नई दिल्ली: लंबी मशक्कत के बाद राज्यसभा में तीन तलाक के खिलाफ बिल पारित हो गया है. इस विधेयक के तहत तीन तलाक देने वाले पुरुषो को तीन साल की सजा हो सकती है. इस मौके पर पहली दफा कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाली महिला सायरा बानो ने ईटीवी भारत से बात करते हुए विधेयक के पारित होने का श्रेय मोदी सरकार को दिया है.
ईटीवी भारत ने जब उनसे यह पूछा कि वह इस बिल के पास होने का श्रेय किसको देना चाहेंगी तो उन्होंने कहा कि इसका पूरा श्रेय मोदी सरकार और सुप्रीम कोर्ट को जाता है, जिन्होंने इस लड़ाई में उनका साथ दिया.
सायर बानो ने कहा कि तीन तलाक मुस्लिम समाज में एक बहुत बड़ी कुरीति थी, जिसे खत्म करना आसान बात नहीं थी.
बहु- विवाह जैसी बड़ी समस्या है पर सायरा पहले से ही काम कर रही हैं. इस पर उन्होंने कहा कि यह भी एक बड़ी समस्या है और इसके लिए बाकी मुस्लिम महिलाओं को भी आगे बढ़ कर आना होगा तभी हमें जीत हासिल होगी.
वहीं, अपनी लड़ाई पर बात करते हुए कहा कि वे लगातार तमाम विरोधों के बाद भी लगी रहीं. लोगों ने उन्हे रोकने का प्रयास किया, लेकिन बिना डरे वे आगे बढ़ी. वे बताती हैं कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष अरशद मदनी ने उन्हे बुला कर याचिका वापिस लेने को कहा. साथ ही मुस्लिम समाज के लोगों ने भी रोकने का प्रयास किया.
उनका कहना है कि वे सामज में और भी महिलाओं के बारे सोचते हुए ये कदम उठाई थीं. साथ ही उनका कहना है कि, जो लोग इस बिल के खिलाफ थे, वे मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ थे.
कौन हैं सायरा बानो?
उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली है सायरा बानो. सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर ट्रिपल तलाक और निकाह हलाला के चलन की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली ये पहली मुस्लिम महिला है. यही नहीं उनकी याचिका में बहुविवाह प्रथा को भी गलत बताया गया था और उसे भी खत्म करनी की मांग की गई थी.
इस मामले पर सायरा का कहना था कि तीन तलाक संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. सायरा एक पढ़ी-लिखी महिला हैं. उन्होंने कुमायूं यूनिवर्सिटी से समाजशास्त्र में एमए किया है. पढ़ाई पूरी होने के बाद साल 2001 के अप्रैल महीने में उनकी शादी हुई.
सालों तक यातनाएं झेलने के बाद 10 अक्टूबर 2015 को उनके पति ने ही उन्हें तलाक दे दिया. तलाक के बाद वह अपने माता-पिता के साथ रहने लगीं. साल 2016 में उन्होंने इस यातना के खिलाफ कदम उठाया. इस दौरान उनके दोनों बच्चों की देखरेख का जिम्मा उनके पति के हाथ में था.
राज्यसभा में पारित हुआ तीन तलाक
तीन तलाक को लेकर मोदी सरकार को बड़ी कामयाबी मिली है. राज्यसभा में बिल पारित हो गया. सरकार के पास सदन में बहुमत नहीं था, फिर भी उसे ऐतिहासिक कामयाबी मिली है. टीआरएस और जेडीयू ने वोटिंग से बहिष्कार किया. लोकसभा ने पहले ही बिल को पारित कर दिया है. बिल को अब राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा.