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जानें RTI अधिनियम में क्या बदलाव ला रही है सरकार

लोकसभा और राज्यसभा में पारित होने के बाद RTI अमेंडमेंट बिल में बदलाव आना अब लगभग तय है. जानतें हैं कि क्या है RTI अधिनियम और इसमें क्या बदलाव ला रही है सरकार...

आरटीआई एक्टिविस्ट अंजली भारद्वाज.
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Published : Jul 27, 2019, 2:38 PM IST

नई दिल्ली: मोदी सरकार 2.O सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव लाने जा रही है. वहीं, आरटीआई अमेंडमेंट बिल 2019 अब लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पारित हो चुका है. ऐसे में विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ताओं के पुरजोर विरोध के बावजूद ये बिल अब राष्ट्रपति के पास अंतिम स्वीकृति के लिये जाएगा.

RTI में बदलाव आना अब लगभग सुनिश्चित है. ऐसे में एक आम RTI एक्टिविस्ट या आम जनता के लिये सूचना के अधिकार में बदलाव के क्या मायने हैं और अब आपका पुराना आरटीआई कितना बदल जायेगा ? इन तमाम विषयों पर ईटीवी ने सामाजिक कार्यकर्ता और RTI एक्टिविस्ट अंजली भारद्वाज से विशेष बातचीत की है.

पढ़ें: बाढ़ में फंसी महालक्ष्मी एक्सप्रेस: NDRF ने 117 लोगों को बचाया

अंजली भारद्वाज भी RTI अधिनियम में बदलाव का पुरजोर विरोध करती हैं. उनका मानना है कि सूचना आयुक्तों की नियुक्ति, उनके कार्य अवधि और वेतनमान को नियंत्रित कर मोदी सरकार लोगों के सूचना के अधिकार को प्रभावित करना चाहती है. भविष्य में ऐसा हो सकता है कि लोगों तक सिर्फ उतनी ही सूचनाएं पहुंचे जितना सरकार तय करेगी या फिर जिन सूचनाओं के सार्वजनिक होने से सरकार को असहजता महसूस होती हो उन्हें न दिया जाए.

RTI एक्टिविस्ट अंजली भारद्वाज से हुई बातचीत

क्या है अभी का RTI कानून और क्या होंगे बदलाव?

  • राइट टू इन्फर्मेशन एक्ट 2005 के दो सेक्शन में बदलाव हुए हैं. पहला सेक्शन 13 और दूसरा सेक्शन 16 है.
  • 2005 के कानून में सेक्शन 13 में जिक्र था कि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त का कार्यकाल पांच साल या फिर 65 साल की उम्र तक, जो भी पहले हो होगा.
  • 2019 में संशोधित कानून कहता है कि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त का कार्यकाल केंद्र सरकार पर निर्भर करेगा.
  • साल 2005 के कानून में सेक्शन 13 में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त की तनख्वाह का जिक्र है. मुख्य सूचना आयुक्त की तनख्वाह मुख्य निर्वाचन आयुक्त की तनख्वाह के बराबर होगा. सूचना आयुक्त की सैलरी निर्वाचन आयुक्त की सैलरी के बराबर होगी.
  • 2019 का संशोधित कानून कहता है कि मुख्य सूचना आयुक्त का वेतन और सूचना आयुक्त का वेतन केंद्र सरकार तय करेगी.
  • 2005 के ओरिजिनल RTI एक्ट के सेक्शन 16 में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त का जिक्र है. इसमें लिखा है कि राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य के सूचना आयुक्त का कार्यकाल पांच साल या 65 साल की उम्र तक, जो भी पहले हो, तब तक होगा.
  • 2019 का संशोधित कानून कहता है कि राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य के सूचना आयुक्त का कार्यकाल केंद्र सरकार तय करेगी.
  • 2005 के ओरिजिनल एक्ट के मुताबिक राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त की सैलरी राज्य के निर्वाचन आयुक्त की सैलरी के बराबर होगी. राज्य के सूचना आयुक्त की सैलरी राज्य के मुख्य सचिव के बराबर होगी.
  • संशोधित एक्ट के मुताबिक राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त की सैलरी केंद्र सरकार तय करेगी.

देखिये अंजली भारद्वाज से ईटीवी की ये खास बातचीत और सरल भाषा में समझें कि क्या है आरटीआई अधिनियम और इसमें क्या बदलाव ला रही है सरकार. साथ ही इन बदलावों के लाने के पीछे क्या है सरकार की मंशा.

नई दिल्ली: मोदी सरकार 2.O सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव लाने जा रही है. वहीं, आरटीआई अमेंडमेंट बिल 2019 अब लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पारित हो चुका है. ऐसे में विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ताओं के पुरजोर विरोध के बावजूद ये बिल अब राष्ट्रपति के पास अंतिम स्वीकृति के लिये जाएगा.

RTI में बदलाव आना अब लगभग सुनिश्चित है. ऐसे में एक आम RTI एक्टिविस्ट या आम जनता के लिये सूचना के अधिकार में बदलाव के क्या मायने हैं और अब आपका पुराना आरटीआई कितना बदल जायेगा ? इन तमाम विषयों पर ईटीवी ने सामाजिक कार्यकर्ता और RTI एक्टिविस्ट अंजली भारद्वाज से विशेष बातचीत की है.

पढ़ें: बाढ़ में फंसी महालक्ष्मी एक्सप्रेस: NDRF ने 117 लोगों को बचाया

अंजली भारद्वाज भी RTI अधिनियम में बदलाव का पुरजोर विरोध करती हैं. उनका मानना है कि सूचना आयुक्तों की नियुक्ति, उनके कार्य अवधि और वेतनमान को नियंत्रित कर मोदी सरकार लोगों के सूचना के अधिकार को प्रभावित करना चाहती है. भविष्य में ऐसा हो सकता है कि लोगों तक सिर्फ उतनी ही सूचनाएं पहुंचे जितना सरकार तय करेगी या फिर जिन सूचनाओं के सार्वजनिक होने से सरकार को असहजता महसूस होती हो उन्हें न दिया जाए.

RTI एक्टिविस्ट अंजली भारद्वाज से हुई बातचीत

क्या है अभी का RTI कानून और क्या होंगे बदलाव?

  • राइट टू इन्फर्मेशन एक्ट 2005 के दो सेक्शन में बदलाव हुए हैं. पहला सेक्शन 13 और दूसरा सेक्शन 16 है.
  • 2005 के कानून में सेक्शन 13 में जिक्र था कि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त का कार्यकाल पांच साल या फिर 65 साल की उम्र तक, जो भी पहले हो होगा.
  • 2019 में संशोधित कानून कहता है कि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त का कार्यकाल केंद्र सरकार पर निर्भर करेगा.
  • साल 2005 के कानून में सेक्शन 13 में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त की तनख्वाह का जिक्र है. मुख्य सूचना आयुक्त की तनख्वाह मुख्य निर्वाचन आयुक्त की तनख्वाह के बराबर होगा. सूचना आयुक्त की सैलरी निर्वाचन आयुक्त की सैलरी के बराबर होगी.
  • 2019 का संशोधित कानून कहता है कि मुख्य सूचना आयुक्त का वेतन और सूचना आयुक्त का वेतन केंद्र सरकार तय करेगी.
  • 2005 के ओरिजिनल RTI एक्ट के सेक्शन 16 में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त का जिक्र है. इसमें लिखा है कि राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य के सूचना आयुक्त का कार्यकाल पांच साल या 65 साल की उम्र तक, जो भी पहले हो, तब तक होगा.
  • 2019 का संशोधित कानून कहता है कि राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य के सूचना आयुक्त का कार्यकाल केंद्र सरकार तय करेगी.
  • 2005 के ओरिजिनल एक्ट के मुताबिक राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त की सैलरी राज्य के निर्वाचन आयुक्त की सैलरी के बराबर होगी. राज्य के सूचना आयुक्त की सैलरी राज्य के मुख्य सचिव के बराबर होगी.
  • संशोधित एक्ट के मुताबिक राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त की सैलरी केंद्र सरकार तय करेगी.

देखिये अंजली भारद्वाज से ईटीवी की ये खास बातचीत और सरल भाषा में समझें कि क्या है आरटीआई अधिनियम और इसमें क्या बदलाव ला रही है सरकार. साथ ही इन बदलावों के लाने के पीछे क्या है सरकार की मंशा.

Intro:मोदी सरकार 2.O सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव लाने जा रही है और आरटीआई अमेंडमेंट बिल 2019 अब लोकसभा के बाद राज्य सभा में भी पारित हो चुका है । ऐसे में विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ताओं के पुरजोर विरोध के बावजूद ये बिल अब राष्ट्रपति के पास अंतिम स्वीकृति के लिये जाएगा ।
RTI में बदलाव आना अब लगभग सुनिश्चित है, ऐसे में एक आम आरटीआई एक्टिविस्ट या आम जनता के लिये सूचना के अधिकार में बदलाव के क्या मायने हैं और अब आपका पुराना आरटीआई कितना बदल जायेगा ? इन तमाम विषयों पर ईटीवी ने सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट अंजली भारद्वाज से विशेष बातचीत की है ।


Body:अंजली भारद्वाज भी आरटीआई अधिनियम में बदलाव का पुरजोर विरोध करती हैं और उनका मानना है कि सूचना आयुक्तों की नियुक्ति , उनके कार्य अवधि और वेतनमान को नियंत्रित कर मोदी सरकार लोगों के सूचना के अधिकार को प्रभावित करना चाहती है । भविष्य में ऐसा हो सकता है कि लोगों तक सिर्फ उतनी ही सूचनाएँ पहुँचे जितना सरकार तय करेगी या फिर जिन सूचनाओं के सार्वजनिक होने से सरकार को असहजता महसूस होती हो उन्हें न दिया जाए ।
देखिये अंजली भारद्वाज से ईटीवी संवाददाता अभिजीत ठाकुर।की ये विशेष बातचीत और सरल भाषा में समझें कि क्या है आरटीआई अधिनियम और इसमें क्या बदलाव ला रही है सरकार । साथ ही इन बदलावों के लाने के पीछे क्या है सरकार की मंशा ?


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