पटना : बिहार की राजनीति में शायद ही कोई ऐसा विधानसभा हो जहां की सियासत बगैर दबंगों के चलती हो. राजनीतिक दलों की मजबूरी है अगर उन्हें सीट जीतनी है, तो दबंगों के दरवाजे तक दौड़ लगानी ही होगी. बात राजधानी के दानापुर विधानसभा की करें तो राष्ट्रीय जनता दल ने यहां से रीतलाल यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है. इनके नाम का सिक्का पूरे दानापुर में चलता है. अंडरवर्ल्ड में रीतलाल यादव को मुखिया के नाम से जाना जाता है. 1990 के दशक से ही रीतलाल यादव की दानापुर के इलाके में तूती बोलती है. रीतलाल यादव की मर्जी के बगैर क्षेत्र के न तो कच्चे काम होते और न ही पक्के सड़कों के. गंगा बालू से लेकर सोन बालू तक रीतलाल यादव की मर्जी चलती थी.
दानापुर रेल डिवीजन में बोलती थी तूती
रीतलाल यादव 90 के दशक से ही जरायम की दुनिया का एक बड़ा नाम था. ऐसे कई मित्र भी उसके थे जिससे उसकी पटती भी खूब थी. रीतलाल यादव दानापुर रेल मंडल के ठेकों के लिए अपनी सरकार चलाता था और बगैर रीतलाल यादव की मर्जी के रेलवे का एक भी ठेका किसी को नहीं दिया जाता था. रीतलाल यादव का पूरे दानापुर डिवीजन में इतना खौफ था कि रेलवे का टेंडर भरने के लिए जो लोग आते थे वह पहले सिर्फ रीतलाल यादव से अनुमति लेते थे, उसके बाद टेंडर का फॉर्म खरीदा जाता था.
उस समय के कुछ पुलिस पदाधिकारी रीत लाल यादव के कई मामलों के आईओ रहे हैं, वे कहते हैं कि रेलवे के टेंडर में रीतलाल यादव सीधे तौर पर तो नहीं थे लेकिन इसमें जिसे भी टेंडर मिलता था वह कुल टेंडर की राशि का 10 फीसदी रीतलाल यादव को दे देता था. यही उसके टेंडर के काम पूरा होने का सिक्योरिटी मनी होता था और उसे रीतलाल यादव की पूरी सुरक्षा भी रहती है. रेलवे टेंडर को लेकर जो लोग रीतलाल की बात नहीं मानते थे उन्हें काम तो नहीं मिलता था. अगर काम मिल भी जाता था तो उनकी जान नहीं बचती. मोकामा के ठेकेदारों को ट्रेन में गोलियों से भून दिया गया था.
वर्तमान विधायक के पति की हत्या का आरोप
दानापुर की वर्तमान विधायक आशा सिन्हा के पति की हत्या का आरोप रीतलाल यादव पर ही है. सत्यनारायण सिंह दानापुर के दबंग माने जाते थे जो उस समय भाजपा के नेता भी थे. 30 अप्रैल 2003 को राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की तेल पियावन लाठी घुमाने रैली चल रही थी. इसमें खगोल के जमालुद्दीन चक के पास रीतलाल से बकझक हुई और दिनदहाड़े ही भाजपा नेता सत्यनारायण सिन्हा को गोलियों से भून डाला गया. इस मामले को लेकर काफी हंगामा भी हुआ था. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी ने गांधी मैदान की रैली में सत्यनारायण सिन्हा की पत्नी आशा सिन्हा को भाजपा की सदस्यता दी और वर्तमान में दानापुर सीट से भाजपा के विधायक हैं.
राजद में महासचिव रहे हैं रीतलाल यादव
रीतलाल यादव हमेशा से लालू के करीबियों में माने जाते रहे हैं. राजद सुप्रीमो लालू यादव ने रीतलाल यादव को पार्टी में महासचिव का पद दिया था. हालांकि बाद में बदले राजनीतिक हालात ने बहुत कुछ बदल दिया. लालू यादव के परिवार पर सीबीआई जांच और आरोपों के कारण बहुत लोगों से बचना शुरू किए थे. जिसमें रीतलाल यादव से भी लालू यादव ने किनारा कर लिया था.
2010 का विधानसभा चुनाव
2010 में रीतलाल यादव दानापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ गए. 2010 के चुनाव में रीतलाल यादव का बड़ा राजनीतिक जनाधार नहीं था, फिर भी रीतलाल यादव ने चुनाव में दूसरा स्थान प्राप्त किया था. जीते हुए प्रत्याशी के तौर पर आशा सिन्हा को और दूसरे नंबर पर रीतलाल यादव को वोट मिला था. हालांकि चुनाव में विवाद भी काफी हुआ था. दानापुर थाने के सामने दहशत पैदा करने के उद्देश्य से कई बम फेंके गए और नाम रीतलाल यादव का लगाया गया. हालांकि बाद में जांच के क्रम में यह साफ नहीं हो पाया बम फेंकने के काम के लिए रीतलाल यादव ने किसी को कहा था. इस घटना के बाद लालू यादव काफी नाराज हुए थे और उन्होंने रीतलाल से बात करना बंद कर दिया था.
2014 में लालू यादव ने मांगी मदद, रितलाल के पिता को लगाया गले
2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा नरेंद्र मोदी के नाम के रथ पर सवार होकर नमो नाम का जाप कर रही थी. ऐसे में दानापुर लोकसभा सीट से किस्मत आजमाने उतरी लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती के लिए लालू यादव रीतलाल यादव के घर अथवा पहुंचे लालू यादव नरेश लाल यादव के पिता को गले लगाया. घंटों रीतलाल यादव के घर रहे और परिवारों के बीच हुई दूरी के लिए खेद भी व्यक्त किए.
बेटी मीसा भारती को जिताने के लिए लालू यादव ने रीतलाल यादव के पिता से हाथ जोड़कर अनुरोध भी किया और कहा की 'बेटी आपकी जिताना जिम्मेदारी आपकी.' हालांकि 2014 के चुनाव में मीसा भारती हार गई और वहां से कभी लालू के बहुत करीबी रहे रामकृपाल यादव भाजपा के टिकट पर जीत गए. मीसा की हार पर स्थानीय लोगों का कहना था कि बीजेपी ने बड़ी राजनैतिक चाल चली. जिसमें राजद की लड़ाई राजद से ही करवा दी आखिर रामकृपाल यादव तो राजद के ही थे.
2015 के चुनाव में लालू यादव के घर के सामने धरने पर बैठा परिवार
2015 के विधानसभा चुनाव में रीतलाल यादव राजद से टिकट चाहते थे लेकिन लालू यादव ने टिकट नहीं दिया. इसके लिए रीतलाल यादव के पिता, रीतलाल की पत्नी, उनके भाई लालू यादव के आवास के सामने पूरी रात बैठे रहे. अंत में पुलिस को हस्तक्षेप करके वहां से हटाना पड़ा. रीतलाल यादव 2015 में जेल में थे और उसने वही से कह दिया था कि मैं राजद के अलावा कहीं से चुनाव नहीं लड़ूंगा. लालू यादव मेरे पिता हैं और मैं किसी भी हालत में उन्हें नहीं छोडूंगा.
दर्ज हैं दर्जनों मुकदमे, ईडी ने जब्त की कई संपत्ति
रीतलाल यादव पर पटना के कई थानों में दर्जनों मामले दर्ज हैं. किसी एक रिपोर्ट के आधार पर यह कहना कि रीतलाल यादव पर कितने मामले दर्ज हैं संभव नहीं है. हाल के दिनों में रीतलाल यादव पर मनी लॉड्रिंग का भी मामला दर्ज किया गया, जिसको लेकर जांच जारी है. रीतलाल यादव ने अपने पैसे का निवेश जमीनों में किया जिसका कोई लेखा-जोखा रीतलाल यादव और उनके परिवार के पास नहीं था.
2017 से 2019 के बीच में ईडी की जांच में कई खुलासे हुए. ईडी ने रीतलाल की दानापुर और बिहटा की कई संपत्तियों को जब्त किया है. रीतलाल यादव ने जरायम की दुनिया से काला धन कमाया है. जिसकी बानगी ईडी द्वारा जब्त की गई करोड़ों की संपत्ति है. जिसकी कोई जानकारी रीतलाल यादव का परिवार नहीं दे सका. हालांकि रीतलाल यादव जेल में रहते दानापुर से ही विधान पार्षद का चुनाव लड़ा था और उसमें उसे जीत भी हासिल हुई थी. वर्तमान में रीतलाल यादव बिहार विधान परिषद का सदस्य है.