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जानें, द्वितीय विश्व युद्ध में क्या थी जापान की भूमिका

जापान ने सितंबर 1940 में जर्मनी और इटली के साथ त्रिपक्षीय संधि की. इसके तहत वह एक दूसरे की सहायता करने पर सहमत हुए. सात दिसंबर, 1941 को जापानी विमानों ने होनोलुलु के पास पर्ल हार्बर में अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर बमबारी कर दी. इस हमले में 18 जहाजों को नष्ट कर दिया गया, साथ ही करीब 2,500 लोग मारे गए. पढ़ें हमारी यह खास पेशकश...

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जानें, द्वितीय विश्व युद्ध में क्या थी जापान की भूमिका
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Published : Sep 2, 2020, 9:25 AM IST

Updated : Sep 2, 2020, 1:39 PM IST

हैदराबाद : जापान ने सितंबर 1940 में नाजी जर्मनी और फासीवादी इटली के साथ एक त्रिपक्षीय संधि पर हस्ताक्षर किए. इसके तहत वह एक दूसरे की सहायता करने के लिए सहमत हुए.

जापान ने उसी महीने फ्रांसीसी इंडो-चाइना पर कब्जा करने के लिए सेना भेजी और अमेरिका ने आर्थिक प्रतिबंधों का जवाब दिया, जिसमें तेल और इस्पात पर प्रतिबंध शामिल था.

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फाइल फोटो

वर्ष 1940 में जापान ने चीनी राष्ट्रवादियों के लिए आपूर्ति को अवरुद्ध करने के प्रयास में उत्तरी इंडो-चीन पर कब्जा कर लिया और जुलाई 1941 में इसने फ्रांस के शहर विची की पूरी कॉलोनी पर कब्जा किया. इससे दक्षिण-पूर्व एशिया में आगे बढ़ने का रास्ता खुल गया.

सात दिसंबर, 1941 को जापानी विमानों ने होनोलुलु के पास पर्ल हार्बर में अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर बमबारी कर दी. इस हमले में 18 जहाजों को नष्ट कर दिया गया, साथ ही करीब 2,500 लोग मारे गए.

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फाइल फोटो

इसके एक दिन बाद अमेरिका ने युद्ध की घोषणा की. यद्ध के पहले वर्षों में जापान को बड़ी सफलता मिली. फिलीपींस में जनवरी 1942 में जापानी सैनिकों ने मनीला पर कब्जा कर लिया. मई में कोरिगिडोर (Corregidor) और फरवरी 1942 में सिंगापुर और डच ईस्ट इंडीज और रंगून (बर्मा) पर कब्जा कर लिया.

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फाइल फोटो

जून 1942 में मिडवे की लड़ाई में जापानी बेड़े के चार विमान वाहक और कई अनुभवी पायलट शामिल थे. सोलोमन में गुआडलकैनल द्वीप (Guadalcanal Island) के लिए लड़ाई फरवरी 1943 में जापानी वापसी के साथ समाप्त हुई.

साल 1944 के मध्य तक जापान के सैन्य नेताओं ने स्वीकार किया कि जीत की संभावना नहीं थी, फिर भी देश ने तब तक लड़ना बंद नहीं किया, जब तक कि हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए नहीं गए.

19 फरवरी, 1945 से 26 मार्च, 1945 : इवो जिमा (Iwo Jima) की लड़ाई

अमेरिकी सेना ने इवो जिमा (Iwo Jima) द्वीप के नियंत्रण के लिए जापानी सैनिकों से लड़ाई की. 36 दिनों तक चली इस लड़ाई में लगभग सात हजार अमेरिकी मरीन और 20 हजार से अधिक जापानी सैनिकों की जान चली गई. इस द्वीप को बाद में अमेरिकी बी-29 बमवर्षकों के लिए एक आपातकालीन लैंडिंग साइट के रूप में इस्तेमाल किया गया.

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फाइल फोटो

10 मार्च, 1945 : ग्रेट टोक्यो एयर रेड शुरू

संयुक्त राज्य अमेरिका ने दो दिनों में टोक्यो पर दो हजार टन से अधिक विस्फोटकों को गिराते हुए एक व्यापक हवाई अभियान शुरू किया. बमबारी ने टोक्यो को बर्बाद कर दिया. लगभग 16 वर्ग मील को नष्ट कर दिया. अनुमानित 80 हजार से एक लाख नागरिक मारे गए.

1 अप्रैल, 1945 से 22 जून, 1945 : ओकिनावा की लड़ाई

अमेरिकी सैनिकों ने ओकिनावा पर जापानी सेना से लड़ाई की. यह द्वीप प्रशांत क्षेत्र में मित्र देशों के युद्धकालीन प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाला हवाई अड्डों के लिए एक संभावित मंच था. यह इवो जिमा (Iwo Jima) की लड़ाई से भी ज्यादा खतरनाक था, जिसमें 14 हजार से अधिक अमेरिकी सैनिक और 70 हजार जापानी सैनिक मारे गए.

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वहीं ओकिनावा की एक तिहाई आबादी यानी लगभग एक लाख पचास हजार लोगों की जान चली गई.

  • 6 जून, 1945 : ट्रूमैन ने जापान को तबाही की धमकी दी.
  • 6 अगस्त, 1945 : अमेरिका ने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया.
  • 8 अगस्त, 1945 : जापान से सोवियत संघ ने युद्ध की घोषणा की.
  • 9 अगस्त, 1945 : अमेरिका ने नागासाकी पर परमाणु बम गिराया.
  • 15 अगस्त, 1945 : हिरोहितो ने जापान के आत्मसमर्पण की घोषणा करते हुए एक रेडियो प्रसारण किया.
  • 2 सितंबर, 1945 : जापान ने औपचारिक समर्पण किया.
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    फाइल फोटो

मई 1946 से नवंबर 1948 तक जापान टोक्यो युद्ध अपराध परीक्षण जारी रहा. वहीं टोक्यो में अंतरराष्ट्रीय सैन्य न्यायाधिकरण ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध करने वाले 28 जापानी सैनिकों और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मामले की सुनवाई शुरू की.

चार नवंबर, 1948 को 28 में से 25 जापानी प्रतिवादियों को दोषी पाए जाने के बाद मुकदमा खत्म हुआ. तीन अन्य प्रतिवादियों में से दो की लंबी सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई. वहीं एक को पागल घोषित कर दिया गया.

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फाइल फोटो

12 नवंबर 1948 को युद्ध अपराधों के ट्रिब्यूनल ने जनरल हिदेकी तोजो (Hideki Tojo) सहित सात लोगों को मौत की सजा सुनाई, जो युद्ध के दौरान जापानी प्रमुख के रूप में सेवा करते थे.

इन सात लोगों में नानकिंग का बलात्कार करने वाला इवेन मटुई भी शामिल था. 16 अन्य लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और दो को कम समय के लिए जेल भेजा गया. 23 दिसंबर, 1948 को टोक्यो में तोजो और छह अन्य को मार दिया गया.

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फाइल फोटो

नाजी युद्ध अपराधियों के नूर्नबर्ग परीक्षण के विपरीत यहां चार मुख्य अभियोजक थे, जिन्होंने ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूएसएसआर का प्रतिनिधित्व किया. टोक्यो परीक्षण में केवल एक मुख्य अभियोजक अमेरिकी अटॉर्नी जनरल के पूर्व सहायक जोसेफ बी कीनन थे.

हालांकि, अन्य देशों जैसे चीन ने कार्यवाही में योगदान दिया और ऑस्ट्रेलियाई न्यायाधीश विलियम फ्लड वेब (William Flood Webb) ने अध्यक्षता की.

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फाइल फोटो

केंद्रीय टोक्यो परीक्षण के अलावा जापान के बाहर बैठे विभिन्न न्यायाधिकरणों ने युद्ध अपराधों के कुछ पांच हजार जापानी दोषियों का फैसला किया, जिनमें से 900 से अधिक को मार दिया गया.

हैदराबाद : जापान ने सितंबर 1940 में नाजी जर्मनी और फासीवादी इटली के साथ एक त्रिपक्षीय संधि पर हस्ताक्षर किए. इसके तहत वह एक दूसरे की सहायता करने के लिए सहमत हुए.

जापान ने उसी महीने फ्रांसीसी इंडो-चाइना पर कब्जा करने के लिए सेना भेजी और अमेरिका ने आर्थिक प्रतिबंधों का जवाब दिया, जिसमें तेल और इस्पात पर प्रतिबंध शामिल था.

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वर्ष 1940 में जापान ने चीनी राष्ट्रवादियों के लिए आपूर्ति को अवरुद्ध करने के प्रयास में उत्तरी इंडो-चीन पर कब्जा कर लिया और जुलाई 1941 में इसने फ्रांस के शहर विची की पूरी कॉलोनी पर कब्जा किया. इससे दक्षिण-पूर्व एशिया में आगे बढ़ने का रास्ता खुल गया.

सात दिसंबर, 1941 को जापानी विमानों ने होनोलुलु के पास पर्ल हार्बर में अमेरिकी नौसैनिक अड्डे पर बमबारी कर दी. इस हमले में 18 जहाजों को नष्ट कर दिया गया, साथ ही करीब 2,500 लोग मारे गए.

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इसके एक दिन बाद अमेरिका ने युद्ध की घोषणा की. यद्ध के पहले वर्षों में जापान को बड़ी सफलता मिली. फिलीपींस में जनवरी 1942 में जापानी सैनिकों ने मनीला पर कब्जा कर लिया. मई में कोरिगिडोर (Corregidor) और फरवरी 1942 में सिंगापुर और डच ईस्ट इंडीज और रंगून (बर्मा) पर कब्जा कर लिया.

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जून 1942 में मिडवे की लड़ाई में जापानी बेड़े के चार विमान वाहक और कई अनुभवी पायलट शामिल थे. सोलोमन में गुआडलकैनल द्वीप (Guadalcanal Island) के लिए लड़ाई फरवरी 1943 में जापानी वापसी के साथ समाप्त हुई.

साल 1944 के मध्य तक जापान के सैन्य नेताओं ने स्वीकार किया कि जीत की संभावना नहीं थी, फिर भी देश ने तब तक लड़ना बंद नहीं किया, जब तक कि हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए नहीं गए.

19 फरवरी, 1945 से 26 मार्च, 1945 : इवो जिमा (Iwo Jima) की लड़ाई

अमेरिकी सेना ने इवो जिमा (Iwo Jima) द्वीप के नियंत्रण के लिए जापानी सैनिकों से लड़ाई की. 36 दिनों तक चली इस लड़ाई में लगभग सात हजार अमेरिकी मरीन और 20 हजार से अधिक जापानी सैनिकों की जान चली गई. इस द्वीप को बाद में अमेरिकी बी-29 बमवर्षकों के लिए एक आपातकालीन लैंडिंग साइट के रूप में इस्तेमाल किया गया.

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10 मार्च, 1945 : ग्रेट टोक्यो एयर रेड शुरू

संयुक्त राज्य अमेरिका ने दो दिनों में टोक्यो पर दो हजार टन से अधिक विस्फोटकों को गिराते हुए एक व्यापक हवाई अभियान शुरू किया. बमबारी ने टोक्यो को बर्बाद कर दिया. लगभग 16 वर्ग मील को नष्ट कर दिया. अनुमानित 80 हजार से एक लाख नागरिक मारे गए.

1 अप्रैल, 1945 से 22 जून, 1945 : ओकिनावा की लड़ाई

अमेरिकी सैनिकों ने ओकिनावा पर जापानी सेना से लड़ाई की. यह द्वीप प्रशांत क्षेत्र में मित्र देशों के युद्धकालीन प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाला हवाई अड्डों के लिए एक संभावित मंच था. यह इवो जिमा (Iwo Jima) की लड़ाई से भी ज्यादा खतरनाक था, जिसमें 14 हजार से अधिक अमेरिकी सैनिक और 70 हजार जापानी सैनिक मारे गए.

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वहीं ओकिनावा की एक तिहाई आबादी यानी लगभग एक लाख पचास हजार लोगों की जान चली गई.

  • 6 जून, 1945 : ट्रूमैन ने जापान को तबाही की धमकी दी.
  • 6 अगस्त, 1945 : अमेरिका ने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया.
  • 8 अगस्त, 1945 : जापान से सोवियत संघ ने युद्ध की घोषणा की.
  • 9 अगस्त, 1945 : अमेरिका ने नागासाकी पर परमाणु बम गिराया.
  • 15 अगस्त, 1945 : हिरोहितो ने जापान के आत्मसमर्पण की घोषणा करते हुए एक रेडियो प्रसारण किया.
  • 2 सितंबर, 1945 : जापान ने औपचारिक समर्पण किया.
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मई 1946 से नवंबर 1948 तक जापान टोक्यो युद्ध अपराध परीक्षण जारी रहा. वहीं टोक्यो में अंतरराष्ट्रीय सैन्य न्यायाधिकरण ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध करने वाले 28 जापानी सैनिकों और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मामले की सुनवाई शुरू की.

चार नवंबर, 1948 को 28 में से 25 जापानी प्रतिवादियों को दोषी पाए जाने के बाद मुकदमा खत्म हुआ. तीन अन्य प्रतिवादियों में से दो की लंबी सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई. वहीं एक को पागल घोषित कर दिया गया.

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फाइल फोटो

12 नवंबर 1948 को युद्ध अपराधों के ट्रिब्यूनल ने जनरल हिदेकी तोजो (Hideki Tojo) सहित सात लोगों को मौत की सजा सुनाई, जो युद्ध के दौरान जापानी प्रमुख के रूप में सेवा करते थे.

इन सात लोगों में नानकिंग का बलात्कार करने वाला इवेन मटुई भी शामिल था. 16 अन्य लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और दो को कम समय के लिए जेल भेजा गया. 23 दिसंबर, 1948 को टोक्यो में तोजो और छह अन्य को मार दिया गया.

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नाजी युद्ध अपराधियों के नूर्नबर्ग परीक्षण के विपरीत यहां चार मुख्य अभियोजक थे, जिन्होंने ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूएसएसआर का प्रतिनिधित्व किया. टोक्यो परीक्षण में केवल एक मुख्य अभियोजक अमेरिकी अटॉर्नी जनरल के पूर्व सहायक जोसेफ बी कीनन थे.

हालांकि, अन्य देशों जैसे चीन ने कार्यवाही में योगदान दिया और ऑस्ट्रेलियाई न्यायाधीश विलियम फ्लड वेब (William Flood Webb) ने अध्यक्षता की.

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केंद्रीय टोक्यो परीक्षण के अलावा जापान के बाहर बैठे विभिन्न न्यायाधिकरणों ने युद्ध अपराधों के कुछ पांच हजार जापानी दोषियों का फैसला किया, जिनमें से 900 से अधिक को मार दिया गया.

Last Updated : Sep 2, 2020, 1:39 PM IST
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