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कोरोना वायरस : जीन में आए कई परिवर्तन, वैक्सीन बनाने में मिलेगी मदद

पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है. इस महामारी को खत्म करने का सिर्फ एक रास्ता है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन बना ली जाए. इसके लिए दुनियाभर में वैज्ञानिक और फार्मा कंपनियां युद्धस्तर पर प्रयास कर रहीं हैं. वायरस पर यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन में हो रही शोध में शोधकर्ताओं ने पाया कि Sars Cov-II जीन में बहुत कम समय में कई बदलाव हो जाते हैं. यह जानकारी वायरस की वैक्सीन बनाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

research on corona virus
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Published : May 10, 2020, 6:32 PM IST

Updated : May 11, 2020, 12:46 PM IST

लंदन/हैदराबाद : एक शोध में पता चला है कि कोरोना वायरस में मौजूद Sars Cov-II जीन में बहुत कम समय में कई बदलाव हो जाते हैं. वैज्ञानिकों ने पाया है कि इस जीन में कम से कम 198 बदलाव आए हैं.

वैज्ञानिकों ने 7500 लोगों पर एक वैज्ञानिक शोध किया और यह पाया कि जीन कई रूपों में बदलते हैं. इस शोध से उनको वायरस के लिए वैक्सीन बनाने में मदद मिलेगी.

यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के शोधकर्ताओं द्वारा इस संबंध में एक शोध पत्र 'द जर्नल इंफेक्शन' में प्रकाशित किया गया था.

वैज्ञानिकों ने इस बात पर अध्ययन किया है कि वायरस मानव शरीर में कैसे रहता है, जीन के लक्षण क्या होते हैं और इसके बारे में अन्य जानकारियां जुटाई हैं. जीन मानव शरीर में पाई जाने वाली कोशिकाओं में परिवर्त के अनुसार बदलते हैं.

यह सामान्य घटना है कि जब वायरस मानव पर हमला करता है तो वायरस में कई बदलाव होते हैं. हालांकि यह साफ नहीं है कि Sars Cov-II में यह बदलाव तेजी से होते हैं या धीरे-धीरे.

यदि वायरस में बहुत तेजी से बदलाव होते हैं तो दवाएं या टीके प्रभावी रूप से काम नहीं करेंगे. इसलिए यह पता लगाया जाना अत्यंत आवश्यक है.

लंदन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर फ्रांसिस बेलोक्स ने कहा कि इस आधार पर यह जरूरी है कि वायरस में होने वाले बदलावों पर गौर से नजर रखी जाए.

पढ़ें-कोविड-19 : विश्व मौसम संगठन ने जताई चिंता, अवलोकन प्रभावित

लंदन/हैदराबाद : एक शोध में पता चला है कि कोरोना वायरस में मौजूद Sars Cov-II जीन में बहुत कम समय में कई बदलाव हो जाते हैं. वैज्ञानिकों ने पाया है कि इस जीन में कम से कम 198 बदलाव आए हैं.

वैज्ञानिकों ने 7500 लोगों पर एक वैज्ञानिक शोध किया और यह पाया कि जीन कई रूपों में बदलते हैं. इस शोध से उनको वायरस के लिए वैक्सीन बनाने में मदद मिलेगी.

यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के शोधकर्ताओं द्वारा इस संबंध में एक शोध पत्र 'द जर्नल इंफेक्शन' में प्रकाशित किया गया था.

वैज्ञानिकों ने इस बात पर अध्ययन किया है कि वायरस मानव शरीर में कैसे रहता है, जीन के लक्षण क्या होते हैं और इसके बारे में अन्य जानकारियां जुटाई हैं. जीन मानव शरीर में पाई जाने वाली कोशिकाओं में परिवर्त के अनुसार बदलते हैं.

यह सामान्य घटना है कि जब वायरस मानव पर हमला करता है तो वायरस में कई बदलाव होते हैं. हालांकि यह साफ नहीं है कि Sars Cov-II में यह बदलाव तेजी से होते हैं या धीरे-धीरे.

यदि वायरस में बहुत तेजी से बदलाव होते हैं तो दवाएं या टीके प्रभावी रूप से काम नहीं करेंगे. इसलिए यह पता लगाया जाना अत्यंत आवश्यक है.

लंदन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर फ्रांसिस बेलोक्स ने कहा कि इस आधार पर यह जरूरी है कि वायरस में होने वाले बदलावों पर गौर से नजर रखी जाए.

पढ़ें-कोविड-19 : विश्व मौसम संगठन ने जताई चिंता, अवलोकन प्रभावित

Last Updated : May 11, 2020, 12:46 PM IST
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