नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोक सभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि भारत में रोहिंग्याओं को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि रोहिंग्या बांग्लादेश से आए थे. मै एक बार फिर दोहराता हूं कि रोहिंग्याओं को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा.
गृह मंत्री ने नेहरू लियाकत समझौते का हवाला देते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान ने समझौता किया था कि वह एक दूसरे के अल्पसंख्यकों का ख्याल रखेंगे. लेकिन पाकिस्तान समझौते का पालन करने में विफल रहा है.
शाह ने पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की घटती जनसंख्या पर जोर देते हुए कहा कि 1947 में पाकिस्तान में 23 प्रतिशत अल्पसंख्यक थे और 2011 में यह घटकर 3.7 प्रतिशत हो गई थी. वहीं 1947 में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की जनसंख्या 22 प्रतिशत थी जो 2011 में घटकर 7.8 हो गई.
शाह ने सवाल पूछा कि 'वह कहां चले गए'. गृह मंत्री ने कहा कि 1951 में भारत में 9.8 प्रतिशत मुस्लिम थे, उनकी जनसंख्या आज बढ़कर 14.23 प्रतिशत हो गई है.
शाह ने आगे कहा, एक घुसपैठिए और शरणार्थी में फर्क है. जो लोग अपने धर्म को बचाने के लिए, परिवार कि महिलाओं का सम्मान बचाने के लिए और उत्पीड़न से बचने के लिए आते हैं वह शरणार्थी हैं. जो लोग गैरकानूनी तरीके से यहां आते हैं वह घुसपैठिए हैं.
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शाह ने तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी की को जवाब देते हुए कहा कि अभिषेक बनर्जी ने कहा कि NRC और CAB एक जाल है. यह उनको जाल लग रहा है जो लोग वोट बैंक की राजनीति के लिए धुसपैठिओं को संरक्षण देते हैं. लेकिन हम यह होने नहीं देंगे.
उन्होंने आश्वासन दिया कि जब तक देश के प्रधानमंत्री पद पर नरेंद्र मोदी हैं तब तक किसी भी धर्म के व्यक्ति को डरने की जरूरत नहीं है.