नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस पार्टी में घमासान मचा हुआ है. वरिष्ठ नेता पीसी चाको ने दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम में पार्टी की दुर्दशा पर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का पतन 2013 में शुरू हो गया था, जब शीला जी सीएम थीं. एक नई पार्टी- आम आदमी पार्टी (AAP) के उदय ने कांग्रेस के पूरे वोट बैंक को छीन लिया.
दिल्ली चुनाव में कांग्रेस पार्टी की करारी हार पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा है कि कांग्रेस के पास प्रोजेक्ट करने के लिए कोई नेता नहीं है. उन्होंने कहा कि ये कांग्रेस पार्टी का आंतरिक मामला है और पार्टी इसे जल्द से जल्द सुलझाएगी.
सिब्बल ने कहा, 'इस तरह की ध्रुवीकरण की राजनीति और समाज को विभाजित करने को लेकर भाजपा के मंत्रियों द्वारा खेले जाने वाले कार्ड दिल्ली और भारत के लोगों के साथ अच्छे नहीं हैं.' उन्होंने कहा कि आप झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के चुनाव परिणाम भी कुछ ऐसा ही दिखाते हैं.
पीसी चाको ने कहा कि हम कांग्रेस के वोट बैंक को कभी वापस नहीं पा सके. यह अभी भी AAP के साथ बना हुआ है. उन्होंने बीजेपी और आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार को लेकर कहा कि उनके पास नेतृत्व है. कांग्रेस को लीड करने के सवाल पर चाको ने कहा कि हमारे पास कोई नेता नहीं था.
गौरतलब है कि दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व में दिल्ली में 15 साल तक शासन करने वाली कांग्रेस लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव में एक भी सीट जीतने में कामयाब न हो सकी है. पार्टी को पांच फीसदी से भी कम वोट मिले हैं. इसके बाद कांग्रेस के 63 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई और पार्टी के तीन उम्मीदवार ही अपनी जमानत बचा पाए हैं.
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अरविंद केजरीवाल की जीत पर प्रसन्नता जाहिर की है. इस पर शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि क्यों नहीं कांग्रेस को अपनी दुकान बंद कर लेनी चाहिए.
कांग्रेस प्रचार समिति के अध्यक्ष कीर्ति आज़ाद की पत्नी पूनम आजाद भी संगम विहार सीट पर अपनी जमानत नहीं बचा पाईं. उन्हें केवल 2,604 वोट यानी मात्र 2.23 फीसदी वोट ही मिले.
बल्लीमारान विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार एवं पूर्व मंत्री हारून युसूफ महज 4.73 फीसदी होट ही हासिल कर सके.
पिछले साल कांग्रेस में शामिल हुई निवर्तमान विधायक अलका लांबा को भी सिर्फ 5.03 फीसदी वोट ही मिल सके.
वहीं, इस चुनाव के सबसे युवा उम्मीदवार एवं डुसू के पूर्व अध्यक्ष रॉकी तुसीद को महज 3.8 फीसदी वोट मिले.
आपको को बता दें कि 15 सालों तक लगातार सत्ता में रहने वाली पार्टी का वोट प्रतिशत गिरकर पांच से भी कम रह गया है. एक समय था, जब शीला दीक्षित के नेतृत्व में पार्टी को 40 फीसदी से भी अधिक वोट मिलते थे.
2013 विधानसभा चुनाव
कांग्रेस को 24.55 फीसदी वोट हासिल हुआ. विधानसभा में पार्टी को आठ सीटें मिलीं. इस चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित को हरा दिया था.
'आप' को इस चुनाव में 29.49 फीसदी वोट हासिल हुआ था. भाजपा को 33.07 फीसदी वोट मिला था और 31 सीटें मिली थीं.
2015 विधानसभा चुनाव
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का खाता नहीं खुला. लेकिन पार्टी को 9.8 फीसदी वोट मिले. भाजपा को 32.1 फीसदी वोट मिले थे.