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RSS और VHP नेताओं ने किया समान नागरिक संहिता का समर्थन

आरएसएस और विहिप ने समान नागरिक संहिता का समर्थन किया है. दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार ने कहा कि 'एक देश, एक नागरिकता' होनी चाहिए. तो वहीं आरएसएस नेता आलोक कुमार ने कहा कि अनुच्छेद 29, 30 में संशोधन कर बहुसंख्यक वर्ग के लोगों को भी समानता प्रदान की जानी चाहिए.

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Published : Nov 24, 2019, 4:54 PM IST

इंद्रेश कुमार, आलोक कुमार

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के नेताओं ने भी समान नागरिक संहिता का समर्थन किया है. समान नागरिक संहिता पर चर्चा के लिए दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में आरएसएस प्रचारक, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार और विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार भी मौजूद थे.

इंद्रेश कुमार ने मीडिया से कहा कि भारत के लोग धर्म के नाम पर विभाजित न हों, और न ही एक दूसरे से लड़ें, 'एक देश, एक नागरिकता' और एक झंडे के साथ सब चलें.

मीडिया से बात करते इंद्रेश कुमार व आलोक कुमार.

उन्होंने कहा कि इसलिए देश की यह मौलिक आवश्यकता है. सभी अपने-अपने धर्मों के प्रति आस्था रखें और दूसरे धर्मो का भी सम्मान करें. हम समान नागरिक संहिता का समर्थन करते हैं.

विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने भी इसका समर्थन किया और साथ ही अनुच्छेद 29 और 30 को भी अल्पसंख्यकों के साथ-साथ बहुसंख्यकों के लिए भी समान अधिकार की मांग की है.

पढ़ें : नागपुर में RSS का 25 दिन का प्रशिक्षण शिविर शुरू

आलोक कुमार ने कहा कि अनुच्छेद 29 और 30 अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को यह अधिकार देता है कि वो अपना शिक्षण संस्थान खोल सकते हैं और अपनी संस्कृति और परम्परा को बचाये रखने के लिए बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के उसको चला भी सकते हैं. ऐसे ही अधिकार बहुसंख्यकों को भी मिलना चाहिए. आर्टिकल 29 और 30 में संशोधन करके इसे सबके लिए समान कर देना चाहिए.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के नेताओं ने भी समान नागरिक संहिता का समर्थन किया है. समान नागरिक संहिता पर चर्चा के लिए दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में आरएसएस प्रचारक, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार और विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार भी मौजूद थे.

इंद्रेश कुमार ने मीडिया से कहा कि भारत के लोग धर्म के नाम पर विभाजित न हों, और न ही एक दूसरे से लड़ें, 'एक देश, एक नागरिकता' और एक झंडे के साथ सब चलें.

मीडिया से बात करते इंद्रेश कुमार व आलोक कुमार.

उन्होंने कहा कि इसलिए देश की यह मौलिक आवश्यकता है. सभी अपने-अपने धर्मों के प्रति आस्था रखें और दूसरे धर्मो का भी सम्मान करें. हम समान नागरिक संहिता का समर्थन करते हैं.

विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने भी इसका समर्थन किया और साथ ही अनुच्छेद 29 और 30 को भी अल्पसंख्यकों के साथ-साथ बहुसंख्यकों के लिए भी समान अधिकार की मांग की है.

पढ़ें : नागपुर में RSS का 25 दिन का प्रशिक्षण शिविर शुरू

आलोक कुमार ने कहा कि अनुच्छेद 29 और 30 अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को यह अधिकार देता है कि वो अपना शिक्षण संस्थान खोल सकते हैं और अपनी संस्कृति और परम्परा को बचाये रखने के लिए बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के उसको चला भी सकते हैं. ऐसे ही अधिकार बहुसंख्यकों को भी मिलना चाहिए. आर्टिकल 29 और 30 में संशोधन करके इसे सबके लिए समान कर देना चाहिए.

Intro:आरएसएस और विश्व हिन्दू परिषद के नेताओं ने भी जल्द यूनिफार्म सिविल कोड लाये जाने का समर्थन किया है । दिल्ली में समान नागरिक संहिता पर चर्चा के लिये आयोजित एक कार्यक्रम में आरएसएस प्रचारक और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार और विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार भी पहुँचे थे ।
इंद्रेश कुमार ने कहा कि भारत धर्मों में बंटे और लड़े नहीं, एक देश एक नागरिकता और एक झंडे के साथ सब चलें इसलिये ये देश की मौलिक आवश्यकता है । सभी अपने अपने धर्मों के प्रति आस्था रखें और दूसरे के धर्म का भी सम्मान करें । वो एक समान नागरिक संहिता का समर्थन करते हैं ।
कार्यक्रम में मौजूद विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने भी इसका समर्थन किया और साथ ही आर्टिकल 29 और 30 को भी अल्पसंख्यकों के साथ साथ बहुसंख्यकों को भी समान अधिकार की मांग की है ।
आलोक कुमार ने कहा कि आर्टिकल 29 और 30 अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को ये अधिकार देते हैं कि वो अपने शिक्षण संस्थान खोल सकते हैं और अपनी संस्कृति और परंपरा को बचाये रखने के लिये बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के उसको चला सकते हैं । ऐसे ही अधिकार बहुसंख्यकों को भी मिलने चाहिये और आर्टिकल 29 और 30 में संशोधन कर के इसे सबके लिये समान कर देना चाहिये ।


Body:ये मांग विश्व हिन्दू परिषद पहले से भी उठाती रही है । ऐसे में जब समान नागरिक संहिता पर बात हो रही है तो इस पर भी चर्चा छिड़े ये लाज़मी दिख रहा है ।



Conclusion:
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