ETV Bharat / bharat

आरटीआई : जानें 15 साल में कितने आए आवेदन और कितने हुए खारिज

सूचना के अधिकार को संविधान की धारा 19(1) के तहत एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है. साल 2005 से अबतक देश में कितने आवेदन आरटीआई प्राप्त करने के लिए आए हैं और कितने खारिज हुए है. इसके आंकड़ों पर एक नजर...

आरटीआई
आरटीआई
author img

By

Published : Oct 12, 2020, 8:01 AM IST

हैदराबाद : भारत के हर नागरिक को सूचना प्राप्त करने का अधिकार है. सूचना का अधिकार को संविधान की धारा 19 (1) के तहत एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है. सूचना के अधिकार अधिनियम- 2005 के अंतर्गत लोग किसी भी लोक प्राधिकारी से सूचना प्राप्त कर सकते हैं. आइए जानते हैं सूचना के अधिकार के अंतर्गत 2005 से अबतक कितने आरटीआई आवेदन प्राप्त और खारिज किये गए हैं. आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष 2017-18 की तुलना में समीक्षाधीन वर्ष के दौरान आरटीआई आवेदनों में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

2016-17 की तुलना में 2017-18 में 34.67 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. 2014-15 की तुलना में 2015-16 में 5.48 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. 2014-15 में 9.46 प्रतिशत की कमी थी, जबकि 2013-14 में पिछले वर्षों की तुलना में 2.18 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी. इस प्रकार पिछले पांच वर्षों के दौरान आरटीआई आवेदनों की प्राप्ति में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है.

प्राप्त और खारिज आवेदनों का विवरण.
प्राप्त और खारिज आवेदनों का विवरण.

केंद्रीय सूचना आयोग ने आरटीआई अधिनियम 2005 की धारा 20 (एक) के तहत 30,41,000 रुपये का जुर्माना लगाया. 2017-18 में रिकॉर्ड 12.3 लाख आरटीआई आवेदन दर्ज किए गए थे, जिनमें से 96 प्रतिशत सरकारी कार्यालयों द्वारा जवाब दिए गए थे, जो कानून के लागू होने के बाद से यह सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला साल रहा था.

आरटीआई आवेदनों का निपटान.
आरटीआई आवेदनों का निपटान.

2017-18 के दौरान, 12.33 लाख आरटीआई आवेदन पंजीकृत केंद्रीय लोक प्राधिकरण (पीए) द्वारा प्राप्त किए गए थे. तो वहीं 2016-17 के दौरान रिपोर्ट की तुलना में यह 3,17458 या 26 प्रतिशत अधिक है.

तीन सालों में प्रचार सामग्री पर खर्च.
तीन सालों में प्रचार सामग्री पर खर्च.

केंद्र ने 2017-18 के दौरान संसाधित हुए आरटीआई आवेदनों में से चार प्रतिशत (63,206) को अस्वीकार कर दिया, जो 2016-17 में रिपोर्ट किए गए 6.59 प्रतिशत से घटकर 2.59 प्रतिशत हो गया.

सरकार द्वारा एक पारदर्शिता ऑडिट 2092 केंद्रीय लोक प्राधिकरण के बीच इस तरह के खुलासे का खराब स्तर पाया गया. वास्तव में लगभग 60 प्रतिशत पीए ने ऑडिट का जवाब नहीं दिया.

इसमें कम क्षमता पर काम करने वाले आयोगों का भी उल्लेख किया गया है. इसमें महाराष्ट्र (छह) सूचना आयुक्त के रिक्त पद 2019 की शुरुआत से कर्नाटक (2018 में पांच आईसी रिक्तियां), उत्तर प्रदेश (केवल एक महीने के बाद सेवानिवृत्त कई सूचना आयुक्त (आईसी)), केरल (मई 2018 से पांच आईसी रिक्तियां), तेलंगाना (आठ आईसी रिक्तियां), ओडिशा (सात आईसी रिक्तियों), पश्चिम बंगाल (सात आईसी रिक्तियों) शामिल हैं.

केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर सूचना आयुक्त के 155 पदों में से केवल 24 खाली हैं, जबकि 2018 में 156 पदों में से 48 रिक्त थे.

2019 में जारी स्टेट ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट के अनुसार, अब तक बताए गए आरटीआई आवेदनों की कुल संख्या 3.02 करोड़ है. पिछले साल की रिपोर्ट में यही संख्या 2.43 करोड़ थी.

3.02 करोड़ से अधिक आरटीआई आवेदन, जो कि केवल 2.25 प्रतिशत (नागरिकों के लिए है) दायर किए गए थे, सीआईसी को 78.93 लाख आवेदन मिले हैं.

शीर्ष पांच विभाग और आरटीआई आवेदन प्राप्त करने वाले राज्यों में केंद्रीय सूचना आयोग (78.93 लाख), महाराष्ट्र (61.80 लाख), तमिलनाडु (26.91 लाख), कर्नाटक (22.78 लाख) और केरल (21.92 लाख) हैं.

जुर्माना लगाए जाने पर रिपोर्ट में कहा गया कि 15 से 578 मामलों में राज्य सूचना आयोगों (केंद्रीय सूचना आयोग को छोड़कर) द्वारा 2005-06 से 2018-19 के दौरान जुर्माना लगाया गया था. पिछले तीन वर्षों में लगाया गया उच्चतम दंड उत्तराखंड राज्य सूचना आयोग द्वारा 81 लाख रुपये और राजस्थान राज्य सूचना द्वारा 49 लाख रुपये था.

हैदराबाद : भारत के हर नागरिक को सूचना प्राप्त करने का अधिकार है. सूचना का अधिकार को संविधान की धारा 19 (1) के तहत एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है. सूचना के अधिकार अधिनियम- 2005 के अंतर्गत लोग किसी भी लोक प्राधिकारी से सूचना प्राप्त कर सकते हैं. आइए जानते हैं सूचना के अधिकार के अंतर्गत 2005 से अबतक कितने आरटीआई आवेदन प्राप्त और खारिज किये गए हैं. आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष 2017-18 की तुलना में समीक्षाधीन वर्ष के दौरान आरटीआई आवेदनों में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

2016-17 की तुलना में 2017-18 में 34.67 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. 2014-15 की तुलना में 2015-16 में 5.48 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. 2014-15 में 9.46 प्रतिशत की कमी थी, जबकि 2013-14 में पिछले वर्षों की तुलना में 2.18 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी. इस प्रकार पिछले पांच वर्षों के दौरान आरटीआई आवेदनों की प्राप्ति में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है.

प्राप्त और खारिज आवेदनों का विवरण.
प्राप्त और खारिज आवेदनों का विवरण.

केंद्रीय सूचना आयोग ने आरटीआई अधिनियम 2005 की धारा 20 (एक) के तहत 30,41,000 रुपये का जुर्माना लगाया. 2017-18 में रिकॉर्ड 12.3 लाख आरटीआई आवेदन दर्ज किए गए थे, जिनमें से 96 प्रतिशत सरकारी कार्यालयों द्वारा जवाब दिए गए थे, जो कानून के लागू होने के बाद से यह सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला साल रहा था.

आरटीआई आवेदनों का निपटान.
आरटीआई आवेदनों का निपटान.

2017-18 के दौरान, 12.33 लाख आरटीआई आवेदन पंजीकृत केंद्रीय लोक प्राधिकरण (पीए) द्वारा प्राप्त किए गए थे. तो वहीं 2016-17 के दौरान रिपोर्ट की तुलना में यह 3,17458 या 26 प्रतिशत अधिक है.

तीन सालों में प्रचार सामग्री पर खर्च.
तीन सालों में प्रचार सामग्री पर खर्च.

केंद्र ने 2017-18 के दौरान संसाधित हुए आरटीआई आवेदनों में से चार प्रतिशत (63,206) को अस्वीकार कर दिया, जो 2016-17 में रिपोर्ट किए गए 6.59 प्रतिशत से घटकर 2.59 प्रतिशत हो गया.

सरकार द्वारा एक पारदर्शिता ऑडिट 2092 केंद्रीय लोक प्राधिकरण के बीच इस तरह के खुलासे का खराब स्तर पाया गया. वास्तव में लगभग 60 प्रतिशत पीए ने ऑडिट का जवाब नहीं दिया.

इसमें कम क्षमता पर काम करने वाले आयोगों का भी उल्लेख किया गया है. इसमें महाराष्ट्र (छह) सूचना आयुक्त के रिक्त पद 2019 की शुरुआत से कर्नाटक (2018 में पांच आईसी रिक्तियां), उत्तर प्रदेश (केवल एक महीने के बाद सेवानिवृत्त कई सूचना आयुक्त (आईसी)), केरल (मई 2018 से पांच आईसी रिक्तियां), तेलंगाना (आठ आईसी रिक्तियां), ओडिशा (सात आईसी रिक्तियों), पश्चिम बंगाल (सात आईसी रिक्तियों) शामिल हैं.

केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर सूचना आयुक्त के 155 पदों में से केवल 24 खाली हैं, जबकि 2018 में 156 पदों में से 48 रिक्त थे.

2019 में जारी स्टेट ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट के अनुसार, अब तक बताए गए आरटीआई आवेदनों की कुल संख्या 3.02 करोड़ है. पिछले साल की रिपोर्ट में यही संख्या 2.43 करोड़ थी.

3.02 करोड़ से अधिक आरटीआई आवेदन, जो कि केवल 2.25 प्रतिशत (नागरिकों के लिए है) दायर किए गए थे, सीआईसी को 78.93 लाख आवेदन मिले हैं.

शीर्ष पांच विभाग और आरटीआई आवेदन प्राप्त करने वाले राज्यों में केंद्रीय सूचना आयोग (78.93 लाख), महाराष्ट्र (61.80 लाख), तमिलनाडु (26.91 लाख), कर्नाटक (22.78 लाख) और केरल (21.92 लाख) हैं.

जुर्माना लगाए जाने पर रिपोर्ट में कहा गया कि 15 से 578 मामलों में राज्य सूचना आयोगों (केंद्रीय सूचना आयोग को छोड़कर) द्वारा 2005-06 से 2018-19 के दौरान जुर्माना लगाया गया था. पिछले तीन वर्षों में लगाया गया उच्चतम दंड उत्तराखंड राज्य सूचना आयोग द्वारा 81 लाख रुपये और राजस्थान राज्य सूचना द्वारा 49 लाख रुपये था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.