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मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों से पेंट्री कार हटाए जाने का सुझाव - एआईआरएफ के महासचिव

ऑल इंडिया रेलवे मेन फेडरेशन ने रेलवे की वित्तीय हालत में सुधार के लिए मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में पेंट्री कार को थर्ड एसी कोच में बदलने का सुझाव दिया है. एआईआरएफ ने कहा है कि यात्रियों के लिए खानपान की सुविधा प्रमुख स्टेशनों पर की जा सकती है.

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Published : Sep 28, 2020, 6:19 PM IST

नई दिल्ली : रेल कर्मचारियों के शीर्ष संगठन ऑल इंडिया रेलवे मेन फेडरेशन (एआईआरएफ) ने रेल मंत्री पीयूष गोयल को मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में पेंट्री कार को थर्ड एसी कोच में बदलने का सुझाव दिया है. इसका उद्देश्य कोरोना महामारी के बीच राजस्व सृजन को बेहतर बनाना है.

एआईआरएफ ने इस संबंध में पीयूष गोयल को एक पत्र लिखकर कई सुझाव दिए थे, जिनका उद्देश्य माली हालत में सुधार करना और उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ भारतीय रेलवे की दक्षता को बढ़ाना था.

पत्र में कहा गया है कि वर्तमान में कई मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें एक पेंट्री कार के साथ चल रही हैं. इस पेंट्री कार को एक एसीसीएन (3AC) कोच द्वारा बदला जा सकता है, और यात्रियों की खानपान आवश्यकताओं को प्रमुख स्टेशनों पर पूरा किया जा सकता है, जहां यह ट्रेनें रुकती हैं.

साथ ही सुझाव दिया गया है कि भोजन आदि की आवश्यकता को ई-बुकिंग के माध्यम से सुगम बनाया जा सकता है और ऑर्डर की तैयारी बड़े स्टेशनों पर स्थित बेस किचन में की जा सकती है. इसमें कैटरिंग स्टाफ भी कम लगेंगे. इससे न केवल खर्च में बचत होगी, बल्कि रेलवे की आमदनी भी बढ़ेगी.

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे बोर्ड को एआईआरएफ द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार-विमर्श करने के लिए कहा है.

भारतीय रेलवे पहले से ही राजस्व बढ़ाने के तरीके खोज रहा है. इससे पहले, रेल मंत्रालय ने लागत में कटौती करने के लिए ट्रेनों में कंबल व चादर उपलब्ध करना बंद करने का फैसला किया था.

ईटीवी भारत से बात करते हुए, एआईआरएफ के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि पीयूष गोयल ने रेलवे बोर्ड को सुझावों की समीक्षा करने के लिए कहा है. यह पत्र जोनल रेलवे के सभी डीआरएम को भी भेजा गया है. इन सुझावों पर जल्द ही एक समीक्षा बैठक होगी.

एआईआरएफ ने रेलवे मंत्री से कार्यों के अनावश्यक आउटसोर्सिंग को रोकने के लिए भी कहा है. पत्र में कहा गया है कि विभागीय कार्यों की आउटसोर्सिंग में कई खामियां हैं, और इससे लागत से भी अधिक पड़ती है.

कोरोना लॉकडाउन के कारण यात्री सेवाओं के निलंबन के बाद रेलवे को बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ा है. वित्तीय आयुक्त ने जून में रेलवे के सभी जोन को एक पत्र लिखा था. जिसमें रेलवे की लागत में कटौती करने के कई तरीके सुझाए गए थे, इनमें नए पदों के सृजन पर रोक, सेवानिवृत्त कर्मचारियों को हटाना, आउटसोर्स गतिविधियों को कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व निधि में स्थानांतरित करना और कई अन्य शामिल थे.

एआईआरएफ के महासचिव ने भी उल्लेख किया था कि बड़ी संख्या में सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) के कार्यालय निजी आवास में स्थित हैं, जिसके लिए हर साल एक बड़ी राशि का भुगतान किया जाता है. इसे पैसे की भारी बर्बादी बताते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि इन सार्वजनिक उपक्रमों को किराया बचाने के लिए रेलवे बिल्डिंग या रेलवे क्वार्टर में समायोजित किया जा सकता है.

यह भी पढ़ें- अब दोबारा उपयोग किया जा सकेगा एन 95 मास्क : वैज्ञानिकों का शोध

केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए तरीकों पर जवाब देते हुए एआईआरएफ के महासचिव मिश्रा ने ईटीवी भारत से कहा कि अगर भारत सरकार का मानना ​​है कि केंद्रीय बजट के साथ रेल बजट का संयोजन भारतीय रेलवे को दक्षता प्रदान करेगा, तो सरकार को कुछ पैसे खर्च करने के लिए भी तैयार होना चाहिए. यह कहना सही नहीं है कि रेलवे को अपने स्वयं के राजस्व का सृजन करके बुनियादी ढांचे, सिग्नलिंग, पेंशन प्रदान करना आदि में सुधार करना चाहिए और केंद्र सरकार इस पर कुछ भी खर्च नहीं करेगी. इसकी समीक्षा करने की आवश्यकता है.

नई दिल्ली : रेल कर्मचारियों के शीर्ष संगठन ऑल इंडिया रेलवे मेन फेडरेशन (एआईआरएफ) ने रेल मंत्री पीयूष गोयल को मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में पेंट्री कार को थर्ड एसी कोच में बदलने का सुझाव दिया है. इसका उद्देश्य कोरोना महामारी के बीच राजस्व सृजन को बेहतर बनाना है.

एआईआरएफ ने इस संबंध में पीयूष गोयल को एक पत्र लिखकर कई सुझाव दिए थे, जिनका उद्देश्य माली हालत में सुधार करना और उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ भारतीय रेलवे की दक्षता को बढ़ाना था.

पत्र में कहा गया है कि वर्तमान में कई मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें एक पेंट्री कार के साथ चल रही हैं. इस पेंट्री कार को एक एसीसीएन (3AC) कोच द्वारा बदला जा सकता है, और यात्रियों की खानपान आवश्यकताओं को प्रमुख स्टेशनों पर पूरा किया जा सकता है, जहां यह ट्रेनें रुकती हैं.

साथ ही सुझाव दिया गया है कि भोजन आदि की आवश्यकता को ई-बुकिंग के माध्यम से सुगम बनाया जा सकता है और ऑर्डर की तैयारी बड़े स्टेशनों पर स्थित बेस किचन में की जा सकती है. इसमें कैटरिंग स्टाफ भी कम लगेंगे. इससे न केवल खर्च में बचत होगी, बल्कि रेलवे की आमदनी भी बढ़ेगी.

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे बोर्ड को एआईआरएफ द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार-विमर्श करने के लिए कहा है.

भारतीय रेलवे पहले से ही राजस्व बढ़ाने के तरीके खोज रहा है. इससे पहले, रेल मंत्रालय ने लागत में कटौती करने के लिए ट्रेनों में कंबल व चादर उपलब्ध करना बंद करने का फैसला किया था.

ईटीवी भारत से बात करते हुए, एआईआरएफ के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि पीयूष गोयल ने रेलवे बोर्ड को सुझावों की समीक्षा करने के लिए कहा है. यह पत्र जोनल रेलवे के सभी डीआरएम को भी भेजा गया है. इन सुझावों पर जल्द ही एक समीक्षा बैठक होगी.

एआईआरएफ ने रेलवे मंत्री से कार्यों के अनावश्यक आउटसोर्सिंग को रोकने के लिए भी कहा है. पत्र में कहा गया है कि विभागीय कार्यों की आउटसोर्सिंग में कई खामियां हैं, और इससे लागत से भी अधिक पड़ती है.

कोरोना लॉकडाउन के कारण यात्री सेवाओं के निलंबन के बाद रेलवे को बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ा है. वित्तीय आयुक्त ने जून में रेलवे के सभी जोन को एक पत्र लिखा था. जिसमें रेलवे की लागत में कटौती करने के कई तरीके सुझाए गए थे, इनमें नए पदों के सृजन पर रोक, सेवानिवृत्त कर्मचारियों को हटाना, आउटसोर्स गतिविधियों को कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व निधि में स्थानांतरित करना और कई अन्य शामिल थे.

एआईआरएफ के महासचिव ने भी उल्लेख किया था कि बड़ी संख्या में सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) के कार्यालय निजी आवास में स्थित हैं, जिसके लिए हर साल एक बड़ी राशि का भुगतान किया जाता है. इसे पैसे की भारी बर्बादी बताते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि इन सार्वजनिक उपक्रमों को किराया बचाने के लिए रेलवे बिल्डिंग या रेलवे क्वार्टर में समायोजित किया जा सकता है.

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केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए तरीकों पर जवाब देते हुए एआईआरएफ के महासचिव मिश्रा ने ईटीवी भारत से कहा कि अगर भारत सरकार का मानना ​​है कि केंद्रीय बजट के साथ रेल बजट का संयोजन भारतीय रेलवे को दक्षता प्रदान करेगा, तो सरकार को कुछ पैसे खर्च करने के लिए भी तैयार होना चाहिए. यह कहना सही नहीं है कि रेलवे को अपने स्वयं के राजस्व का सृजन करके बुनियादी ढांचे, सिग्नलिंग, पेंशन प्रदान करना आदि में सुधार करना चाहिए और केंद्र सरकार इस पर कुछ भी खर्च नहीं करेगी. इसकी समीक्षा करने की आवश्यकता है.

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