नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली हिंसा के मामले में यूएपीए कानून के तहत गिरफ्तार जामिया यूनिवर्सिटी की छात्रा सफूरा जरगर को जमानत दे दी है. जस्टिस राजीव शकधर की बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई के बाद सफूरा जरगर को दस हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दी है.
बिना अनुमति के दिल्ली से बाहर नहीं जा सकती
हाईकोर्ट ने सफूरा जरगर को निर्देश दिया कि उसके खिलाफ जो आरोप लगे हैं, वैसे आरोपों में वह दोबारा लिप्त नहीं होगी. वह साक्ष्यों को प्रभावित नहीं करेगी और 15 दिन में एक बार जांच अधिकारी से फोन पर बात करेगी. कोर्ट ने कहा कि सफूरा ट्रायल कोर्ट की अनुमति के बिना दिल्ली के बाहर नहीं जाएगी.
मानवीय आधार पर रिहा करने को तैयार
अदालत ने कहा कि उसे इस मामले में कुछ सीलबंद लिफाफे मिले थे, जिसे उसने खोला नहीं. कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को लौटाने का आदेश दिया. सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि सरकार मानवीय आधार पर सफूरा जरगर को रिहा करना चाहती है. अगर सफूरा जरगर अपने ऊपर लगाए गए आरोपों में दोबारा लिप्त नहीं होती तो उसे रिहा किया जा सकता है.
दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कौन करे, इस पर विवाद
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कौन करे, इस पर वाक युद्ध से आरोपी के अधिकार प्रभावित नहीं होने चाहिए. तब तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें उप राज्यपाल ने इन मामलों के लिए दिल्ली पुलिस की ओर से पेश होने का निर्देश दिया है. हर सुनवाई में इस तरह की स्थिति कोर्ट के अंदर पैदा नहीं होनी चाहिए.
दिल्ली पुलिस ने जमानत का किया था विरोध
दिल्ली पुलिस ने अपने हलफनामे में सफूरा जरगर की जमानत अर्जी का विरोध किया था. दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल जवाब में कहा था कि गर्भवती होने की वजह से सफूरा जमानत की हकदार नहीं हो सकती. उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं. कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को इस मामले पर निर्देश लेकर आने का निर्देश दिया है.
दिल्ली पुलिस ने सफूरा की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा था कि प्रेग्नेंसी के मद्देनजर जेल में नियमों के मुताबिक उसे जरूरी मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. पिछले 10 सालो में जेल में 30 डेलिवरी हो चुकी है. नियमों के मुताबिक गर्भवती कैदियों का जेल में पर्याप्त ध्यान रखा जाता है.
मेहता ने कल सुनवाई टालने की मांग की थी
तुषार मेहता ने कल (22 जून) इस मामले की सुनवाई टालने की मांग की थी. उन्होंने कोर्ट से कहा था कि कुछ मसलों पर निर्देश लेने की जरूरत है. तब याचिकाककर्ता के वकील नित्या रामकृष्णन ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि सफूरा की स्थिति काफी खराब है. एएसजी अमन लेखी ने भी इस मामले पर सुनवाई स्थगित करने की मांग की. तब रामकृष्णन ने कहा था कि सफूरा को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए.
राहुल मेहरा ने तुषार मेहता के पेश होने का विरोध किया था
वकील राहुल मेहरा ने हाईकोर्ट के 29 मई के उस आदेश का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया है कि उप-राज्यपाल केवल दिल्ली सरकार की मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर नियुक्त कर सकता है. राहुल मेहरा ने कहा था कि अगर केंद्र चाहता है कि कुछ चुनिंदा वकील ही दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करें तो वह फैसला भी उप-राज्यपाल बिना मंत्रिपरिषद की सलाह से नहीं ले सकते. मेहरा ने कहा था कि इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट उनके दफ्तर से होकर जाना चाहिए क्योंकि वह दिल्ली सरकार के क्रिमिनल मामलों के प्रतिनियुक्त वकील हैं.
मेहरा की दलीलों का विरोध
मेहरा की दलीलों का अमन लेखी ने विरोध करते हुए कहा था कि यह गलत है कि दिल्ली पुलिस के केस में केवल राहुल मेहरा ही पेश हो सकते हैं. उन्होंने कहा था कि दिल्ली सरकार का वकील अपनी तुलना केंद्र के वकील से नहीं कर सकता है, खासकर जब केंद्र के हित उससे जुड़े हुए हों. लेखी ने कहा था कि राहुल मेहरा की दलीलों से कोर्ट का ध्यान वर्तमान मामले से भटक सकता है. मेहरा की दलीलें खारिज की जानी चाहिए. उसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई स्थगित करते हुए तुषार मेहता को पूरी तैयारी और निर्देश के साथ आने का निर्देश दिया था.
पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज की थी जमानत
पिछले 18 जून को हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. सफूरा जरगर ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट की ओर से पिछले 4 जून को जमानत याचिका खारिज करने के फैसले को चुनौती दी है. सुनवाई के दौरान सफूरा जरगर की ओर से कहा गया था कि वो 21 हफ्ते की गर्भवती है और वो पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से पीड़ित है. उसे इस बीमारी से अपने गर्भ के मिसकैरिज होने का खतरा है.
भड़काऊ भाषण देने का आरोप
पिछले 30 मई को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जरगर की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा था कि उसने भड़काऊ भाषण दिया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल से पूछा था कि दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों और यूएपीए में क्या संबंध है. तब स्पेशल सेल ने कहा था कि सफूरा जरगर ने दंगा फैलाने के मकसद से भड़काऊ भाषण दिया था. इसके लिए पहले से तैयारी की गई थी, इसीलिए सफूरा जरगर को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया है. सफूरा जरगर ने दिल्ली के कई हिस्सों में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था. सफूरा जरगर ने जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के बाद रोड जाम कराने में अहम भूमिका निभाई थी.
11 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था
पिछली 26 मई को कोर्ट ने सफूरा जरगर की न्यायिक हिरासत को 25 जून तक बढ़ा दिया था. सफूरा जरगर को दिल्ली पुलिस ने 11 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था. जरगर के खिलाफ उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद इलाके प्रदर्शनकारियों को उकसाने का आरोप है. पुलिस के मुताबिक 22 फरवरी की रात नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ महिलाएं जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे बैठ गई थीं. सफूरा जरगर पर आरोप है कि उसी दौरान सफूरा भीड़ को लेकर वहां पहुंची और हिंसा की साजिश रची थी. इसके बाद उत्तर-पूर्वी जिले में कई दिनों तक हिंसा होती रही जिसमें कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और दो सौ से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. सफूरा जरगर जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी की मीडिया प्रभारी थीं.