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साका दाव महीना : बुद्ध के जन्म, ज्ञान और निर्वाण को महसूस करते हैं निर्वासित तिब्बति, जानें खास बातें - exile tibetans

निर्वासित तिब्बती आज के दिन में साका दाव की पूर्णिमा मनाते हैं. उनके कैलेंडर के अनुसार साका दाव चौथा महीना है, जिसमें पूर्णिमा का दिन तिब्बतियों के लिए धर्म की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण होता है. जानें इस माह को लेकर तिब्बती बौद्धों की और क्या-क्या आस्थाएं जुड़ी हैं.....

धर्मशाला में तिब्बतियों ने विशेष पूजा की
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Published : Jun 18, 2019, 5:53 PM IST

Updated : Jun 18, 2019, 8:40 PM IST

धर्मशाला: निर्वासित तिब्बती आज साका दाव की पूर्णिमा का दिन मनाते हैं. इसी कड़ी में तिब्बतियों ने पवित्र महीने 'साका दाव' के 15वें दिन प्रार्थना सभा की. इस महीने में वे भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान और मृत्यु को महसूस करते हैं.

बता दें कि साका दाव तिब्बती कैलेंडर का चौथा महीना होता है. इस महीने में वे भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान और मृत्यु को महसूस करते हैं. निर्वासित तिब्बती आज साका दाव की पूर्णिमा का दिन मनाते हैं. तिब्बती चंद्र कैलेंडर के अनुसार साका दाव चौथा महीना है और इस महीने की पूर्णिमा का दिन तिब्बती बौद्धों के लिए विशेष उत्सव और धार्मिक महत्व होता है.

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इस माह में तिब्बती करते हैं धर्मशाला में खास पूजा

तिब्बतियों का मानना ​​है कि इस महीने और विशेष रूप से पूर्णिमा का दिन बुद्ध शाक्यमुनि के जन्म, ज्ञान और परिनिर्वाण (मृत्यु) का दिन होता है. दुनिया भर में तिब्बती बौद्ध वर्तमान में इस महीने को साका दाव के पवित्र बौद्ध महीने के रूप में देख रहे हैं. इस दौरान वे शास्त्र पढ़ना, उपवास करना, दान देने और दूसरों के कष्टों को कम करने जैसी गतिविधियां करते हैं.

तिब्बतियों की पूजा का महीना क्यों है खास, देखें वीडियो

मान्यताओं के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था. गौतम बुद्ध का जन्म ईसा से 563 साल पहले नेपाल के लुम्बिनी वन में हुआ था.

ऐसी मान्यता है कि बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति और निर्वाण के दिन भी वैशाख पूर्णिमा ही थी. सनातन धर्म में वैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता है.

पढ़ेंः जब लोकसभा सदस्यता की शपथ लेने के बाद हेमा मालिनी ने कहा 'राधे-राधे'

मान्यताओं के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन 528 ईसा पूर्व उन्होंने बोधगया में एक वृक्ष के ‍नीचे जाना कि सत्य क्या है. इसी दिन वे 483 ईसा पूर्व को 80 वर्ष की उम्र में दुनिया को कुशीनगर में अलविदा कह गए.

इसके साथ ही तिब्बती लोग इस महीने में धर्मशाला में स्थित मुख्य बौद्ध मंदिर का दौरा करते हैं ताकि इस शुभ दिन पर प्रार्थना की जा सके. बौद्ध भिक्षुओं ने इस दौरान ने मंदिर में विशेष प्रार्थना की.

यह दिन विशेष धार्मिक महत्व का है और एक ही दिन पड़ने वाले उनके जीवन के इन तीन महत्वपूर्ण चरणों के कारण इसे तिब्बती बौद्ध धर्म का बहुत पवित्र दिन माना जाता है. तिब्बती बौद्धों का मानना ​​है कि इस दिन अगर वे अच्छा काम करते हैं तो इसका पुण्य हजारों गुणा में मिलता है.

धर्मशाला: निर्वासित तिब्बती आज साका दाव की पूर्णिमा का दिन मनाते हैं. इसी कड़ी में तिब्बतियों ने पवित्र महीने 'साका दाव' के 15वें दिन प्रार्थना सभा की. इस महीने में वे भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान और मृत्यु को महसूस करते हैं.

बता दें कि साका दाव तिब्बती कैलेंडर का चौथा महीना होता है. इस महीने में वे भगवान बुद्ध के जन्म, ज्ञान और मृत्यु को महसूस करते हैं. निर्वासित तिब्बती आज साका दाव की पूर्णिमा का दिन मनाते हैं. तिब्बती चंद्र कैलेंडर के अनुसार साका दाव चौथा महीना है और इस महीने की पूर्णिमा का दिन तिब्बती बौद्धों के लिए विशेष उत्सव और धार्मिक महत्व होता है.

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इस माह में तिब्बती करते हैं धर्मशाला में खास पूजा

तिब्बतियों का मानना ​​है कि इस महीने और विशेष रूप से पूर्णिमा का दिन बुद्ध शाक्यमुनि के जन्म, ज्ञान और परिनिर्वाण (मृत्यु) का दिन होता है. दुनिया भर में तिब्बती बौद्ध वर्तमान में इस महीने को साका दाव के पवित्र बौद्ध महीने के रूप में देख रहे हैं. इस दौरान वे शास्त्र पढ़ना, उपवास करना, दान देने और दूसरों के कष्टों को कम करने जैसी गतिविधियां करते हैं.

तिब्बतियों की पूजा का महीना क्यों है खास, देखें वीडियो

मान्यताओं के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था. गौतम बुद्ध का जन्म ईसा से 563 साल पहले नेपाल के लुम्बिनी वन में हुआ था.

ऐसी मान्यता है कि बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति और निर्वाण के दिन भी वैशाख पूर्णिमा ही थी. सनातन धर्म में वैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता है.

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मान्यताओं के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन 528 ईसा पूर्व उन्होंने बोधगया में एक वृक्ष के ‍नीचे जाना कि सत्य क्या है. इसी दिन वे 483 ईसा पूर्व को 80 वर्ष की उम्र में दुनिया को कुशीनगर में अलविदा कह गए.

इसके साथ ही तिब्बती लोग इस महीने में धर्मशाला में स्थित मुख्य बौद्ध मंदिर का दौरा करते हैं ताकि इस शुभ दिन पर प्रार्थना की जा सके. बौद्ध भिक्षुओं ने इस दौरान ने मंदिर में विशेष प्रार्थना की.

यह दिन विशेष धार्मिक महत्व का है और एक ही दिन पड़ने वाले उनके जीवन के इन तीन महत्वपूर्ण चरणों के कारण इसे तिब्बती बौद्ध धर्म का बहुत पवित्र दिन माना जाता है. तिब्बती बौद्धों का मानना ​​है कि इस दिन अगर वे अच्छा काम करते हैं तो इसका पुण्य हजारों गुणा में मिलता है.

The Tibetans in-exile celebrate the full moon day of Saka Dawa today. According to Tibetan Lunar calendar Saka Dawa is the name of 4th month and the full moon day of this month is a day of special celebration and religious importance for Tibetan Buddhists. Tibetans believe this month and specially the full moon day to be the day of Buddha Shakyamuni's birth, enlightenment and parinirvana (death) falling on the same day. The Tibetan Buddhists worldwide are currently observing this month as the holy Buddhist month of Saka Dawa. Simply rejoice in the positive activities that people all over the world are engaging during Saka Dawa such as reading scriptures, retreats, fasting, freeing animal lives, donating food, clothes, money or anything to alleviate others sufferings. Tibetan are visiting the main Buddhist temple, Tsuglagkhang here in the north Indian hill town Dharamshala to offer prayers on this auspicious day. Monks of Namgyal monastery of the Dalai Lama lead special prayers today in the temple here.

The day is of special religious significance and because of these three important stages of His life falling on the same day it is considered very sacred day to the Tibetan Buddhism believes. Tibetan Buddhists believe that on this day if they act good and virtue things it will multiple into thousands.
Last Updated : Jun 18, 2019, 8:40 PM IST
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