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विशेष : कितना सुरक्षित है आपका सेनिटाइजर, ऐसे करें पहचान

कोरोना महामारी के डर के बीच में बाजार में नकली सेनिटाइजर बिक रहे हैं, जो नुकसानदायक भी साबित हो सकते हैं. इसलिए सुरक्षित सेनिटाइजर का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है. पढ़ें विशेष रिपोर्ट...

hand sanitizers
सेनिटाइजर
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Published : Jun 27, 2020, 2:35 PM IST

Updated : Jun 27, 2020, 3:25 PM IST

हैदराबाद : कोरोना वायरस महामारी के फैलने के बाद हाथों को साफ रखना बेहद जरूरी हो गया है. इसके लिए हैंड सेनिटाइजर का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन इसे खरीदने या इस्तेमाल करने से पहले सावधान रहने की जरूरत है.

बाजार में खराब गुणवत्ता के नकली सेनिटाइजर बिक रहे हैं. कई कंपनियां कोरोना काल में जनता के डर का फायदा उठाकर पैसे बना रही हैं और सुरक्षा मानकों को दरकिनार किया जा रहा है.

खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने सेनिटाइजर बनाने में एथेनॉल का उपयोग करने को कहा है, जबकि कंपनियां इसकी जगह मेथेनॉल का इस्तेमाल कर रही हैं, जो एक सस्ता विकल्प है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेताया है कि मेथेनॉल युक्त सेनिटाइजर के इस्तेमाल से कई बीमारियां हो सकती हैं.

तेलंगाना सरकार का ड्रग्स कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन नकली सेनिटाइजर के बारे में शिकायत के मिलने के बाद हरकत में आ गया है और सभी जिलों में ड्रग इंस्पेक्टर्स को सेनिटाइजर के सैम्पल लेने के लिए निर्देश दिया है.

असली सेनिटाइजर की पहचान कैसे करें

जिन सेनिटाइजर में द्रव पतला होता है, वह अधिक प्रभावी हैं. यह हाथों पर लगाने के बाद 60 सेकंड के अंदर सूख जाना चाहिए. चिपचिपे या चिकने सेनिटाइजर से स्किन एलर्जी हो सकती है. विशेषज्ञों ने लोगों को अल्कोहल युक्त सेनिटाइजर का उपयोग करने का सुझाव दिया है. जिसमें कम से कम 60 प्रतिशत एथनॉल हो. हैंड सेनिटाइजर का इस्तेमाल करते समय हमें 20 से 30 सेकंड तक दोनों हाथ रगड़ना चाहिए.

एथनॉल या मेथनॉल?

कोरोना महामारी के कारण सेनिटाइजर की बिक्री अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है. सुपरमार्केट और मेडिकल शॉप में रंगीन तरल पदार्थों से भरी आकर्षक बोतलें दिख रही हैं. हमारा मानना है कि सेनिटाइजर से हमारे हाथ कीटाणुरहित हो जाते हैं. हम में से अधिकांश यह नहीं जानते कि इसे बनाने में क्या इस्तेमाल किया जाता है.

रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने 60 प्रतिशत से अधिक एथनॉल (एथिल अल्कोहल) या 70 प्रतिशत आइसोप्रोपेनॉल (आइसोप्रोपिल अल्कोहल) युक्त सेनिटाइजर का उपयोग करने का सुझाव दिया है. डीसीसी ने मेथनॉल (मिथाइल अल्कोहल) से बने सेनिटाइजर को लेकर चेतावनी भी जारी की है.

क्या मिथाइल अल्कोहल खतरनाक है?

अमेरिकी फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (यूएसएफडीए) ने लोगों से कहा है कि वे मेथनॉल से बने सेनिटाइजर का उपयोग करने से बचें, क्योंकि मिथाइल अल्कोहल खतरनाक हो सकता है. अगर यह त्वचा के माध्यम से अवशोषित होता है. यह बहुत ही घातक हो सकता है. मेथनॉल के प्रभाव से मतली, उल्टी और आंखों में धुंधलापन हो सकता है. मेथनॉल छोटे बच्चों के लिए अतिसंवेदनशील होता है.

सेनिटाइजर का अधिक उपयोग हो सकता है खतरनाक

सीडीसी ने सेनिटाइजर के अत्यधिक उपयोग के खिलाफ चेतावनी जारी की है. सेनिटाइजर रोगाणुओं को नष्ट करता है, इससे हाथों में छाला पड़ने जैसे कई अवांछित दुष्प्रभाव हो सकते हैं. हैंड सेनिटाइजर जीवाणुरोधी अवयवों के साथ एंटीबायोटिक प्रतिरोध के विकास में योगदान कर सकते हैं.

हैदराबाद स्थित ड्रग्स कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन के संयुक्त निदेशक डॉ. नवीन कुमार ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हैंड सेनिटाइजर का फॉर्मूला तय किया है. भारत में हम केवल तीन या चार सक्रिय अवयवों का उपयोग करते हैं.

उन्होंने कहा कि एथनॉल से बने सेनिटाइजर सबसे सुरक्षित और सबसे प्रभावी हैं. मेथनॉल सस्ता और हानिकारक है. उन्होंने कहा कि वास्ताव में एथनॉल और मेथनॉल में अंतर करना मुश्किल है. हमारे संज्ञान में आया कि कई कंपनियां मेथनॉल युक्त सेनिटाइजर का उत्पादन कर रही हैं. हम उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने जा रहे हैं.

वहीं, त्वचा विशेषज्ञ डॉ. पुट्टा श्रीनिवास ने कहा कि साबुन और पानी से हाथ धोना सबसे प्रभावी तरीका है. सेनिटाइजर का उपयोग करते समय, बिस्तर पर जाने से पहले अपने हाथों को नम करना महत्वपूर्ण है. शरीर में प्रवेश करने से यह घातक साबित हो सकता है. उन्होंने कहा कि बच्चों को सेनिटाइजर से दूर रखना चाहिए, विशेष रूप से रंगीन और सुगंधित सेनिटाइजर से.

हैदराबाद : कोरोना वायरस महामारी के फैलने के बाद हाथों को साफ रखना बेहद जरूरी हो गया है. इसके लिए हैंड सेनिटाइजर का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन इसे खरीदने या इस्तेमाल करने से पहले सावधान रहने की जरूरत है.

बाजार में खराब गुणवत्ता के नकली सेनिटाइजर बिक रहे हैं. कई कंपनियां कोरोना काल में जनता के डर का फायदा उठाकर पैसे बना रही हैं और सुरक्षा मानकों को दरकिनार किया जा रहा है.

खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने सेनिटाइजर बनाने में एथेनॉल का उपयोग करने को कहा है, जबकि कंपनियां इसकी जगह मेथेनॉल का इस्तेमाल कर रही हैं, जो एक सस्ता विकल्प है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेताया है कि मेथेनॉल युक्त सेनिटाइजर के इस्तेमाल से कई बीमारियां हो सकती हैं.

तेलंगाना सरकार का ड्रग्स कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन नकली सेनिटाइजर के बारे में शिकायत के मिलने के बाद हरकत में आ गया है और सभी जिलों में ड्रग इंस्पेक्टर्स को सेनिटाइजर के सैम्पल लेने के लिए निर्देश दिया है.

असली सेनिटाइजर की पहचान कैसे करें

जिन सेनिटाइजर में द्रव पतला होता है, वह अधिक प्रभावी हैं. यह हाथों पर लगाने के बाद 60 सेकंड के अंदर सूख जाना चाहिए. चिपचिपे या चिकने सेनिटाइजर से स्किन एलर्जी हो सकती है. विशेषज्ञों ने लोगों को अल्कोहल युक्त सेनिटाइजर का उपयोग करने का सुझाव दिया है. जिसमें कम से कम 60 प्रतिशत एथनॉल हो. हैंड सेनिटाइजर का इस्तेमाल करते समय हमें 20 से 30 सेकंड तक दोनों हाथ रगड़ना चाहिए.

एथनॉल या मेथनॉल?

कोरोना महामारी के कारण सेनिटाइजर की बिक्री अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है. सुपरमार्केट और मेडिकल शॉप में रंगीन तरल पदार्थों से भरी आकर्षक बोतलें दिख रही हैं. हमारा मानना है कि सेनिटाइजर से हमारे हाथ कीटाणुरहित हो जाते हैं. हम में से अधिकांश यह नहीं जानते कि इसे बनाने में क्या इस्तेमाल किया जाता है.

रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने 60 प्रतिशत से अधिक एथनॉल (एथिल अल्कोहल) या 70 प्रतिशत आइसोप्रोपेनॉल (आइसोप्रोपिल अल्कोहल) युक्त सेनिटाइजर का उपयोग करने का सुझाव दिया है. डीसीसी ने मेथनॉल (मिथाइल अल्कोहल) से बने सेनिटाइजर को लेकर चेतावनी भी जारी की है.

क्या मिथाइल अल्कोहल खतरनाक है?

अमेरिकी फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (यूएसएफडीए) ने लोगों से कहा है कि वे मेथनॉल से बने सेनिटाइजर का उपयोग करने से बचें, क्योंकि मिथाइल अल्कोहल खतरनाक हो सकता है. अगर यह त्वचा के माध्यम से अवशोषित होता है. यह बहुत ही घातक हो सकता है. मेथनॉल के प्रभाव से मतली, उल्टी और आंखों में धुंधलापन हो सकता है. मेथनॉल छोटे बच्चों के लिए अतिसंवेदनशील होता है.

सेनिटाइजर का अधिक उपयोग हो सकता है खतरनाक

सीडीसी ने सेनिटाइजर के अत्यधिक उपयोग के खिलाफ चेतावनी जारी की है. सेनिटाइजर रोगाणुओं को नष्ट करता है, इससे हाथों में छाला पड़ने जैसे कई अवांछित दुष्प्रभाव हो सकते हैं. हैंड सेनिटाइजर जीवाणुरोधी अवयवों के साथ एंटीबायोटिक प्रतिरोध के विकास में योगदान कर सकते हैं.

हैदराबाद स्थित ड्रग्स कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन के संयुक्त निदेशक डॉ. नवीन कुमार ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हैंड सेनिटाइजर का फॉर्मूला तय किया है. भारत में हम केवल तीन या चार सक्रिय अवयवों का उपयोग करते हैं.

उन्होंने कहा कि एथनॉल से बने सेनिटाइजर सबसे सुरक्षित और सबसे प्रभावी हैं. मेथनॉल सस्ता और हानिकारक है. उन्होंने कहा कि वास्ताव में एथनॉल और मेथनॉल में अंतर करना मुश्किल है. हमारे संज्ञान में आया कि कई कंपनियां मेथनॉल युक्त सेनिटाइजर का उत्पादन कर रही हैं. हम उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने जा रहे हैं.

वहीं, त्वचा विशेषज्ञ डॉ. पुट्टा श्रीनिवास ने कहा कि साबुन और पानी से हाथ धोना सबसे प्रभावी तरीका है. सेनिटाइजर का उपयोग करते समय, बिस्तर पर जाने से पहले अपने हाथों को नम करना महत्वपूर्ण है. शरीर में प्रवेश करने से यह घातक साबित हो सकता है. उन्होंने कहा कि बच्चों को सेनिटाइजर से दूर रखना चाहिए, विशेष रूप से रंगीन और सुगंधित सेनिटाइजर से.

Last Updated : Jun 27, 2020, 3:25 PM IST
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