धर्मशाला: निर्वासित तिब्बती आज साका दाव की पूर्णिमा का दिन मनाते हैं. इसी कड़ी में तिब्बतियों ने पवित्र महीने 'साका दाव' के 15वें दिन प्रार्थना सभा की. इस महीने में वे भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान और मृत्यु को महसूस करते हैं.
बता दें कि साका दाव तिब्बती कैलेंडर का चौथा महीना होता है. इस महीने में वे भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान और मृत्यु को महसूस करते हैं. निर्वासित तिब्बती आज साका दाव की पूर्णिमा का दिन मनाते हैं. तिब्बती चंद्र कैलेंडर के अनुसार साका दाव चौथा महीना है और इस महीने की पूर्णिमा का दिन तिब्बती बौद्धों के लिए विशेष उत्सव और धार्मिक महत्व होता है.
तिब्बतियों का मानना है कि इस महीने और विशेष रूप से पूर्णिमा का दिन बुद्ध शाक्यमुनि के जन्म, ज्ञान और परिनिर्वाण (मृत्यु) का दिन होता है. दुनिया भर में तिब्बती बौद्ध वर्तमान में इस महीने को साका दाव के पवित्र बौद्ध महीने के रूप में देख रहे हैं. इस दौरान वे शास्त्र पढ़ना, उपवास करना, दान देने और दूसरों के कष्टों को कम करने जैसी गतिविधियां करते हैं.
मान्यताओं के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था. गौतम बुद्ध का जन्म ईसा से 563 साल पहले नेपाल के लुम्बिनी वन में हुआ था.
ऐसी मान्यता है कि बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति और निर्वाण के दिन भी वैशाख पूर्णिमा ही थी. सनातन धर्म में वैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता है.
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मान्यताओं के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन 528 ईसा पूर्व उन्होंने बोधगया में एक वृक्ष के नीचे जाना कि सत्य क्या है. इसी दिन वे 483 ईसा पूर्व को 80 वर्ष की उम्र में दुनिया को कुशीनगर में अलविदा कह गए.
इसके साथ ही तिब्बती लोग इस महीने में धर्मशाला में स्थित मुख्य बौद्ध मंदिर का दौरा करते हैं ताकि इस शुभ दिन पर प्रार्थना की जा सके. बौद्ध भिक्षुओं ने इस दौरान ने मंदिर में विशेष प्रार्थना की.
यह दिन विशेष धार्मिक महत्व का है और एक ही दिन पड़ने वाले उनके जीवन के इन तीन महत्वपूर्ण चरणों के कारण इसे तिब्बती बौद्ध धर्म का बहुत पवित्र दिन माना जाता है. तिब्बती बौद्धों का मानना है कि इस दिन अगर वे अच्छा काम करते हैं तो इसका पुण्य हजारों गुणा में मिलता है.