नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा शहर में इन दिनों स्मॉग की समस्या गंभीर रूप धारण कर चुकी है, जहां धूल और प्रदूषण के कारण आसमान में धुंधलापन छा गया है. इससे न केवल विजिबिलिटी में कमी आई है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है. सांस लेने में दिक्कत और खांसी जैसी समस्याएं आम हो गई हैं. इस alarming स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने अपने कड़े कदम उठाए हैं, और सोमवार को 12वीं तक के सभी स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है.
प्रदूषण की स्थिति और उपाय: वर्तमान में, नोएडा का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 322 एसपीएम दर्ज किया गया है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक माना जाता है. इस बढ़ते प्रदूषण से निपटने हेतु जिला प्रशासन और प्रदूषण विभाग ने जल का छिड़काव और धूल हटाने के कार्यों में तेजी लाई है. प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों पर भी कार्रवाई की जा रही है, जिसके परिणामस्वरूप कुछ राहत मिलने की उम्मीद है.
डॉक्टरों की सलाह: इस स्थिति में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को बार-बार बाहर निकलने से बचना चाहिए. कैलाश अस्पताल के सीनियर फिजिशियन डॉक्टर सुधीर गुप्ता ने कहा कि मौजूदा प्रदूषण स्तर स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है. उन्होंने सलाह दी है कि जब आवश्यक हो तभी बाहर निकलें और मास्क का उपयोग अवश्य करें.
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विशेष ध्यान की जरूरत: बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष ध्यान दिया जाना आवश्यक है. डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि बच्चों के लिए आउटडोर गेम्स को टालना बेहतर रहेगा. वहीं, बुजुर्गों को सलाह दी गई है कि वे सुबह और शाम टहलने के लिए बाहर न जाएं, खासकर जब प्रदूषण का स्तर अत्यधिक हो.
स्वास्थ्य पर पड़ने वाला प्रभाव: इस प्रदूषण के कारण लोगों में स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं. खांसी, एलर्जी और अन्य श्वसन समस्याएं आम हो गई हैं. डॉक्टरों का कहना है कि बाहर निकलते समय मास्क पहनना अनिवार्य है, और भविष्य में मौसम के मिजाज का ध्यान रखते हुए सजग रहने की आवश्यकता है.
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