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बिहार में नीतीश सरकार, महाराष्ट्र में शांति….वादा निभाया, ठीक है!

नीतीश कुमार बिहार के 7वीं बार सीएम बने हैं. वहीं, शिवसेना ने सामना के संपादकीय पेज पर भड़ास निकाली है. शिवसेना ने कहा कि अगले 4 साल तक बीजेपी जीत का जश्न मनाएगी, वहीं, नीतीश के लिए यह आसान नहीं होगा.

saamna editorial on BJP bihar election
सामना में बीजेपी पर साधा निशाना
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Published : Nov 18, 2020, 1:08 PM IST

महाराष्ट्र: शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में बुधवार को नीतीश कुमार और बीजेपी पर हमला बोला है. वहीं, सामना के संपादकीय पेज पर छपे लेख में राज्य के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस को भी आड़े हाथ लिया गया है.

पढ़ें, सामना के संपादकीय में छपा लेख

नीतीश कुमार सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं, लेकिन इस शपथ ग्रहण समारोह में हमेशा की तरह न जान थी, ना उत्साह. पूरे समारोह पर भारतीय जनता पार्टी की ही छाप दिख रही थी.

तीसरे नंबर पर पहुंची नीतीश की पार्टी

बिहार चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी फिसलकर तीसरे नंबर पर पहुंच चुकी है. जीत का जो जश्न ‘भाजपा’ मना रही है वह दूसरे नंबर पर और तेजस्वी यादव की ‘राजद’ पहले नंबर की शिलेदार है, लेकिन अपने दिए गए वचन के अनुसार भाजपा ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद दे दिया. आने वाले दिन इस मेहरबानी के बोझ तले ही ढकेलने होंगे, इस चिंता से नीतीश कुमार के चेहरे का तेज समाप्त हो चुका है. नीतीश कुमार जो लगातार सात बार मुख्यमंत्री बने, वो इसी तरह जोड़-तोड़ करके ही बने हैं.

आजकल बिहार में रह रहे महाराष्ट्र के नेता

भारतीय जनता पार्टी की ओर से देवेंद्र फडणवीस ने घोषित किया, ‘नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद देने के लिए वचन दिया था, वो हमने निभा दिया. भाजपा वचन निभानेवाली पार्टी है.’ महाराष्ट्र में शिवसेना को मुख्यमंत्री पद के लिए वचन नहीं दिया था, महाराष्ट्र के फडणवीस के पंटर ऐसा बोलते हुए बीच में कूद पड़े हैं. उनकी भद एक साल पहले ही पिटी थी और उस दुख को भूलने के लिए महाराष्ट्र के नेता आजकल बिहार में रहते हैं.

संशय है बिहार की सरकार पूरे पांच साल टिकेगी!

मजे की बात यह है कि बिहार की सरकार पूरे पांच साल टिकेगी, ऐसा आत्मविश्वास भाजपा के नेताओं ने व्यक्त किया है. उसी समय महाराष्ट्र की सरकार अस्थिर है और यह ज्यादा नहीं चलेगी, ऐसी कसमसाहट भी वे व्यक्त कर रहे हैं. इस ढोंग को क्या कहा जाए! बिहार की भाजपा-जदयू सरकार का बहुमत सिर्फ दो-तीन विधायकों का तथा महाराष्ट्र के महाविकास आघाड़ी की सरकार का बहुमत ३० विधायकों का है. इसलिए महाराष्ट्र की सरकार को गिराने की बात करना मतलब दमदार दीवार पर अपना सिर फोड़ने जैसा है.

नीतीश के समर्थक को घर बैठाया

देवेंद्र फडणवीस चुनाव काल में बिहार के प्रभारी थे. ऐसा लग रहा है कि फडणवीस को बिहार सरकार की ओर ही ज्यादा ध्यान देना पड़ेगा. वचन के अनुसार नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद दिया, यह ठीक है, लेकिन सवाल ये उठता है कि हमेशा के लिए यह व्यवस्था रह पाएगी क्या? पिछली सरकार में भाजपा के सुशील कुमार मोदी उप मुख्यमंत्री थे. नीतीश को उनका पूरा समर्थन प्राप्त था. इस समय भाजपा ने नीतीश कुमार के इस समर्थक को घर पर ही बैठा दिया.

नीतीश का सिरदर्द बढ़ाने वाले हैं दो-दो डिप्टी सीएम

सुशील कुमार मोदी को उपमुख्यमंत्री तो नहीं बनाया, उल्टे अधिक आंकड़े के दम पर भाजपा ने एक नहीं, बल्कि दो-दो उपमुख्यमंत्री बनवा दिए हैं. इसलिए नीतीश कुमार का सिरदर्द बढ़नेवाला है. महाराष्ट्र में चंद्रकांत पाटील जैसे नेता बीच-बीच में कुछ-न-कुछ चूरन देते रहते हैं और महाराष्ट्र की सरकार शरद पवार चला रहे हैं, ऐसा तंज कसते रहते हैं. महाराष्ट्र के राज्यपाल भी उन्हीं विचारों के हैं. अब इन सबको इस बात पर नजर रखनी चाहिए कि बिहार में नीतीश कुमार की सरकार कौन चलाएगा? नीतीश कुमार केवल नामधारी मुख्यमंत्री होंगे और एक दिन इतने अपमानित होंगे कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. नीतीश कुमार ने दो दिन पहले ही कहा कि हमें इस बार मुख्यमंत्री नहीं बनना है लेकिन भाजपा के आग्रह पर हम यह पद स्वीकार कर रहे हैं.

क्या नीतीश चुनेंगे नया रास्ता

भाजपा का यह कदम कमाल का कहना पड़ेगा या फडणवीस कहते हैं उस प्रकार से मोदी साहेब का बिहार पर विशेष प्रेम है. यह अब साफ दिख रहा है. महाराष्ट्र में भाजपा की सीटें ज्यादा आने के कारण शिवसेना को मुख्यमंत्री का पद नहीं दिया, लेकिन बिहार में फिसलकर तीसरे क्रमांक पर जा चुकी पार्टी को मुख्यमंत्री पद का मुकुट पहनाया. कितनी उदारता है यह? राजनीति के इस त्याग का वर्णन करने के लिए स्याही कम पड़ जाएगी, लेकिन नीतीश कुमार इस मेहरबानी के बोझ को कितने काल तक उठा पाएंगे? या एक दिन खुद ही ये बोझ उतारकर फेंक देंगे और नया रास्ता चुनेंगे?

नीतीश के सामने तेजस्वी बड़ी चुनौती

इनके सामने तेजस्वी यादव की चुनौती खड़ी है और विधानसभा में ११० विधायकों की दीवार पार करना आसान नहीं है. तेजस्वी यादव युवा, शातिर और आक्रामक टिप्पणी करनेवाले नेता हैं. नामधारी मुख्यमंत्री बनने पर तेजस्वी ने नीतीश कुमार को शुभकामनाएं दी हैं. कुर्सी की महत्वाकांक्षा की बजाय बिहार के जनता की इच्छा और १९ लाख नौकरियां, रोजगार, शिक्षा, औषधि, आय व सिंचन पर दिए गए अपने आश्वासनों को पूरा करो, ऐसा तेजस्वी ने नए मुख्यमंत्री से कहा है. उधर चिराग पासवान ने भी नीतीश कुमार को पांच साल का कार्यकाल पूरा करने की शुभकामनाएं दी हैं. उनकी शंका भी वाजिब है.बहुमत है लेकिन वजनदार नहीं है। भाजपा, कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने की तैयारी में है.

पढ़ें: शिवसेना को हिंदुत्व पर प्रमाण-पत्र की जरूरत नहीं : संजय राउत

अगले 4 साल जीत का जश्न मनाएगी बीजेपी

इन विधायकों को जदयू की बजाय भाजपा में शामिल करके आंकड़ा बढ़ाकर नीतीश कुमार पर दबाव बनाया जा सकता है. कांग्रेस का जो कुछ भी हुआ, उसका ठीकरा केवल राहुल गांधी पर फोड़ना सही नहीं है. नीतीश कुमार का काम कहां चमकदार था? जिसका काम जोरदार और चमकदार रहा, ऐसे तेजस्वी यादव विरोधी पक्ष में बैठे हैं. महाराष्ट्र में भी सबसे बड़ी पार्टी विरोधी पक्ष में बैठी है. उसका ही प्रतिबिंब बिहार में पड़ा और महाराष्ट्र के विरोधी पक्ष नेता को बिहार की जीत का श्रेय दिया जा रहा है, हमें इस बात की खुशी है. बिहार की जीत का आनंद भाजपा अगले चार साल मनाती रहे. बिहार को विकास की दिशा में ले जाने के लिए महाराष्ट्र के अनुभवी भाजपा नेताओं की मदद लें. इससे बिहार को लाभ होगा, लेकिन महाराष्ट्र में भी शांति रहेगी. नीतीश कुमार को हमारी शुभकामनाएं!

महाराष्ट्र: शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में बुधवार को नीतीश कुमार और बीजेपी पर हमला बोला है. वहीं, सामना के संपादकीय पेज पर छपे लेख में राज्य के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस को भी आड़े हाथ लिया गया है.

पढ़ें, सामना के संपादकीय में छपा लेख

नीतीश कुमार सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं, लेकिन इस शपथ ग्रहण समारोह में हमेशा की तरह न जान थी, ना उत्साह. पूरे समारोह पर भारतीय जनता पार्टी की ही छाप दिख रही थी.

तीसरे नंबर पर पहुंची नीतीश की पार्टी

बिहार चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी फिसलकर तीसरे नंबर पर पहुंच चुकी है. जीत का जो जश्न ‘भाजपा’ मना रही है वह दूसरे नंबर पर और तेजस्वी यादव की ‘राजद’ पहले नंबर की शिलेदार है, लेकिन अपने दिए गए वचन के अनुसार भाजपा ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद दे दिया. आने वाले दिन इस मेहरबानी के बोझ तले ही ढकेलने होंगे, इस चिंता से नीतीश कुमार के चेहरे का तेज समाप्त हो चुका है. नीतीश कुमार जो लगातार सात बार मुख्यमंत्री बने, वो इसी तरह जोड़-तोड़ करके ही बने हैं.

आजकल बिहार में रह रहे महाराष्ट्र के नेता

भारतीय जनता पार्टी की ओर से देवेंद्र फडणवीस ने घोषित किया, ‘नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद देने के लिए वचन दिया था, वो हमने निभा दिया. भाजपा वचन निभानेवाली पार्टी है.’ महाराष्ट्र में शिवसेना को मुख्यमंत्री पद के लिए वचन नहीं दिया था, महाराष्ट्र के फडणवीस के पंटर ऐसा बोलते हुए बीच में कूद पड़े हैं. उनकी भद एक साल पहले ही पिटी थी और उस दुख को भूलने के लिए महाराष्ट्र के नेता आजकल बिहार में रहते हैं.

संशय है बिहार की सरकार पूरे पांच साल टिकेगी!

मजे की बात यह है कि बिहार की सरकार पूरे पांच साल टिकेगी, ऐसा आत्मविश्वास भाजपा के नेताओं ने व्यक्त किया है. उसी समय महाराष्ट्र की सरकार अस्थिर है और यह ज्यादा नहीं चलेगी, ऐसी कसमसाहट भी वे व्यक्त कर रहे हैं. इस ढोंग को क्या कहा जाए! बिहार की भाजपा-जदयू सरकार का बहुमत सिर्फ दो-तीन विधायकों का तथा महाराष्ट्र के महाविकास आघाड़ी की सरकार का बहुमत ३० विधायकों का है. इसलिए महाराष्ट्र की सरकार को गिराने की बात करना मतलब दमदार दीवार पर अपना सिर फोड़ने जैसा है.

नीतीश के समर्थक को घर बैठाया

देवेंद्र फडणवीस चुनाव काल में बिहार के प्रभारी थे. ऐसा लग रहा है कि फडणवीस को बिहार सरकार की ओर ही ज्यादा ध्यान देना पड़ेगा. वचन के अनुसार नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद दिया, यह ठीक है, लेकिन सवाल ये उठता है कि हमेशा के लिए यह व्यवस्था रह पाएगी क्या? पिछली सरकार में भाजपा के सुशील कुमार मोदी उप मुख्यमंत्री थे. नीतीश को उनका पूरा समर्थन प्राप्त था. इस समय भाजपा ने नीतीश कुमार के इस समर्थक को घर पर ही बैठा दिया.

नीतीश का सिरदर्द बढ़ाने वाले हैं दो-दो डिप्टी सीएम

सुशील कुमार मोदी को उपमुख्यमंत्री तो नहीं बनाया, उल्टे अधिक आंकड़े के दम पर भाजपा ने एक नहीं, बल्कि दो-दो उपमुख्यमंत्री बनवा दिए हैं. इसलिए नीतीश कुमार का सिरदर्द बढ़नेवाला है. महाराष्ट्र में चंद्रकांत पाटील जैसे नेता बीच-बीच में कुछ-न-कुछ चूरन देते रहते हैं और महाराष्ट्र की सरकार शरद पवार चला रहे हैं, ऐसा तंज कसते रहते हैं. महाराष्ट्र के राज्यपाल भी उन्हीं विचारों के हैं. अब इन सबको इस बात पर नजर रखनी चाहिए कि बिहार में नीतीश कुमार की सरकार कौन चलाएगा? नीतीश कुमार केवल नामधारी मुख्यमंत्री होंगे और एक दिन इतने अपमानित होंगे कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. नीतीश कुमार ने दो दिन पहले ही कहा कि हमें इस बार मुख्यमंत्री नहीं बनना है लेकिन भाजपा के आग्रह पर हम यह पद स्वीकार कर रहे हैं.

क्या नीतीश चुनेंगे नया रास्ता

भाजपा का यह कदम कमाल का कहना पड़ेगा या फडणवीस कहते हैं उस प्रकार से मोदी साहेब का बिहार पर विशेष प्रेम है. यह अब साफ दिख रहा है. महाराष्ट्र में भाजपा की सीटें ज्यादा आने के कारण शिवसेना को मुख्यमंत्री का पद नहीं दिया, लेकिन बिहार में फिसलकर तीसरे क्रमांक पर जा चुकी पार्टी को मुख्यमंत्री पद का मुकुट पहनाया. कितनी उदारता है यह? राजनीति के इस त्याग का वर्णन करने के लिए स्याही कम पड़ जाएगी, लेकिन नीतीश कुमार इस मेहरबानी के बोझ को कितने काल तक उठा पाएंगे? या एक दिन खुद ही ये बोझ उतारकर फेंक देंगे और नया रास्ता चुनेंगे?

नीतीश के सामने तेजस्वी बड़ी चुनौती

इनके सामने तेजस्वी यादव की चुनौती खड़ी है और विधानसभा में ११० विधायकों की दीवार पार करना आसान नहीं है. तेजस्वी यादव युवा, शातिर और आक्रामक टिप्पणी करनेवाले नेता हैं. नामधारी मुख्यमंत्री बनने पर तेजस्वी ने नीतीश कुमार को शुभकामनाएं दी हैं. कुर्सी की महत्वाकांक्षा की बजाय बिहार के जनता की इच्छा और १९ लाख नौकरियां, रोजगार, शिक्षा, औषधि, आय व सिंचन पर दिए गए अपने आश्वासनों को पूरा करो, ऐसा तेजस्वी ने नए मुख्यमंत्री से कहा है. उधर चिराग पासवान ने भी नीतीश कुमार को पांच साल का कार्यकाल पूरा करने की शुभकामनाएं दी हैं. उनकी शंका भी वाजिब है.बहुमत है लेकिन वजनदार नहीं है। भाजपा, कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने की तैयारी में है.

पढ़ें: शिवसेना को हिंदुत्व पर प्रमाण-पत्र की जरूरत नहीं : संजय राउत

अगले 4 साल जीत का जश्न मनाएगी बीजेपी

इन विधायकों को जदयू की बजाय भाजपा में शामिल करके आंकड़ा बढ़ाकर नीतीश कुमार पर दबाव बनाया जा सकता है. कांग्रेस का जो कुछ भी हुआ, उसका ठीकरा केवल राहुल गांधी पर फोड़ना सही नहीं है. नीतीश कुमार का काम कहां चमकदार था? जिसका काम जोरदार और चमकदार रहा, ऐसे तेजस्वी यादव विरोधी पक्ष में बैठे हैं. महाराष्ट्र में भी सबसे बड़ी पार्टी विरोधी पक्ष में बैठी है. उसका ही प्रतिबिंब बिहार में पड़ा और महाराष्ट्र के विरोधी पक्ष नेता को बिहार की जीत का श्रेय दिया जा रहा है, हमें इस बात की खुशी है. बिहार की जीत का आनंद भाजपा अगले चार साल मनाती रहे. बिहार को विकास की दिशा में ले जाने के लिए महाराष्ट्र के अनुभवी भाजपा नेताओं की मदद लें. इससे बिहार को लाभ होगा, लेकिन महाराष्ट्र में भी शांति रहेगी. नीतीश कुमार को हमारी शुभकामनाएं!

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