास राहुल गांधी और प्रियंका गांधी और अन्य नेताओं के एक मेजबान हैं. यह एक आंतरिक मामला है और इसे तय करने के लिए हमें छोड़ दिया जाना चाहिए.

(अमित अग्निहोत्री के साथ सलमान खुर्शीद की बातचीत)

Last Updated : Mar 2, 2020, 5:35 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.