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अयोध्या भूमि विवाद : सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई छह पुनर्विचार याचिकाएं

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Published : Dec 6, 2019, 9:17 PM IST

अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नौ नवंबर को सुनाए गए फैसले के खिलाफ कुल छह पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई हैं.

डिजाइन फोटो
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नई दिल्ली : अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नौ नवंबर को सुनाए गए फैसले के विरूद्ध कुल छह पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई हैं. शुक्रवार को कोर्ट में चार याचिकाएं दायर की गई हैं.

यह याचिकांए मौहम्मद अयूब , मौलाना मुफ्ती हसबुल्ला, मौहम्मद उमर, मौलाना फजलुर रहमान और मिसबाहुद्दीन ने दायर की हैं. इससे पहले दो दिसंबर को इस मामले के मुख्य वादियों में शामिल एम सिद्दीक और जमीयत उल उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद रशीदी ने दायर की थी.

जफरयाब गिलानी

याचिका दायर करने के बाद पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ मोहम्मद अयूब ने कहा कि हमारी पार्टी ने अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा करने के लिए एक याचिका दायर की है. उन्होंने कहा कि यह फैसला समझौते / निपटान और सबूत नहीं के आधार पर दिया गया था.

डॉ मोहम्मद अयूब

पढ़ें- अयोध्या फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे डॉ. अयूब

वहीं, दूसरी ओर जिन आधारों पर समीक्षा याचिका दायर की गई है, उनका हवाला देते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता ज़फरयाब गिलानी ने कहा, कि मूर्तियों को अवैध रूप से दिसंबर 1949 में रखा गया था और अदालत ने इसे आयोजित किया है.
उन्होंने कहा कि 'मूर्ति उस स्थान पर भी नहीं है जो उसके स्वामित्व में है क्योंकि यह मस्जिद में है.

नई दिल्ली : अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नौ नवंबर को सुनाए गए फैसले के विरूद्ध कुल छह पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई हैं. शुक्रवार को कोर्ट में चार याचिकाएं दायर की गई हैं.

यह याचिकांए मौहम्मद अयूब , मौलाना मुफ्ती हसबुल्ला, मौहम्मद उमर, मौलाना फजलुर रहमान और मिसबाहुद्दीन ने दायर की हैं. इससे पहले दो दिसंबर को इस मामले के मुख्य वादियों में शामिल एम सिद्दीक और जमीयत उल उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद रशीदी ने दायर की थी.

जफरयाब गिलानी

याचिका दायर करने के बाद पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ मोहम्मद अयूब ने कहा कि हमारी पार्टी ने अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा करने के लिए एक याचिका दायर की है. उन्होंने कहा कि यह फैसला समझौते / निपटान और सबूत नहीं के आधार पर दिया गया था.

डॉ मोहम्मद अयूब

पढ़ें- अयोध्या फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे डॉ. अयूब

वहीं, दूसरी ओर जिन आधारों पर समीक्षा याचिका दायर की गई है, उनका हवाला देते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता ज़फरयाब गिलानी ने कहा, कि मूर्तियों को अवैध रूप से दिसंबर 1949 में रखा गया था और अदालत ने इसे आयोजित किया है.
उन्होंने कहा कि 'मूर्ति उस स्थान पर भी नहीं है जो उसके स्वामित्व में है क्योंकि यह मस्जिद में है.

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