मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तस्वीर पूरी तरह साफ हो गई है. इस चुनाव में बीजेपी, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस के बीच मुकाबला था. भाजपा के नेतृत्व वाले महागठबंधन की बड़ी सफलता के बाद महाविकास अघाड़ी को करारी हार का सामना करना पड़ा है.
विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले महाविकास अघाड़ी के तीनों दलों ने मुख्यमंत्री पद का सपना संजोया था. हालांकि, नतीजों के बाद महाविकास आघाड़ी को विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद भी नहीं मिल पाया है. गौरतलब है कि राज्य के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है.
महाविकास अघाड़ी के घटक दलों में से कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में से कोई भी 20 से अधिक सीटें नहीं जीत पाई है. विधानसभा या लोकसभा में विपक्ष के नेता के पद के लिए भी एक नियम है और इसके लिए लोकसभा या विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या के अनुपात में एक निश्चित संख्या में सीटों की आवश्यकता होती है.
इसलिए लोकसभा और विधानसभा के नियमों के अनुसार किसी पार्टी को विपक्ष के नेता का पद तभी मिलता है जब उसके पास राज्य की विधानसभा में कुल सीटों का 10 प्रतिशत हिस्सा हो. फिलहाल महाविकास अघाड़ी में किसी भी घटक दल ने न्यूनतम दस प्रतिशत सीट की सीमा पार नहीं की है, इसलिए विपक्ष के नेता पद का रास्ता भी बंद हो गया है.
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं, इसलिए विपक्ष के नेता पद के लिए किसी भी पार्टी के पास कम से कम 29 विधायक होने चाहिए. हालांकि, महाविकास अघाड़ी में किसी भी पार्टी के 29 विधायक नहीं जीते हैं. कांग्रेस से लेकर शिवसेना (यूबीटी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (सपा) तक कोई भी पार्टी 20 से अधिक सीट नहीं जीत पाई है.
महा विकास अघाड़ी की तीन बड़ी पार्टियों और अन्य छोटी घटक पार्टियों को मिलाकर 49 सीटें मिली हैं, लेकिन किसी भी पार्टी को 29 सीटें नहीं मिली हैं. इसलिए महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता का पद महा विकास अघाड़ी को नहीं मिलेगा.
चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार विधानसभा में संख्या बल इस प्रकार है: भाजपा- 132 शिवसेना- 57 एनसीपी- 41 कुल 230 शिवसेना (उद्धव ठाकरे)- 20 एनसीपी- 10 कुल- कांग्रेस को 16 सीट मिली है.