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विदेश में फंसे भारतीयों की मदद को पहले भी हाथ बढ़ाती रही है सरकार

भारत सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि विदेश में फंसे भारतीयों को वापस लाना उनकी प्राथमिकताओं में से एक है. चीन में फैले कोरोना वायरस के दौरान भी यह देखने को मिला, जब भारत सरकार अपने 600 से अधिक नागरिकों को वापस लाई. इसमें मालदीव के सात छात्र भी शामिल थे. पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई मौके आए हैं, जब सरकार ने विदेश में फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए बड़े कदम उठाए हैं. आइए नजर डालते हैं भारत केऐसे ही रेस्क्यू ऑपरेशन पर...

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Published : Feb 10, 2020, 10:43 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 10:12 PM IST

चीन में नोवेल कोरोना वायरस का कहर जारी है. इस वायरस ने अब तक 900 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है और 2656 नए मामलों का पता चला है. चीन में भारत समेत कई देशों के नागरिक अब भी फंसे हुए हैं. हालांकि भारत सरकार ने बिना देरी किए 600 से ज्यादा भारतीयों को वापस निकाल लिया है, लेकिन अब भी कुछ भारतीय चीन में फंसे हुए हैं. यह जानकारी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में दी है. चीन से भारतीयों के साथ मालदीव के नागरिकों को भी वापस लाया गया है. विदेश में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को भारत सरकार ने सर्वोच्च प्राथमिकता दी है.

यह पहला मौका नहीं है, जब भारत ने दूसरे देश में फंसे अपने नागरिकों को निकाला हो. इससे पहले कई बार भारत सरकार विदेश में प्राकृतिक आपदा, आंतरिक संघर्ष और युद्ध के कारण फंसे भारतीय और अन्य देशों के नागरिकों को वापस ला चुकी है.

भारत सरकार द्वारा विदेश से अपने नागरिकों को बचाने के लिए उठाए गए कदमों पर एक नजर :

1. ऑपरेशन कोरोना वायरस, चीन (जनवरी 2020)

  • चीन के वुहान में कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद वहां फंसे भारतीयों को निकालने के लिए भारत सरकार ने दो विमान भेजे.
  • पहले विमान से 324 और दूसरे विमान में 323 भारतीयों को वापस लाया गया. दूसरे विमान में मालदीव के सात नागरिक भी शामिल थे.
  • वुहान से वापस लाए गए भारतीयों में तीन नाबालिग, 211 छात्र और 110 पेशेवर शामिल थे.
  • सभी को सेना और आईटीबीपी द्वारा बनाए गए कैंप में रखा गया है. वापस लाए गए सभी लोगों के कोरोना वायरस परीक्षण नकारात्मक आए हैं.
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2. ऑपरेशन संकट मोचन, सूडान (11 अगस्त 2016)
07 जुलाई 2016 को दक्षिण सूडान की राजधानी जुबा में दो गुटों के बीच युद्ध छिड़ गया. इसके बाद भारत सरकार ने दक्षिण सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन संकटमोचन शुरू किया, जिसके तहत 14-15 जुलाई को 153 भारतीयों और नेपाल के दो नागरिकों को निकाला गया.

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3۔ लीबिया में दो भारतीय बंधकों को छुड़ाया (15 सितंबर, 2016)
लीबिया में दो भारतीयों को एक साल से बंदी बनाकर रखा गया था. यहां के सिर्ते विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले दो भारतीयों का जुलाई 2015 में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया था. तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसकी पुष्टि की थी.

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सरकार ने युद्ध प्रभावित मध्य-पूर्व के देशों इराक, लीबिया और यमन से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए व्यापक प्रयास किए.

4۔ लीबिया (23 दिसंबर, 2015)
युद्ध प्रभावित लीबिया से अब तक 3,600 भारतीयों को निकाला जा चुका है. भारतीयों को लीबिया के पड़ोसी मुल्कों की मदद से जमीन, समुद्र और हवाई रास्ते से वापस लाया गया था. अनुमानित दो हजार भारतीय अब भी लीबिया में फंसे हुए हैं.

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5۔ इराक संकट
इराक की राजधानी बगदाद स्थित भारतीय दूतावास ने सात हजार से अधिक भारतीय नागरिकों को यात्रा दस्तावेजों, प्रस्थान सुविधाओं और हवाई टिकटों के साथ वापसी की सुविधा प्रदान की थी.
मोसुल में एक निर्माण कंपनी में काम करने वाले 39 भारतीय नागरिकों के एक समूह को आतंकी संगठन आईएसआईएस द्वारा बंदी बनाकर रखा गया था. सरकार उनकी रिहाई के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.

6. ऑपरेशन राहत, यमन (2015)

  • सरकार ने यमन से भारतीय नागरिकों की निकासी के लिए मार्च-अप्रैल 2015 में ऑपरेशन राहत चलाया. इसके अंतर्गत यमन से 6,710 लोगों को निकाला गया, जिनमें 4,748 भारतीय और 1,962 विदेशी नागरिक शामिल थे.
  • अप्रैल 2015 में सऊदी अरब और अन्य देश यमन में चल रहे गृह युद्ध में कूद पड़े, जिसके बाद स्थिति और बदतर हो गई.
  • इसके बाद भारतीय सेना ने एयर इंडिया के साथ मिलकर अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, मिस्र, स्वीडन और थाईलैंड सहित 41 अन्य देशों के 960 नागरिकों और 4,640 भारतीयों को निकाला.
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7. ऑपरेशन मैत्री, नेपाल (2015)

  • 2015 में नेपाल में आए भूकंप के बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन मैत्री के जरिए बचाव अभियान चलाया. सेना ने भूकंप प्रभावित पड़ोसी देश को सहायता देना शुरू किया.
  • यह ऑपरेशन 26 अप्रैल 2015 को शुरू हुआ और इसमें मार्गदर्शन, राहत और बचाव के लिए गोरखा रेजिमेंट के पूर्व सैनिकों को शामिल किया गया.
  • भारतीय सेना ने अमेरिका, रूस और जर्मनी के 170 नागरिकों को सफलतापूर्वक निकाला.
  • सेना-वायु सेना के संयुक्त ऑपरेशन में 5,000 से अधिक भारतीयों को वायु सेना और नागरिक विमानों द्वारा नेपाल से वापस लाया गया.
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8. ऑपरेशन सेफ होमकमिंग, लीबिया (2011)
ऑपरेशन सेफ होमकमिंग 26 फरवरी 2011 को भारत सरकार द्वारा अपने नागरिकों को निकालने के लिए शुरू किया गया. यह लोग लीबिया के गृहयुद्ध से भाग रहे थे. ऑपरेशन सेफ होमकमिंग में 15,400 लोगों को लीबिया, मिस्र और माल्टा से नौ विशेष उड़ानों के जरिए वापस लाया गया.

9. लेबनान और इजरायल तनाव. लेबनान (2006)
इस वर्ष पड़ोसी लेबनान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ रहा था. भारतीय नौसेना ने एयर इंडिया के साथ मिलकर भारत, श्रीलंका और नेपाल के लगभग 2,300 लोगों को बाहर निकाला.

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10. इराक का कुवैत पर हमला, कुवैत (1990)
जब सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर हमला किया, तो वहां काम करने वाले एक लाख से अधिक भारतीय फंस गए. अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए विदेश मंत्रालय ने कई सैन्य विमान भेजे, लेकिन विदेशी जमीन पर सैन्य विमान उड़ाने की अनुमति नहीं मिली. इसके बाद सरकार ने एयर इंडिया की सहायता से भारतीयों को जॉर्डन के लिए रवाना किया, जहां से अम्मान के रास्ते भारत की उड़ान थी. इस दौरान एयर इंडिया ने 488 उड़ानों के जरिए एक लाख बारह हजार भारतीयों को सुरक्षित मुंबई पहुंचाया. यह अब तक का सबसे बड़ा एयरलिफ्ट ऑपरेशन है, जिस पर बाद में फिल्म भी बनाई गई.

चीन में नोवेल कोरोना वायरस का कहर जारी है. इस वायरस ने अब तक 900 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है और 2656 नए मामलों का पता चला है. चीन में भारत समेत कई देशों के नागरिक अब भी फंसे हुए हैं. हालांकि भारत सरकार ने बिना देरी किए 600 से ज्यादा भारतीयों को वापस निकाल लिया है, लेकिन अब भी कुछ भारतीय चीन में फंसे हुए हैं. यह जानकारी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राज्यसभा में दी है. चीन से भारतीयों के साथ मालदीव के नागरिकों को भी वापस लाया गया है. विदेश में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को भारत सरकार ने सर्वोच्च प्राथमिकता दी है.

यह पहला मौका नहीं है, जब भारत ने दूसरे देश में फंसे अपने नागरिकों को निकाला हो. इससे पहले कई बार भारत सरकार विदेश में प्राकृतिक आपदा, आंतरिक संघर्ष और युद्ध के कारण फंसे भारतीय और अन्य देशों के नागरिकों को वापस ला चुकी है.

भारत सरकार द्वारा विदेश से अपने नागरिकों को बचाने के लिए उठाए गए कदमों पर एक नजर :

1. ऑपरेशन कोरोना वायरस, चीन (जनवरी 2020)

  • चीन के वुहान में कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद वहां फंसे भारतीयों को निकालने के लिए भारत सरकार ने दो विमान भेजे.
  • पहले विमान से 324 और दूसरे विमान में 323 भारतीयों को वापस लाया गया. दूसरे विमान में मालदीव के सात नागरिक भी शामिल थे.
  • वुहान से वापस लाए गए भारतीयों में तीन नाबालिग, 211 छात्र और 110 पेशेवर शामिल थे.
  • सभी को सेना और आईटीबीपी द्वारा बनाए गए कैंप में रखा गया है. वापस लाए गए सभी लोगों के कोरोना वायरस परीक्षण नकारात्मक आए हैं.
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2. ऑपरेशन संकट मोचन, सूडान (11 अगस्त 2016)
07 जुलाई 2016 को दक्षिण सूडान की राजधानी जुबा में दो गुटों के बीच युद्ध छिड़ गया. इसके बाद भारत सरकार ने दक्षिण सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन संकटमोचन शुरू किया, जिसके तहत 14-15 जुलाई को 153 भारतीयों और नेपाल के दो नागरिकों को निकाला गया.

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3۔ लीबिया में दो भारतीय बंधकों को छुड़ाया (15 सितंबर, 2016)
लीबिया में दो भारतीयों को एक साल से बंदी बनाकर रखा गया था. यहां के सिर्ते विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले दो भारतीयों का जुलाई 2015 में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया था. तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसकी पुष्टि की थी.

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सरकार ने युद्ध प्रभावित मध्य-पूर्व के देशों इराक, लीबिया और यमन से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए व्यापक प्रयास किए.

4۔ लीबिया (23 दिसंबर, 2015)
युद्ध प्रभावित लीबिया से अब तक 3,600 भारतीयों को निकाला जा चुका है. भारतीयों को लीबिया के पड़ोसी मुल्कों की मदद से जमीन, समुद्र और हवाई रास्ते से वापस लाया गया था. अनुमानित दो हजार भारतीय अब भी लीबिया में फंसे हुए हैं.

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5۔ इराक संकट
इराक की राजधानी बगदाद स्थित भारतीय दूतावास ने सात हजार से अधिक भारतीय नागरिकों को यात्रा दस्तावेजों, प्रस्थान सुविधाओं और हवाई टिकटों के साथ वापसी की सुविधा प्रदान की थी.
मोसुल में एक निर्माण कंपनी में काम करने वाले 39 भारतीय नागरिकों के एक समूह को आतंकी संगठन आईएसआईएस द्वारा बंदी बनाकर रखा गया था. सरकार उनकी रिहाई के लिए हर संभव प्रयास कर रही है.

6. ऑपरेशन राहत, यमन (2015)

  • सरकार ने यमन से भारतीय नागरिकों की निकासी के लिए मार्च-अप्रैल 2015 में ऑपरेशन राहत चलाया. इसके अंतर्गत यमन से 6,710 लोगों को निकाला गया, जिनमें 4,748 भारतीय और 1,962 विदेशी नागरिक शामिल थे.
  • अप्रैल 2015 में सऊदी अरब और अन्य देश यमन में चल रहे गृह युद्ध में कूद पड़े, जिसके बाद स्थिति और बदतर हो गई.
  • इसके बाद भारतीय सेना ने एयर इंडिया के साथ मिलकर अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, मिस्र, स्वीडन और थाईलैंड सहित 41 अन्य देशों के 960 नागरिकों और 4,640 भारतीयों को निकाला.
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7. ऑपरेशन मैत्री, नेपाल (2015)

  • 2015 में नेपाल में आए भूकंप के बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन मैत्री के जरिए बचाव अभियान चलाया. सेना ने भूकंप प्रभावित पड़ोसी देश को सहायता देना शुरू किया.
  • यह ऑपरेशन 26 अप्रैल 2015 को शुरू हुआ और इसमें मार्गदर्शन, राहत और बचाव के लिए गोरखा रेजिमेंट के पूर्व सैनिकों को शामिल किया गया.
  • भारतीय सेना ने अमेरिका, रूस और जर्मनी के 170 नागरिकों को सफलतापूर्वक निकाला.
  • सेना-वायु सेना के संयुक्त ऑपरेशन में 5,000 से अधिक भारतीयों को वायु सेना और नागरिक विमानों द्वारा नेपाल से वापस लाया गया.
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8. ऑपरेशन सेफ होमकमिंग, लीबिया (2011)
ऑपरेशन सेफ होमकमिंग 26 फरवरी 2011 को भारत सरकार द्वारा अपने नागरिकों को निकालने के लिए शुरू किया गया. यह लोग लीबिया के गृहयुद्ध से भाग रहे थे. ऑपरेशन सेफ होमकमिंग में 15,400 लोगों को लीबिया, मिस्र और माल्टा से नौ विशेष उड़ानों के जरिए वापस लाया गया.

9. लेबनान और इजरायल तनाव. लेबनान (2006)
इस वर्ष पड़ोसी लेबनान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ रहा था. भारतीय नौसेना ने एयर इंडिया के साथ मिलकर भारत, श्रीलंका और नेपाल के लगभग 2,300 लोगों को बाहर निकाला.

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10. इराक का कुवैत पर हमला, कुवैत (1990)
जब सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर हमला किया, तो वहां काम करने वाले एक लाख से अधिक भारतीय फंस गए. अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए विदेश मंत्रालय ने कई सैन्य विमान भेजे, लेकिन विदेशी जमीन पर सैन्य विमान उड़ाने की अनुमति नहीं मिली. इसके बाद सरकार ने एयर इंडिया की सहायता से भारतीयों को जॉर्डन के लिए रवाना किया, जहां से अम्मान के रास्ते भारत की उड़ान थी. इस दौरान एयर इंडिया ने 488 उड़ानों के जरिए एक लाख बारह हजार भारतीयों को सुरक्षित मुंबई पहुंचाया. यह अब तक का सबसे बड़ा एयरलिफ्ट ऑपरेशन है, जिस पर बाद में फिल्म भी बनाई गई.

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Last Updated : Feb 29, 2020, 10:12 PM IST
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